सनातन धर्म के वेद पुराणों मे चार युगों का वर्णन किया गया है -सतयुग त्रेतायुग द्वापर्युग कलयुग, वर्तमान मे हमलोग जिस युग मे जी रहे है उसे कलयुग कहा गया है. कलयुग को छोड़कर बाकी तीनो युगों मे भगवान ने अनेक अवतार लिए एवं लोक कल्याण के लिए पाप का नाश किया. क्या आप जानते है कि श्री कृष्ण के देह त्यागने के बाद जब कलयुग धरती लोक पर आया तब राजा परीक्षित ने कलयुग को कहां-कहां स्थान दिया? कलयुग किस-किस स्थान पर निवास करता है?
कलयुग का आगमन
भागवत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण अपने धर्म का पालन करते हुए अपनी बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से करा देते हैं! अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु होता है अभिमन्यु का विवाह उत्तरा से हुआ और उत्तरा के गर्भ से राजा परीक्षित का जन्म हुआ. महाभारत युद्ध खत्म होने के 36 साल बाद जब युधिष्ठिर अपने भाइयों सहित हिमालय के रास्ते स्वर्ग चले गए तब राजा परीक्षित इस धरती के स्वामी बन गए, इनके राजा बनने के 32 वर्ष बाद पृथ्वी पर कलयुग आ गया, राजा परीक्षित ज़ब शिकार करने के लिए गए तब रास्ते में कलयुग से राजा परीक्षित का साक्षात्कार हुआ!
कलयुग की शुरुआत कैसे हुई
महाभारत खत्म होने के बाद भगवान श्री कृष्ण पृथ्वी छोड़कर बैकुंठ यात्रा की ओर चल दिए यह जानकर युधिष्ठिर अपने भाइयों सहित अपने राज्य को पौत्र परीक्षित को सौपकर हिमालय के रास्ते स्वर्ग चले गए. रजा परीक्षित पृथ्वी का पालन करने लगे. एक बार राजा परीक्षित शिकार हेतु वन में गए, वन में जाते हुए रास्ते में उन्होंने देखा एक व्यक्ति डंडे से बैल को पीट रहा है और वही व्यक्ति गाय को अपने लात मार रहा है,उस बैल को तीन पैर नहीं थे और वह अपने एक पैर पर खड़ा था. गाय बिल्कुल कामधेनु जैसी दिख रही थी दृश्य को देखने के बाद राजा उसके पास गए और हाथ में तलवार लेकर उसकी गर्दन पर रखते हुए क्रोधित होकर उस व्यक्ति से पूछा अधर्मी तुम कौन है जो निरीह गाय और बैल पर अत्याचार कर रहा है तुम्हारा कृत्य ऐसा है कि तुम्हें मृत्यु दंड मिलना चाहिए.
राजा परीक्षित का क्रोध देखकर कलयुग भविष्य करने लगा,राजा ने कलयुग को छोड़कर बेल से पूछा है भगवान आपके तीन पैर कहां हैं . इस बातों का बैल ने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन बिना कुछ कहे उसने अपनी आंखों से कह दिया, बैल की यह दशा देखकर राजा ने कलयुग को मारने के लिए अपनी तलवार उठा लिया. ऐसा देख कलयुग डरता हुआ राजा परीक्षित के चरणों में गिर पड़ा, अब राजा सोच में पड़ गए और अपने विचार बदलते हुए अपनी शरण में आए उस व्यक्ति को नहीं मारा इसलिए उन्होंने कलयुग को जीवनदान दे दिया.
राजा ने कलयुग को आदेश दिया पांडव वंश होने के कारण राजा परीक्षित बड़े ही ज्ञानी थे थोड़े ही देर में उन्होंने धर्म को बेल के रूप में और गाय को धरती माता के रूप में पहचान लिया. कलयुग को जीवन देने के बाद राजा परीक्षित ने कहा, कलयुग तुम पाप, झूठ, छल और दरिद्रता के कारण हो, जब तुम मेरे शरण में आए तो मैंने तुम्हें जीवन दिया अब तुम मेरे राज्य की सीमा से बहुत दूर चले जाओ और फिर कभी वापस मेरे राज्य के सिमा में मत आना. इस पर कलयुग गिड़गिड़ाना लगा और बोले महाराज आपका राज्य तो संपूर्ण पृथ्वी पर हैं आप बताइए मैं कहां जाऊं, अब मैं आपके शरण में आया हूं इसलिए आप मुझे भी रहने के लिए स्थान दें .
कलयुग किस-किस स्थान पर निवास करता है?
