पुराणों में चार युगों का वर्णन मिलता है सतयुग, त्रेता युग द्वापर युग और कलयुग। कलयुग को एक श्राप कहा जाता है, पर क्या आपको पता है कि पृथ्वी पर कलयुग कैसे आया कैसे कलयुग की शुरुआत हुई आइए हम बताते हैं आपको।कलयुग क्या है कैसे हुई कलयुग की शुरुआत?
क्या हमने कभी इस बात की और ध्यान दिया है कि ऐसा क्या कारण रहा होगा कि जिसके चलते कलयुग को पृथ्वी पर आना पड़ा, वह ना सिर्फ आया बल्कि आकर यहीं का हो गया। तो आखिर क्या रहस्य है कलयुग के धरती पर आगमन के पीछे आईए जानते हैं।
कलयुग क्या है कैसे हुई कलयुग की शुरुआत?
आज का युग जिसे हम कलयुग कहते हैं। महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने अपनी पुस्तक आर्यभट्टम् मैं इस बात का उल्लेख किया है कि जब वह 23 वर्ष के थे, तब कलयुग का 3600 युवा वर्ष चल रहा था। जब धर्मराज युधिष्ठिर अपन पूरा राज्य पाठ परीक्षित को सौंपकर अन्य पांडवों और द्रोपती समेत महापलायन हेतु हिमालय की ओर निकल पड़े थे, उन दिनों स्वयं धर्मराज बैल का रूप लेकर गाय के रूप में बैठी पृथ्वी देवी से सरस्वती नदी के किनारे मिले।
गाय रूपी पृथ्वी के नयन आंसुओं से भरे हुए थे उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे। तब पृथ्वी को दुखी देख धर्म ने उनसे उनकी परेशानियां का कारण पूछा धर्म ने कहा देवी तुम यह देखकर तो नहीं रो रही की मेरा बस एक पैर है या तुम इस बात से दुखी हो कि अब तुम्हारे ऊपर बुरी ताकतों का शासन होगा। इस सवाल पर देवी पृथ्वी बोली हे धर्म तुम तो सब कुछ जानते हो ऐसे में मेरे दुख का कारण पूछने से क्या लाभ। सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया संतोष, शास्त्र, विचार, ज्ञान, वैराग्य, ऐश्वरी, निर्भीकता कोमलता, धैर्य, साहस, उत्साह, कीर्ति, आस्तिकता स्थिरता, गौरव, आदि गुरु के स्वामी भगवान कृष्ण अपने धाम जाने की वजह से कलयुग ने मुझ पर कब्जा कर लिया है।
कलयुग की शुरुआत?
पहले भगवान कृष्ण के चरण मुझ पर पड़ते थे जिसकी वजह से मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती थी। परंतु अब ऐसा नहीं है अब मेरा सौभाग्य समाप्त हो गया है। धर्मराज और पृथ्वी आपस में बात कर ही रहे थे कि इतने में असुर रूपी कलयुग वहां आ पहुंचा बैल रूपी धर्म और गाय रूपी पृथ्वी को मारने लगा। राजा परीक्षित वहां से गुजर रहे थे जब उन्होंने यह दृश्य अपनी आंखों से देखा तो कलयुग पर बहुत क्रोधित हुए अपने धनुष पर बाण रखते हुए राजा परीक्षित ने कलयुग से कहा – दुष्ट पापी तू कौन है इन निर्दोष गाय कथा बैल को क्यों सता रहा है। तू महान अपराधी है तेरा अपराध क्षमा योग्य नहीं है तेरा वध निश्चित है।
राजा परीक्षित ने बैल के स्वरूप में धर्म और गाय के स्वरूप में पृथ्वी देवी को पहचान लिया। परीक्षित राजा ने उनसे कहा – हे वृषभ आप धर्म के मर्म को भलीभांति जानते हैं इसलिए आप किसी के विषय में गलत ना कहते हुए अपने ऊपर अत्याचार करने वाले का नाम भी नहीं बता रहे हैं। धर्मराज सतयुग में पवित्रता दया और सत्याचार चरण थे त्रेता में तीन चरण रह गए द्वापर में दो ही रह गए और अब इस दुष्ट कलयुग के कारण आपका एक ही चरण रह गया है।
कलयुग क्या है कैसे हुई कलयुग की शुरुआत?
