गाय के किस अंग में कौन से देवी-देवताओं का वास है – पौराणिक कथा।

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मित्रों हिन्दू संस्कृति में गाय को सबसे पवित्र माना जाता है इसीलिए गाय को गौ माता भी कहा जाता है। आज भी कई घरों में गाय के लिए पहली रोटी बनाई जाती है। गाय को प्राचीन काल से ही बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। शुरू से ही यह मान्यताए चली आ रही है कि गौ माता में सभी देवी-देवता वास करते हैं इसलिए गाय को पूजनीय पशु माना जाता है। आप लोगों ने अभी हिंदू पुराणों की फोटो में गाय को देखा होगा कि उनके अंग में  कई भगवान वास करते हैं। तो आज हम लोग इसी के बारे में जानेंगे।आज हम लोग जानेंगे की गौ माता के शरीर के किस अंग में कौन से देवी देवता वास करते हैं।गाय के किस अंग में कौन से देवी-देवताओं का वास है – पौराणिक कथा।

गाय के किस अंग में कौन से देवी-देवताओं का वास है – पौराणिक कथा।

मित्रों कहा जाता है कि जिस घर में गाय को पाला जाता है वह घर हमेशा सुख शांति से भरी होती है। शास्त्रों के मुताबिक रोज सुबह स्नान करके गौमाता को स्पर्श करने से सभी पाप धुल जाते हैं। वेदों में गाय को बहुत अधिक महत्व दिया गया है वेदों के मुताबिक गाय में देवताओं का निवास होता है। पुराणों के मुताबिक गाय के मुख में चारों वेदों का निवास होता है। गाय के सींग में भगवान शिव का वास माना जाता है और गौ माता के पेट में भगवान शिव जी के बड़े बेटे कार्तिकेय का वास माना जाता है। गौ माता के मस्तक में ब्रह्मा जी, ललाट में रुद्र, सींग के आगे वाले भाग में  इंद्र देव जी, और कानों में अश्विनी कुमार का वास होता है।

 गाय के अंगों में देवताओं का वास

गौ माता की आंखों में उनमें सूर्य और चंद्र, दांतों में गरुड़ जीभ में सरस्वती जी का वास होता है। गाय के अपान में सारे तीर्थ, और मूत्र में स्थान में गंगा जी, दक्षिण पैर के भाग में वरुण और कुबेर, उत्तर के पैर में महाबली यक्ष, गाय के रोमों में सभी ऋषि गण, गाय के खुरो के पिछले भाग में अप्सरा, मुख के भीतर गंधर्व, नासिका के अग्रभाग में सर्प का वास, और गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है। जो व्यक्ति गाय की सेवा एवं पूजा करता है उस पर आने वाले सभी प्रकार की विपदा को गौ माता हर लेती है। ऐसी मान्यता है कि गाय जहां में विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते है।

गौमाता के स्तनों में समुद्र का वास होता है। गाय के दूध की बात की जाए तो उसमें स्वर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है। गाय के पूछ में पवन पुत्र हनुमान का वास माना जाता है ऐसा माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को बुरी नजर लग गया है तो गाय की पूंछ से झाड़ा लगाने से उसकी नजर उतर जाती है। गाय के पैरों में लगी हुई मिट्टी को तिलक बनाकर लगाने से हमें सभी तीर्थ स्थानों का फल मिलता है।

गाय के शरीर में कैसे बसे सभी हिंदू देवी देवता – पौराणिक कथा।

मगर क्या आप जानते हैं कि गाय के शरीर में इतने सारे देवी-देवताओं का वास कैसे हुआ अगर नहीं तो चलिए जानते हैं। एक समय की बात है एक बार सभी देवी- देवता सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और वह सभी देवी देवता ब्रह्मा जी से बोले कि – हे पितामह हम सभी देवी देवता अलग-अलग रहते हैं और मानव भी अपनी अपनी इच्छा अनुसार अलग-अलग देवी देवताओं की पूजा करते हैं तो इसका एक सुनिश्चित हल निकालिए जिसका मानव जाति को हमसभी देवी देवताओं का फल एक ही समय में मिल जाए और हम लोग को एक सुनिश्चित स्थान में बताइए जहां हम सभी देवी-देवताओं साथ-साथ रह सके।

गाय के किस अंग में कौन से देवी-देवताओं का वास है – पौराणिक कथा।

तब फिर ब्रह्मा जी ने उन सभी देवताओं से कहा आप सभी देवी-देवता गाय में विराजमान हो जाइए क्योंकि इससे बड़ा उत्तम पशु इस संसार में और कोई नहीं होगा और मानव जाति क्या लिए गाय सभी देवी देवताओं के समान ही होगा उसकी सेवा करने से उनकी संपूर्ण इच्छाएं पूरी हो जाएगी और सभी देवताओं का फल भी उन मानवों को मिलेगा। इसलिए जो व्यक्ति प्रेम-भाव से गाय की सेवा करेगा उससे बड़ा भाग्यशाली और कोई नहीं होगा।

 गाय के बारे में महत्व

इसीलिए गाय की सेवा करने से लौकिक एवं परलौकिक दोनों सुखों की प्राप्ति हो जाती है। ब्रह्मांड पुराण, महाभारत, स्कंद पुराण इन पुराणों में गाय का विस्तृत वर्णन किया गया है जिनमें इसकी महत्वता के बारे में बताया गया है। मान्यता है कि जिस स्थान पर गाय का समूह बैठती है उस स्थान पर से पाप एवं नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती है। तीर्थों में स्नान एवं दान-पुण्य करने से, ब्राह्मणों को भोजन कराने से, व्रत उपवास आदि कराने से जो फल मिलता है  वो फल सिर्फ गाय की सेवा करने से ही मिल जाती है।

गाय के बारे में ऐसा माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वह व्यक्ति अपने हथेली में गुड़ रखकर गौमाता को खिलाने से उसके हाथ की सोई हुई भाग्य रेखा जाग जाती है और उस व्यक्ति के जीवन में सब कुछ अच्छा होने लगता है। ऐसा कहा जाता है कि गाय को कभी भी मारना पीटना नहीं चाहिए ऐसा करने वाला व्यक्ति अपनी माता को मारने के समान पाप भोगता है और वह नर्कगामी होता है। और जो व्यक्ति गाय की सच्चे मन से सेवा करता है वह सभी सुखों को प्राप्त करके स्वर्ग लोक को जाता है और अच्छे कुल में जन्म लेता है।

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