चाणक्य के अनुसार पत्नी मित्र और नौकर की परीक्षा कैसे ले?

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 दोस्तों किसी भी मनुष्य के लिए उसके जीवन में उसकी पत्नी, दोस्त, सगे संबंधी बेहद महत्वपूर्ण होता है और इन सब व्यक्तियों से उनकी जिंदगी घिरी रहती है। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि यह सारे लोग आपके विश्वास के लायक है भी नहीं, या तो फिर अपने मतलब या फायदे के लिए ही यह आपका साथ निभाते हैं।मित्रों आचार्य चाणक्य का नाम बड़े विद्वानों में शामिल है उनके बुद्धि पर नीति के मिसाले लोग आज तक देते हैं। चाणक्य के अनुसार पत्नी मित्र और नौकर की परीक्षा कैसे ले?

चाणक्य के अनुसार पत्नी मित्र और नौकर की परीक्षा कैसे ले?

वह अपने सामने किसी भी मनुष्य को देखकर बता सकते थे कि उसके मन में क्या चल रहा है, और वह व्यक्ति कैसा है उस पर भरोसा करना चाहिए या नहीं वह अपने समय में इन सब चीजों से जुड़ी बातें अपने शास्त्र में लिखते हैं। जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस समय की थी। चाणक्य की कुछ ऐसी ही बातें जिनके जरिए हम यह बता सकते हैं कि कोई दोस्त, संबंधी, नौकर या पत्नी भरोसे लायक है या नहीं आइए जानते हैं।

 नौकर की परीक्षा 

मित्रों नौकर की विश्वसनीयता पर रखने के लिए उसे बड़े जिम्मेदारी वाला काम दे। चाणक्य कहते हैं कि जब आपके नौकर या फिर सेवक को जिम्मेदारी वाला खारे दिया जाएगा तभी अब पता चल पाएगा कि वह कितना योग्य है। नौकर की वफादारी जानने के लिए उससे पैसों से संबंध है काम दे और ऐसे उस पर निगरानी करें और उसे पता भी ना चले। अगर वह गलत होगा और चोरी करने का प्रयास करता है तो इससे आपको मालूम पड़ जाएगा कि वह वफादार है या नहीं।

मित्र बंधु और सगे संबंधी की परीक्षा 

अपने मित्र बंधुओं सगे-संबंधियों की विश्वसनीयता जानने के लिए हमें खुद को संकट या परेशानी में हुआ बताना चाहिए, और फिर यह देखना चाहिए कि वह कौन से लोग हैं जो सच में हमारे मित्र बंधु या सगे संबंधी है और जो हमारी सहायता करने के लिए सामने आते हैं। चाणक्य नीति अध्याय 1 श्लोक 12 के अनुसार किसी रोग से पीड़ित होने पर दुख या अकाल फिर शत्रु की तरफ से संकट आने पर राज्यसभा छूटने पर या फिर किसी की मृत्यु होने पर जो व्यक्ति साथ नहीं छोड़ता वही सच्चा मित्र बंधु अथवा सखा माना गया है

पत्नी की परीक्षा 

मित्रों आपकी पत्नी को परखने के लिए उसके सामने अपनी गरीबी और मुश्किलें दिखाना शुरू करें या तो फिर ऐसा जताये है कि हमारे पास धन समाप्त हो गया है। फिर यह देखें कि इस स्थिति में आपकी स्त्री आपका साथ देती है कि नहीं और अगर देती है तो वही आपकी सच्ची जीवनसाथी है और नहीं तो वह आपके पैसे से ही प्यार करती है। इससे अब जान सकते हैं कि पत्नी का प्यार धन से था या फिर सच्चा।

चाणक्य की कुछ महत्वपूर्ण बातें 

आइये जानते है अब चाणक्य के अनुसार इस कलयुग दुनिया में किसे अपना तो बताना चाहिए और किसे नहीं। आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक में लिखा है अपना दुख दर्द सब को ना बताएं मरहम तो एक आधे घर में ही मिलेगा और नमक घर-घर मैं मिलेगा। जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपना दुख-दर्द हर किसी के सामने नहीं बताना चाहिए, क्योंकि दुनिया में बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं जो आपके दुखों का निवारण करते हैं।

जो कि अधिकतर लोग आपकी दुख सुनकर और अधिक प्रसन्न होते हैं और अपनी कटाक्ष बातों से आपकी दुख को और बढ़ाते हैं। नीति शास्त्र के अनुसार मनुष्य जब परेशानी में होता है तो उसका मन भारी हो जाता है वह अपने मन को हल्का करने के लिए अपनी बात को किसी के सामने बोलने का प्रयास करता है लेकिन भावनाओं में आकर अपना दुख कभी ऐसे मनुष्य के सामने सुनाने लगता है जो उसका शुभचिंतक नहीं होता है।

चाणक्य नीति 

ऐसे लोगों आपकी परेशानी जानने के बाद पीठ पीछे बहुत खुश होते हैं और बातें बनाते हैं, ऐसे मैं अपना दुख हर किसी को बताने से पहले यह समझ ले कि वह इंसान आपका हमदर्द है या नहीं। मित्रों ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई मनुष्य को कोई चिंता या परेशानी हो तो उसे भागवत और गीता का पाठ जरूर करना चाहिए। क्योंकि ऐसी मान्यता है की गीता जो भी मनुष्य पाठ करता है  उसके जीवन में आने वाले मुश्किल हो तो वह उसका हल करने में सक्षम हो जाता है।

गीता में वर्णित हर एक श्लोक मनुष्य की हर परेशानी को कम कर सकता है तो मित्रों आज हमने जाना कैसे अपने करीबी मित्रों पर भरोसा कर और किसे अपना सुख दुख बांटना चाहिए,  अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप अपने मित्रों और सगे संबंधियों से साझा जरूर करें।

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