गाय माता को जूठन खाने का श्राप क्यों दिया गया?

0
1228

हिंदू धर्म में गाय को माता के समान माना जाता है और उनके पूजा एवं सेवा भी की जाती है। गाय को संसार के सभी पशुओं में उच्च श्रेणी का स्थान दिया जाता है। यहाँ तक की हमारी रसोई में बनी हुई पहली रोटी भी गौ माता के नाम की ही होती है और तो और किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान गाय के गोबर, दूध, दही, घी के अलावा पूरा ही नहीं होता है  गाय माता को जूठन खाने का श्राप क्यों दिया गया?

लेकिन दोस्तों क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि भोग लगने या फिर घर से रोटी मिलने के बाद भी गाय को कूड़े के ढेर में या फिर जूठन खाते हुए दिख जाती है। आखिर ऐसा क्यों तो आज हम लोग इसी के बारे में बात जानँगे कि क्यों गाय पूजनीय पशु होने के बावजूद भी झूठे खाने पर मजबूर है।तो चलिए जानते हैं।

गाय माता को जूठन खाने का श्राप क्यों दिया गया?

हमारे धर्म शास्त्रों में माता पार्वती के द्वारा गाय को जूठन खाने को श्राप दिए हुए एक उल्लेख का वर्णन मिलता है जिसका कथा इस प्रकार है। एक बार माता पार्वती ने तीज के दिन व्रत रखा था और जब माता पार्वती के व्रत खोलने का समय आया तो भोलेनाथ ने हंसी ठिठोली करने की सोची। तब फिर भोलेनाथ ने अपनी पत्नी को तंग करने के लिए कहीं छिप गए। माता पार्वती ने अपने पति को ढूंढने के लिए चारों दिशाओं में भ्रमण किया फिर भी उन्हें भोलेनाथ कहीं नहीं मिले। तब फिर माता पार्वती जब निराश हो गई तब जाकर किसी एक स्थान पर बैठ गई और वह अपने पति को लौटने का इंतजार करने लगी।

 

समय बिता के फिर भगवान शंकर उनके पास नहीं पहुंचे। सूर्य भी ढलने वाला था ऐसे में माता पार्वती ने सोचा भगवान तो खुद ही इस संसार के जनक है जिनसे कोई भी बात छिपी नहीं है ऐसे में वह जहां भी होंगे वह हमें पूजा करते हुए जरूर देख लेंगे। यह सोचकर माता ने मिट्टी का शिवलिंग बनाया और उनकी पूजा करने लगे और यह सब कार्य भगवान शिव अदृश्य होकर देखकर मुस्कुरा रहे थे।

 

गाय जूठन क्यों खाती है- पौराणिक कथा

 

जैसे ही पूजा समाप्त होने के बाद माता ने नदी में सामग्री विसर्जित की वैसे ही भोलेनाथ उनके सामने प्रकट हो गए और माता पार्वती को सताते हुए बोले, हे देवी तुमने तो मेरे बिना ही पूजा कर ली क्या तुम मेरे लौटने का इंतजार नहीं कर सकती आखिर ऐसा क्यों? माता पार्वती ने कहा कि स्वामी मैंने तो आपका बहुत इंतजार किया लेकिन समय बीतता चला गया इसलिए मैंने मिट्टी का शिवलिंग बनाकर आपकी पूजा की और अपना व्रत पूर्ण किया। तब भगवान शिव ने बोला कि मैं तुम्हारी बात का विश्वास कैसे करूं क्या तुम्हारे पास कोई साक्ष्य है? तभी वहां माता ने एक गाय को खड़ा देखा जो सब कुछ देख रही थी। माता पार्वती ने भोलेनाथ से कहा कि यह गाय मेरी पूजा कि साक्षी है आप इन्हें भी पूछ लीजिए।

 

लेकिन वह गाय भी भगवान शंकर के साथ ही हसीं-ठिठोली से वाकिफ थी। तब महादेव ने उस गाय से पूछा कि ये क्या सच बोल रही है तब गाय ने भी भगवान शिव के साथ देते हुए ना में सर हिला दिया। तब महादेव ने हंसते हुए माता पार्वती से कहा कि वह हंसी ठिठोली कर रहे थे और उन्हें सत्य का ज्ञान है। तब माता पार्वती ने अपने पति के सामने आकारण ही झूठा कहलाने का करण व सह नहीं सकी और वह गाय को श्राप देते हुए कहा कि “जिस तरह आज तुमने झूठ बोला है उसी प्रकार संसार में तुझे जूठन ही खानी पड़ेगी, तुझे कितना भी अच्छा भोजन क्यों ना मिल जाए फिर भी तुम हमेशा झूठन के पीछे ही भागेगी”।

 

गाय और माता पार्वती की कथा

 

यह सुनकर गौमाता रोने लगी और तब भगवान शंकर भोले कि “वह तो मेरे कहने पर ही झूठ बोल रही थी और इसमें उसकी कोई गलती नहीं है”। यह सुनकर माता पार्वती को अपने दिए गए श्राप पर दुख हुआ और उन्होंने पुनः गौ माता को यह वरदान दिया कि वह दिव्यजन्मा है और उनके सभी गुण यथावत ही रहेंगे, लेकिन उनका दिया हुआ श्राप अब नहीं टल सकता। तो दोस्तों माता पार्वती और गौ माता कि यह कथा हमें यह शिक्षा देती है कि जीवन में झूठ बोलने के हमें कितने भयंकर परिणाम झेलना पड़ता है।

गाय के किस अंग में कौन से देवी-देवताओं का वास है – पौराणिक कथा।

गाय के बारे में रोचक जानकारी – Amazing facts about of Cow.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here