वैसे तो हिंदू धर्म के कई ग्रंथों में जन्म और मृत्यु से जुड़ी कथाओं का वर्णन किया गया है परंतु गरुड़ पुराण ही एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें पूर्णता मनुष्य के जन्म और मृत्यु से जुड़े रहस्य के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। आप सभी ने ध्यान दिया होगा कि जब कोई मनुष्य मृत्यु को प्राप्त करता है तब लोग कहते हैं कि भगवान उस आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे अर्थात उसे स्वर्ग में स्थान मिले, लेकिन यह बात भी सच है कि किसी के कहने या प्रार्थना करने मात्र से किसी मृत आत्मा को स्वर्ग में जगह नहीं मिलती बल्कि उसके द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार उन्हें स्वर्ग या नरक में भेजा जाता है जिसका वर्णन 18 पुराणों में से एक गरुड़ पुराण में किया गया है। आज किस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे कि कैसी आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिलता है और कौन से आत्मा को नर्क झेलना पड़ता है।
कौन सी आत्मा स्वर्ग में वास करती है
गरुड़ पुराण के धर्म कांड अध्याय प्रेत-कल्प भाग में मृत्यु के बाद मृत आत्मा के साथ होने वाले सभी कार्यों का वर्णन किया गया है। इसी भाग में पक्षीराज गरुड़ के पूछने पर भगवान श्री हरि मृत्यु के पश्चात कैसी आत्मा को कहां जगह मिलती है इसके बारे में भी बताया है। गरुड़ पुराण के अनुसार जो मनुष्य जीवित रहते हुए गलत कार्य करते हैं या फिर दुष्ट होते हैं वह नरक जाते है और जो लोग अच्छे कर्म करते हैं वह स्वर्ग जाते हैं। स्वर्ग जिसे देवताओं का स्थान माना जाता है जो बुरे कर्म करते हैं उसे नर्क में ले जाकर बुरी तरीके से दंडित किया जाता है जबकि अच्छे कर्म करने वाले मनुष्य को स्वर्ग में सभी तरह के सुख सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है।
भगवान विष्णु बताते हैं कि जिन आत्माओं को स्वर्ग में स्थान मिलता है उन्हें यमराज स्वयं अपने भवन से स्वर्ग के द्वार तक छोड़ने आते हैं जहां अप्सराये उनका स्वागत करती है इनके अलावा वैसे लोग जो दूसरे के बारे में सोचते हैं और जीवन भर परोपकार के काम करते हैं उन्हें मृत्यु के पश्चात बिना किसी संदेह के स्वर्ग मे स्थान मिलता है। वही जो लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं और जीवन भर किसी दूसरे का हित नहीं करते ऐसे मनुष्य को मृत्यु के पश्चात नर्क में स्थान मिलता है जहां यमदूत उन्हें कई तरह की यातनाएं देते हैं। इसके अलावा जो लोग समाज के लिए कुएँ, तालाब, मंदिर, मार्ग आदि का निर्माण कराते हैं उन्हें भी मृत्यु के बाद स्वर्ग में सम्मान के साथ स्थान दिया जाता है। वही जो लोग कुएं, तालाब मार्ग, मंदिर एवं सामाजिक स्थलों को हानि पहुंचाते हैं ऐसे दुष्ट लोगों को मृत्यु के पश्चात नरक में ले जाया जाता है, इतना ही नहीं जो मनुष्य अपना पेट दूसरों से झूठ बोलकर भरते है या फिर कोई गलत काम करके भरते हैं उन्हें भी नरक में स्थान मिलता है।
गरुड़ पुराण में आगे विष्णु जी बताते हैं जो मनुष्य स्त्रियों का सम्मान करता है, कन्या को बोझ नहीं बल्कि देवी लक्ष्मी का रूप मानता है, आत्महत्या जैसा प्रकृति विरुद्ध कदम नहीं उठाता बल्कि प्रकृति के द्वारा निश्चित जीवन चक्र को पूरा कर मृत्यु को प्राप्त करता है उसे भी मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है। वही जो मनुष्य किसी स्त्री की हत्या करते हैं, गर्भ हत्या करते हैं, आत्महत्या, ब्रह्म हत्या, गौ हत्या करते हैं या फिर किसी कन्या को बेच देते है ऐसे आत्मा को नर्क में जगह मिलती है। इन सबके अलावा गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जो लोग धर्म के अनुसार आचरण करते हैं, ऋषि मुनियों एवं गुरुजनों का आदर और वेद पुराण का अध्ययन करते हैं उन्हें भी मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान मिलता है। जबकि जो लोग धर्म को नहीं मानते उसकी निंदा करते हैं साथ ही ऋषि-मुनियों वेद पुराण एवं गुरुजनों का निंदा कर उसका मजाक उड़ाते हैं वैसे लोग भी नर्क की यातना की यातनाओ को झेलते हैं।
गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया कि मनुष्य को जीवित रहते दीन-हीनों पर दया करनी चाहिए जिससे उन्हें पुण्य प्राप्त होता है लेकिन कई ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जो अनाथ, बच्चे, बूढ़े आदि पर दया नहीं दिखाते है ऐसे लोग नरक में जाते हैं। इसके अलावा गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि मनुष्य जब भोजन करें तब उससे पहले किसी ना किसी को अवश्य भोजन कराना चाहिए या जब भी कोई उसके दरवाजे पर दीन-हीन भोजन या पानी मांगने आये तो उसे अवश्य भोजन कराना चाहिए इससे मनुष्य को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, और जो मनुष्य ऐसा काम नहीं करता बल्कि उसके दरवाजे पर आए हुए ऐसे लोगों को अपमानित करता है तो वे खुद ही अपने लिए नर्क के दरवाजे खोल लेता है।
इसके अलावा गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने यह भी बताया है कि जो मनुष्य जीवित रहते हुए अपनी आय का निश्चित हिस्सा दूसरों पर खर्च करके मदद करता है, या जो ब्राह्मण,साधु-संतों को दान करता है वह मृत्यु के पश्चात बिना किसी रूकावट के स्वर्ग पहुंचता है। और जो जीवन भर गीता का पाठ करवाता है या करता है, या फिर धर्म-कर्म, पूजा पाठ, भगवान के भजन में संलग्न रहता है उसे स्वर्ग में स्थान मिलता है। इसके अलावा जो मनुष्य अपने गुरुजनों एवं अपने माता पिता को मन लगाकर सेवा करता है उसे भी मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में स्थान मिलता है। इसीलिए तो कहा गया है कि माता-पिता एवं गुरुजनों के चरणों में ही स्वर्ग है।
Also read :- गरुड़ पुराण के अनुसार कैसी दिखती है – वैतरणी नदी?