कामदेव कौन है
पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव श्री नारायण और देवी लक्ष्मी के पुत्र हैं.जिनका विवाह रति नाम की देवी से हुआ था,जिन्हे प्रेम और आकर्षण की देवी माना जाता है,भी कुछ कथाओं में यह भी बताया गया है कि कामदेव श्री ब्रह्मा जी के पुत्र हैं,और इनका संबंध भगवान भोलेनाथ से भी है,कुछ स्थान पर धर्म की पत्नी श्रद्धा से इनकी उत्पत्ति मानी जाती है, कामवासना के देवता कामदेव, कामदेव कौन है जो मनुष्य में कामवासना उत्पन्न करते हैं?
प्रेम की देवता
पश्चिमी देशों में क्योंपीड और यूनानी देशों में यूरोज को प्रेम का प्रतीक माना जाता है वेसे ही सनातन धर्म ग्रंथों में कामदेव को प्रेम और आकर्षण के देवता कहा जाता है.
कामदेव के नाम
कामदेव को राघबरंत, अनंत, कंदर्प, मनमथ, मानसीजा, मदन, रतिकांत,तथा पुष्पपांत आदि नामों से जाना जाता है.अलावा उन्हें अर्थदेव या गंधर्व भी कहा जाता है जो स्वर्ग के वासियों में कामेच्छा उत्पन्न करने के उत्तरदाई हैं, औरतों और कहीं-कहीं कामदेव को यक्ष की संज्ञा भी दी गई है.
कामदेव का स्वरूप
उनका वर्णन सुंदर पंखों से युक्त एक सुनहरे नवयुवक कि तरह किया गया है,जिनके हाथ में धनुष और बाण है. यह तोते के रथ पर मकर के चिन्ह से अंकित लाल ध्वज लगाकर भ्रमण करते हैं,इसके साथ ही कुछ शास्त्रों में इसे हाथी पर भी बैठे हुए बताया गया है.
कामदेव के धनुष और बाण.
इस देवता का धनुष गन्ने की मिठास से बना है जिसमें मधुमक्खियों का रस लगा हुआ है. उनके धनुष का वाण अशोक के पेड़ के खुशबूदार फूलों के साथ ही सफ़ेद नीले कमल चमेली और आम के पेड़ पर लगने वाले फूलों से बने होते हैं जो दिखने में काफी आकर्षक लगता है.
कामदेव मंदिर.
असम का खजुराहो मंदिर मदन कामदेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, वहां की मैथुन प्रतिमाओं मध्यप्रदेश के खजुराहो का स्मरण करवाती हैं. काम के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति की कथा आज भी सभी के मन में बसी हुई है,यह मंदिर घने जंगलों के अंदर वृक्षों से छीपा हुआ है, ऐसा कहते हैं कि हम सबके आराध्य देवता भगवान शंकर के त्रिनेत्र खोलने पर कामदेव भस्म हो गए थे, इसी स्थान पर उनका पुनर्जन्म तथा उनकी पत्नी रति के साथ पुनः मिलन हुआ था.
कामदेव की ऋतु – वसंत.
बता दें कि हिंदू धर्म में बसंत पंचमी के दिन ही कामदेव को पूजा जाता है, बसंत काम भगवान के मित्र हैं इसलिए कामदेव का धनुष फूलों से बना हुआ है. इस धनुष का कमान स्वर्ग विहीन होती है जिसका अर्थ है- ज़ब कामदेव कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं आती है,तो कामदेव को अनंग भी कहा जाता है जिसका अर्थ है बिना शरीर के यह प्राणियों में बसते हैं,इसलिए वसंत ऋतु को प्रेम का ही ऋतु माना जाता है. इसके साथ ही कामदेव स्त्रियों के शरीर में भी वास करता है,इसके साथ हि वो स्त्री के नयन, ललाट, भौ,और होठों पर विराजते हैं.अब आपको कामदेव से जुड़ी एक कथा बताते हैं.-
कामदेव की कथा
एक बार की बात है जब भगवान भोलेनाथ की पत्नी माता सती ने पति से परेशान और पिता के व्यवहार से क्रोधित होकर यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया था,इसके बाद सती ने ही अपने अगले जन्म पार्वती के रूप में लिया था. सति की मृत्यु के बाद भगवान भोलेनाथ संसार के सभी बंधनों को तोड़कर मोहमाया को पीछे छोड़ कर अपने तप में लीन हो गए,वह अपनी आंखें खोल ही नहीं रहे थे,ऐसे में सभी देवताओं ने कामदेव से प्रार्थना की वह अपना बान भोलेनाथ पर चलाएं ताकि शिवजी के भीतर देवी पार्वती के लिए आकर्षण हो सके,
सभी देवताओं के कहे अनुसार कामदेव ने ऐसा ही किया,जीससे शंकर जी क्रोधित हो गए और जब आंखें खोले तो उससे कामदेव भस्म हो गए.हालांकि बाद में नीलकंठ भगवान ने उन्हें जीवनदान दे दिया था लेकिन बिना शरीर के रहने के लिए.
श्री कृष्ण और कामदेव की कथा
पुरानी कथाओं की मानें तो श्री हरि के आठवें अवतार श्री कृष्ण को कामदेव ने अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश की थी,कामदेव ने प्रभु गोपाल से यह शर्त लगाई कि उन्हें भी स्वर्ग की अप्सरा और गोपियों के प्रति आकर्षित कर देंगे. भगवान श्री कृष्ण ने कामदेव की सभी शर्त स्वीकार की और गोपियों के साथ राश भी रचाया,फिर भी उनके अंदर एक पल के लिए भी कामवासना ने घर नहीं किया.
क्या आपको पता है कि देवी रति ने पाला था कामदेव को पुत्र की तरह.और फिर उनसे ही विवाह कर लिया था. मित्रों बता दे कि जब शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया तब यह देख रति विलाप करने लगी,तब जाकर भोलेनाथ ने कामदेव को पुनः श्री कृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेने की बात बताई,
शिव जी के कहे अनुसार भगवान श्री कृष्ण और देवी रुक्मणी को प्रदुमन के रूप में पुत्र प्राप्त हुआ जो कि कामदेव के ही अवतार थे. कहते हैं श्रीकृष्ण से घिर्णा के कारण राक्षस संभारासूर्य नवजात प्रद्युमन का अपहरण करके ले गया,और उसे समुद्र में फेंक दिया, जिसके बाद उस शिशु को एक मछली ने निगल लिया,और वह मछली मछुआरे द्वारा पकड़ी जाने के बाद संभारासूर्य के रसोई घर में जा पहुंची,
देवी रति नेहरा सा रसोई घर में काम करने वाली एक स्त्री मायावती का रूप धारण करके रसोई घर में पहुंच गई,जहां उसने उस मछली को काटा और उसमें निकले बच्चों को एक मां की तरह पाला,जब वह बच्चा युवा हुआ तो उसे पूर्व जन्म की सारी बातें याद दिलाई गई,इसके साथ ही सारी कलाएं भी सिखाई गई,तब अब प्रदुमन ने संभरासूर्य का वध किया और मायावती को अपनी पत्नी के रूप में द्वारिका ले आए. तो मित्रों आपने देखा कि कौन थे कामदेव के चौका देने वाले तथ्य,,,….
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