ऐसे तीन लोगों की मदद भूलकर भी ना करें चाणक्य नीति ?

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ऐसे तीन लोगों की मदद भूलकर भी ना करें चाणक्य नीति ?

मित्रों हमें बचपन से ही यही सिखाया जाता है कि यदि कोई व्यक्ति मुसीबत या मुश्किल में हो तो हमें उसकी सहायता करनी चाहिए. हमारे माता-पिता हम सब को ऐसे संस्कार देते हैं कि हम दूसरों की दुख को महसूस कर सके और अपनी तरफ से हर तरह की मदद की कोशिश करते हैं लेकिन महान नीति कारक आचार्य चाणक्य का मानना था कि जीवन में कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिनकी मदद कभी नहीं करनी चाहिए. ऐसे तीन लोगों की मदद भूलकर भी ना करें चाणक्य नीति ?

ऐसे तीन लोगों की मदद भूलकर भी ना करें चाणक्य नीति ?

चाणक्य का मानना था कि मदद भी उसी की करनी चाहिए जो उस सहायता का महत्व को समझ सके और स्वयं को सही रास्ते पर ला सके. अगर आप गलत इंसान की मदद करेंगे तो वो आपकी सहायता के बहाने आप का इस्तेमाल करेगा, जब आपको यह बात महसूस होगी तो दुख और पछतावे के अलावा आपके पास कुछ नहीं बचेगा. इसलिए मदद करें लेकिन उससे पहले सोच विचार कर लें कि वह मदत  के लायक है भी या नहीं. आचार्य चाणक्य ने ऐसे  तीन लोगों के बारे में बताया है जिनकी मदद करने के बाद बहुत पछताना पड़ता है तो चलिए जानते है ?

पहला दुष्ट स्वभाव की स्त्री

 गलत स्वभाव की स्त्री आपको चाहे कितनी भी मुश्किल में दिखे उसकी उसकी सहायता करने से पहले एक बार सोच विचार जरूर कर लें. ऐसी स्त्री अपने खराब स्वभाव वाली चरित्र को कभी नहीं छोड़ती वह मदद के नाम पर सिर्फ आपका इस्तेमाल करेगी और किसी भी परिस्थिति में आपका साथ तब तक  देगी जब तक आप उसके काम में मदद कर रहे हैं. यदि कोई सही पुरुष ऐसे स्त्री का साथ देता है तो वह अपने लिए खुद ही गड्ढा खोद रहा हो होता है साथ ही इससे समाज में उसे मजाक का भी पात्र बनना पड़ता है .

अकारण दुखी रहने वाले

बता दें कि कुछ लोगों के जीवन में भले ही सब कुछ ठीक चल रहा हो लेकिन उन्हें हमेशा रोने की आदत होती है ऐसे  लोगों की मदद करके आप अपने समय बर्बाद करते हैं. हमेशा दुखी रहने वाले लोग दूसरों की खुशी से जलते हैं वह खुद तो कुछ अच्छा करने का प्रयत्न नहीं करते और दूसरे कुछ करें ईर्ष्या करते हैं. इसलिए कहा जाता है कि ऐसे लोगों की सहायता करने से बचना चाहिए.

मूर्ख व्यक्ति

सभी को पता है कि मूर्ख इंसान को चाहे आप कितना भी समझा ले वह हमेशा खुद को ही बड़ा समझता है या मानता है. अगर आप उसकी मदद करने का विचार अपने मन में ला रहे हैं तो आप सिर्फ अपने वक्त को नष्ट कर रहे हैं ऐसा मनुष्य आपकी सही बात मैं भी कुछ ना कुछ कमी निकालता ही है और उल्टे सीधे तर्क देने लगता है. इससे व्यर्थ में आपके मुश्किले बढ़ती है ऐसे लोगों से दूर रहने में ही अच्छाई है.

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