राजा परीक्षित के कलयुग के अनुरोध को स्वीकार करते हुए उन्होंने रहने के लिए 4 स्थान दिए – जुआ, शराब, व्यभिचार अथार्त पर स्त्री गमन और हिंसा. इस पर कलयुग ने राजा परीक्षित से निवेदन किया हे राजन यह चार स्थान मेरे रहने के लिए पर्याप्त नहीं है कृपया मुझे आप एक स्थान और रहने के लिए दे दे. इसपर पर राजा ने उसे सोने अथार्त स्वर्ण में रहने के लिए इजाजत दे दी, इसके बाद राजा शिकार के लिए आगे निकल गए कलयुग को स्थान देते समय राजा यह भूल गए कि उन्होंने अपने सिर पर सोने का मुकुट धारण किया हुआ है उसमें भी स्वर्ण जड़ित हैं.
राजा से पांचवा स्थान मिलते ही कलयुग वहां से चला गया परन्तु कुछ ही देर बाद वह सूक्ष्म रूप में वापस आ गया और राजा के मुकुट में लगे स्वर्ण में वह बैठ गया . राजा को इसकी जानकारी नहीं थी शिकार के लिए जाते समय रास्ते में जब राजा को प्यास लगी तो वे पास ही के कुटिया में चले गए वहां पर शमिक ऋषि नेत्र बंद किए हुए थे तथा शांत भाव से एकासन में बैठे हुए ब्रह्मलीन में ध्यान थे. राजा परीक्षित ने उनसे जल मांगा किंतु ध्यान मग्न होने के कारण शमिक ऋषि ने कोई उत्तर नहीं दिया.
अब राजा के मुकुट में बैठे कलयुग ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू किया, किस प्रभाव के कारण राजा को अपने मन में ऋषि को मृत्युदंड देने का विचार आया लेकिन अच्छे संस्कारों की वजह से उन्होंने खुद को ऐसा करने से रोक लिया. लेकिन कलयुग के दुष्टप्रभाव के कारण उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी और उन्होंने उनके साथ एक ऐसा मजाक कर दिया उन्होंने ऋषि श्रमिक के गले में एक मरा हुआ सांप डाल दिया. धरती पर पहला इंसान पर कलयुग का यह पहला प्रभाव था और उसने पांडव कुल के एक संस्कारी राजा को अपना शिकार बनाया.
कलयुग और राजा परीक्षित की कथा
जब श्रमिक ऋषि के पुत्र श्रृंगी स्नान करके लौटे तब उसने देखा कि उनके पिता नेत्र बंद किए हुए तथा शांत भाव से एकासन पर बैठे हुए ब्रह्मध्यान में लीन है और उनके गले में एक मरा हुआ सांप पड़ा है. श्रमिक ऋषि तो ध्यान में लीन थे उन्हें ज्ञात ही नहीं हो पाया कि उनके साथ राजा ने क्या किया किन्तु उनके पुत्र श्रृंगी ऋषि को जब पता चला तब उन्हें राजा परीक्षित पर बहुत क्रोध आया, पर उन्होंने शराप दिया कि 7 दिनों के अंदर तक्षक सर्प के काटने से परीक्षित की मृत्यु हो जाएगी. श्रमिक ऋषि की साधना पूर्ण हुई और उन्हें इस बात का पता चला तो उन्होंने इसकी सूचना राजा को भिजवाई ताकि वो बेहद सावधान रहें.
इसपर राजा ने स्वयं को मृत्यु के लिए तैयार कर लिया और अपने पुत्र जन्मेजय को राजतिलक कर उन्हें राज्य सौंप दिया. राजा परीक्षित ने अपने गुरु सुखदेव से श्रीमद्भागवत की कथा सुनी और सातवें दिन तक्षक नाग के काटने से उनकी मृत्यु हो गई. जब जन्मेजय को अपने पिता की मृत्यु के कारण का पता चला तब उन्होंने सभी सांपों को मारने के लिए सर्पस्त्र यज्ञ किया इस पर सभी सांप हवन कुंड में आकर गिरने लगे, भयभीत तक्षक ने स्वयं को इंद्र के सिंहासन में लपेट लिया, और फिर आस्तिक ऋषि के समझाने पर जनमेजय ने अपना यज्ञ रोक लिया. उसके बाद पृथ्वी पर कलयुग का आगमन तेजी से होने लगा और राजा परीक्षित के परलोक जाने पर फिर पृथ्वी पर कोई ऐसा राजा नहीं रहा जो कलयुग के बढ़ते प्रभाव को रोक सके.
कलयुग का अंत कब और कैसे होगा जानिए पुराणों के अनुसार?
कलयुग क्यों है सभी युगों में सर्वश्रेष्ठ, जानिए पौराणिक कथा क्या कहती है इसके बारे में?