क्या मांस मछली खाने वाले लोग पापी होते हैं?

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क्या मांस मछली खाने वाले लोग पापी होते हैं?

मित्रों हिंदू धर्म के लोगों को अक्सर ये आशंका रहती है की मांस मछली तथा अंडा खाने वालों के साथ क्या होता है. वैसे तो शाकाहारी भोजन को हिंदू धर्म में सर्वाधिक माना जाता है लेकिन फिर भी कलयुग जैसे दौर में सभी धर्म के लोग बड़े ही चाव के साथ मांसाहारी भोजन खाते हैं तो आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि मांसाहारी भोजन करने वाले लोगों को पाप लगता है या नहीं? तो चलिए जानते है. क्या मांस मछली खाने वाले लोग पापी होते हैं?

क्या मांस मछली खाने वाले लोग पापी होते हैं?

जैसा कि दोस्तों वेदों में जानवरों को मारना पाप माना गया है और मांस खाना सख्त मना है। अथर्ववेद में कहा गया है कि आप इन चीजों को चावल ,गेहूं ,दाल आदि को भोजन के रूप में लें जो आपके लिए सबसे अच्छा और सादा भोजन है। दूसरी और ऋग्वेद में कहा गया है कि गाय जगत की माता है और उसकी रक्षा ही समाज का उत्थान है उन जैसे सभी जानवरों की रक्षा की जानी चाहिए।

गीता में मांस खाने और ना खाने का उल्लेख है जिसे 3 श्रेणियों में बांटा गया है। सात्विक भोजन करने वाले मनुष्य के विचार भी सात्विक होते हैं। तामसिक भोजन में मांस और शराब जैसी चीजों का सेवन किया जाता है इस प्रकार का भोजन करने वाले हमेशा अपने बुरे कर्मों की वजह से बीमार और आलसी रहते हैं। जो व्यक्ति मांस खाते हैं वह 36 प्रकार के नर्को में से एक-एक करके सभी नर्क में जाते हैं,जहां उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाते हैं और फिर उन हिस्सों को तेल में तला जाता है जिससे मनुष्य के लिए झेलना बहुत ही कष्टदाई माना जाता है इसलिए कहा जाता है की महानता जीवन लेने में नहीं जीवन देने में है।

 मांस खाने वाले ब्राह्मणों के साथ क्या होता है

चलिए इसी के साथ आपको ये भी बता दें कि आखिर मांस खाने वाले ब्राह्मण के साथ क्या होता है आज के युग में हर धर्म के लोग मांस खाते हैं। उन्हीं में से एक हमारे पूजनीय ब्राह्मण भी है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है ऐसा करने वाले ब्राह्मणों के साथ क्या होता है? क्या उनको भयानक सजाओ को भोगना पड़ता है या भगवान उनको माफ कर देते हैं?

अगर किसी मनुष्य का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ है और वो उस धर्म को त्याग कर मांस का सेवन करता है। तो ऐसे लोगों की जब मृत्यु पास होती है तब उनके दांत काले पड़ जाते हैं और पेट निकल आता है पुराणों की मानें तो उनकी मौत बहुत दर्दनाक होती है। कहा जाता है कि अगर भगवान ने किसी को इतनी श्रेष्ठता दी है और उसकी कदर ना की जाए तो भगवान का क्रोधित होना वाजिब है।

स्कंद पुराण काशीखंड के 3 अध्याय में कहां गया है कि जो ब्राह्मण मांस खाता है उसके जीवन पर धिक्कार है। ऐसे ब्राह्मण को ना तो मृत्यु लोक में सुख मिलता है और ना ही मृत्यु के बाद दूसरे लोक में। इतना ही नहीं स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शिव उन लोगों की पूजा कभी स्वीकार नहीं करते जो लोग मांस-मदीरा का सेवन करते हैं।

 मांस खाना पाप या पुण्य

वराह पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के वराह अवतार कहते हैं कि जो व्यक्ति मांस खाता है मैं ना तो उसकी पूजा स्वीकार करता हूं और ना ही उसको अपना भक्तों मानता हूं। साथ ही वह पृथ्वी देवी से कहते हैं कि जो मनुष्य गौ माता का मांस खाता है उसे मैं हर तरह से बर्बाद कर देता हूं और वो मेरे लिए एक अपराधी के समान होता है उसकी हर सुख-सुविधा को मैं मिट्टी में बदल देता हूं।

 मांस खाने के नुकसान

इसके अलावा भागवत गीता में श्री कृष्ण ने यह भी बताया है कि मनुष्य को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? भगवान कृष्ण के अनुसार मांस एक तामसिक भोजन है जिसके सेवन से मनुष्य की बुद्धि छीन होने लगती है और मनुष्य अपने इन्द्रियो पर से नियंत्रण खो देता है उसके बाद मनुष्य ना चाहते हुए भी कई तरह के अपराधों का भागी बन जाता है। और ऐसा मनुष्य जब मेरी पूजा करता है या मुझे याद करता है तो मैं उसके पास नहीं जाता हूं। इस तरह का भोजन करने वाले लोग अक्सर कुकर्मी, रोगी,दुखी और आलसी होते हैं।

आज के युग में लोग घर पर मांसाहार नहीं खाते पर बाहर जाकर खाते हैं या अपने मित्रों के साथ मिलकर मांस का सेवन करते हैं उन्हें लगता है कि ऐसा करके वो पाप का भागीदार नहीं बनेंगे। लेकिन ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है उन्हें भी ठीक वहीं सजाएं मिलेंगी जो बाकी मांसाहारीओ को भगवान द्वारा मिलती है। एक मनुष्य हर किसी को धोखा दे सकता है लेकिन परमात्मा से धोखा करना नामुमकिन होता है।  इसीलिए कहा जाता है ना घर में और ना ही कहीं बाहर मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।

श्री कृष्ण के अनुसार मनुष्य जानते हुए भी पाप क्यों करता है?

क्या भगवान मांस खाने वालों की पूजा स्वीकार करता है जानें?

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