गंगाजल कितना भी पुराना हो जाए ना तो खराब होते हैं और ना ही उसमें कीड़े पड़ते हैं। धर्म कहता है गंगा सबसे पवित्र नदी है इसलिए ऐसा होता है जबकि विज्ञान तथ्यों पर बात करता है। दरअसल मित्रों गंगाजल खराब ना होने का बड़ा सबूत तब मिला जब वैज्ञानिकों ने इसके लिए रिसर्च शुरू की लखनऊ के नेशनल पॉलीटिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट एंड बी आई आर ए के निदेशक डॉक्टर चंद्रशेखर नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में पाए जाने वाले ई कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है।गंगाजल कभी भी खराब क्यों नहीं होते है – पौराणिक कथा?
गंगाजल कभी भी खराब क्यों नहीं होते है – पौराणिक कथा?
एक इंटरव्यू में डॉक्टर नौटियाल ने कहा था मैंने यह परीक्षण ऋषिकेष और गंगोत्री के गंगाजल में किया जहां प्रदूषण ना के बराबर है। मैंने परीक्षण के लिए तीन तरह का गंगाजल लिया। एक ताजा, दूसरा 8 साल पुराना तथा तीसरा 16 साल पुराना गंगाजल लिया। उन्होंने तीनों तरह के गंगा जलों में ई कोलाई बैक्टीरिया डाला। जिसके बाद पता चला की ताजी गंगा पानी में 3 दिन जीवित रहा। 8 साल पुराने पानी में एक हफ्ता और 16 साल पुराने में 15 दिन यानी तीनों तरह के गंगा जलों में ईकोलाई बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया।
जिसमें इसका मतलब यह है कि गंगा के पानी में ऐसा कुछ है कि जो बीमारी पैदा करने वाले जीवाणु को मार देता उसको नियंत्रित करता है। हालांकि डॉ नौटियाल के रिसर्च भी खत्म नहीं हुई बल्कि उन्होंने यह पता लगाने के लिए ऐसा कौन सा बैक्ट्रीया है। उन्होंने गंगाजल को एक महीन झिल्ली से गुजारा जिसमें हर तरह का बैक्टीरिया अलग हो जाता है और उसके बाद गंगाजल में ई कोलाई बैक्टीरिया डाला तो भी बैक्टीरिया मर गया। इसका मतलब यह है कि गंगाजल में कोई ऐसा देवीय शक्ति है जिसका पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पा रहे हैं तो यह पहला कारण था।
दूसरा कारण जानिए वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्ट्रिया को खाने वाले बैक्टीरिया फार्स वायरस होते हैं। यह वायरस बैक्ट्रिया के तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं। उसके वजह से गंगा के पानी में किसी भी तरह का कोई बैक्ट्रिया नहीं होता और फिर आप उसे कितना भी शाल गंगाजल को उसमें कीड़ा होने का सवाल ही नहीं उठता। हालांकि आप गंगाजल को गर्म करते हैं तो उसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम हो जाती है। इसलिए आपने देखा होगा कि लोग पुरानी गंगाजल की बजाए नए गंगाजल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
गंगाजल कभी भी दूषित क्यों नहीं होते है
घरों में रखा गंगाजल अगर ज्यादा पुराना हो जाए तो फिर उसे जल्दी जल्दी खत्म कर नया गंगाजल ले आते हैं।इसके अलावा तीसरा कारण यह है की गंगा के जल में जो ऑक्सीजन लेवल है, वह देश ही नहीं बल्कि दुनिया के 7 नदियों से 25% ज्यादा है। यह तेजी से वातावरण से ऑक्सीजन सोखती है। यहां तक की दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़े हुए पदार्थों को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है इसीलिए गंगा जी जीवन दायनी है। इसीलिए भले ही आज गंगा दूषित हो गया है जिसे साफ करने की मुहिम चल रही है लेकिन गंगाजल में इतनी गंदगी होने के बावजूद भी उसकी क्षमता अधिक है।
इसके अलावा गंगा नदी का चौथा कारण गंगा नदी का बहाव है। गंगा गंगोत्री और हिमालय से क्षेत्रों से होकर आती है जहां उस में कई तरह के मिट्टी खनिज और जड़ी बूटियों मिल जाते हैं इन सब को मिलने से कुछ ऐसा मिश्रण बनता है जिससे गंगा जल सामान्य जल की तरह नहीं रह पाता इसीलिए कहते हैं कि गंगाजल सबसे पवित्र और पूजनीय है। खैर यह तो वैज्ञानिक मान्यता है लेकिन अब धर्म के नजरिए से देखें तो गंगा साक्षात है जो धरती पर भागीरथ की प्रयास से आई है।
लोगों को जीवन प्रदान करने वाले इस जल से सिंचाई होती है जानवरों की प्यास बुझती है गंगा की महिमा महान है। आज भले ही गंगा नदी इंसानों की गलती से दूषित हो गई है लेकिन इन गंगा की धार्मिक मान्यता बरकरार है।अब भी गंगा नदी की पवित्रता को लेकर अगर बात होती है तो लोग कहने लगते हैं कि जिस नदी को मां कहते हो वह तो इतनी गंदी है कि वहां नहाना दूर बल्कि उसका पानी पीने लायक नहीं है लेकिन ऐसा कहने वाले लोग यह भूल जाते हैं कि शायद गंगा की जगह दूसरी नदियां साफ होने की बावजूद भी गंगा का स्थान ग्रहण नहीं कर सकती।
गंगा जी की महिमा
अक्सर विदेशों के साफ नदियों के फोटो से तुलना की जाती है लेकिन यह बात भी विदेश के लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि गंगा जैसी पवित्र नदी यहां नहीं है और विदेशों से सैकड़ों की संख्या में लोग गंगा के किनारे अंतिम संस्कार करते हैं और उनकी अस्थियां को गंगा नदी में विसर्जन करने के लिए हवाई जहाज से यहां पर लोग आते हैं इसका सबसे बड़ा सबूत यही है कि गंगा दुनिया के पवित्र नदियों में से एक है।
हिंदू धर्म में हर नदी को मां माना गया है लेकिन गंगा की अपनी महिमा है यह महिमा इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि गंगा मां शिव की जटा में विराजमान है इसीलिए गंगा नदी की और पवित्रता पर जो भी सवाल उठाते हैं और विज्ञान पर आंख बंद करके भरोसा करते हैं उन्हें ऐसे रिसर्च को ध्यान से पढ़ना और सुनना चाहिए ताकि समझ आ सके कि जहां तक विज्ञान नहीं पहुंच सका वहां धर्म पहले पहुंच चुका है।
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