पृथ्वी देवी भी इस की बात से दुखी है इतना कहते ही राजा परीक्षित ने अपनी तलवार निकाली और कलयुग को मारने के लिए आगे बढ़े। राजा परीक्षित का क्रोध देखकर कलयुग कांपने लगा कलयुग भयभीत होकर अपनी राक्षसी वेस को उतारकर राजा परीक्षित के चरणों में गिर गया और क्षमा याचना करने लगा। राजा परीक्षित ने शरण में आए हुए कलयुग को मारना उचित नहीं समझा और उसे कहा कलयुग तुम मेरे शरण मैं आ गया है इसलिए मैं तुझे जीवनदान दे रहा हूं।
किंतु अधर्म, पाप, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि अनेक उपद्रवो का मूल कारण केवल तुम ही हो। तुम राज्य से अभी निकल जाओ और फिर कभी लौट कर मत आना। परीक्षित की बात को सुनकर कलयुग ने कहा पूरी पृथ्वी पर आपका निवास है पृथ्वी पर ऐसा कोई भी स्थान नहीं है जहां आपका राज्य ना हो ऐसे में मुझे रहने के लिए स्थान प्रदान करें।
कलयुग के यह कहने पर राजा परीक्षित ने सोच विचार कर कहा हिंसा, मद्यपान, परस्त्री गमन और हिंसा इन 4 स्थानों में असत्य, मध, काम और क्रोध का निवास होता है तू दिन चार स्थानों पर रह सकता है परंतु इस पर कलयुग बोला राजन यह 4 स्थान मेरे रहने के लिए अपर्याप्त है,मुझे अन्य जगह भी प्रदान कीजिए। इस मांग पर राजा परीक्षित ने उसे स्वर्ण के रूप में पांचवा स्थान प्रदान किया। स्वर्ण रूपी स्थान मिलते ही कलयुग वहां से चला गया कलयुग को इन स्थानों के मिल जाने से प्रत्यक्ष तो वहां से चला गया किंतु कुछ दूर जाने के बाद अदृश्य रूप में वापस आकर राजा परीक्षित के स्वर्ण मुकुट में निवास करने लगा।
मार्कंडेय पुराण के अनुसार कलयुग
मार्कंडेय पुराण में कलयुग के दौरान शासक जनता पर मनमाने भंग से शासन करेंगे। मन चाहे भंग से उन पर कर थोपेंगे। शासक अपने राज्य मैं अध्यात्मिक की जगह अपना प्रसार करेंगे। वह स्वयं एक बहुत बड़ा खतरा बन जाएंगे बड़ी संख्या में पलायन शुरू हो जाएगा। लोग सस्ते खाद्य पदार्थ और सुविधाओं की तलाश में अपने घरों को छोड़कर जाने के लिए मजबूर होंगे। धर्म को नजरअंदाज कर दिया जाएगा और लालच सत्ता पैसा सभी के मस्तिष्क में प्रबल रूप से विद्यमान रहेगा।
लोग पैसों के लिए बिना किसी पश्चताप के अपराधी बनकर लोगों की हत्या करेंगे। संभोग जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत बन जाएगी लोग बहुत आसानी से कसम खाएंगे और उसे तोड़ देंगे। वचनों का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। लोग मदिरा और अन्य नशीले पदार्थों की चपेट में आ जाएंगे गुरुओं का सम्मान करने की परंपरा समाप्त हो जाएगी। ब्राह्मण ज्ञानी नहीं रहेंगे छत्रियो का साहस खो जाएगा और वैश्य अपने व्यवसाय में ईमानदार नहीं रह जाएंगे। पुत्र पिता को मारेगा जब कलयुग अपने चरम पर होगा।