जन्म से पहले और मृत्यु के बाद आत्मा कहां रहती है – गरुड़ पुराण?

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मित्रों जैसा कि हम सभी जानते कि हमारे शरीर नश्वर है और यह बार-बार जन्म मृत्यु को प्राप्त होते रहता है लेकिन मरता सिर्फ हमारा शरीर ही है इसके अंदर रहने वाली आत्मा को कुछ नहीं होता है वह शरीर की मृत्यु के बाद वह आत्मा एक शरीर से लेकर दूसरे शरीर में प्रवेश करते रहता है और यह सिलसिला चलते रहता है  मगर आज हम लोग जानेंगे कि मनुष्य के जन्म से पहले और मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है क्या करती नहीं इन्ही सब के बारे में जानेंगे जिसका वर्णन हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक गरुड़ पुराण में दिया गया है तो चलिए जानते हैं।जन्म से पहले और मृत्यु के बाद आत्मा कहां रहती है – गरुड़ पुराण?

जन्म से पहले और मृत्यु के बाद आत्मा कहां रहती है – गरुड़ पुराण?

गरुड़ पुराण में वर्णित कथा के अनुसार जैसे ही एक आत्मा अपना शरीर का त्याग करता है तो उस आत्मा को परलोक ले जाने के लिए यम का दूत पहले से ही वहां मौजूद होता है। जिन्हें उन यमदूतों को देखकर अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति का आत्मा बड़ी ही आसानी के साथ उनके साथ चल देते हैं लेकिन बुरे कर्म करने वालों की आत्मा को यमदूत द्वारा जबरदस्ती खींच कर ले जाया जाता है। जिसके बाद उन यमदूतो द्वारा आत्माओं को ले जाकर यमराज के सामने उपस्थित करते हैं जहाँ पर उन आत्माओं द्वारा जीवन में किया गए अच्छे,बुरे कर्मों का हिसाब देते है और 24 घंटे तक वह आत्मा यमलोक में ही रहती है।

 मृत आत्मा का सफर 

उसके बाद यमदूत 24 घंटे के बाद उन आत्माओं को वही ले जाकर छोड़ देते हैं जिस घर में उसकी मृत्यु हुई थी। जिसके बाद यहां वह आत्मा 13 दिनों तक अपने घर में रहती है और फिर 13 दिनों के पश्चात अंतिम संस्कार से जुड़ी सभी क्रियाएं समाप्त होने पर यमदूत उन्हें फिर से लेने आते हैं और उन्हें अपने साथ यमलोक की यात्रा पर ले जाते हैं। जहां उन्हें जब लोग तक पहुंचने वाली मार्ग में अनेक प्रकार की यातनाएं सहनी पड़ती है

अगर मरने वाले की आत्मा पुण्यआत्मा हो तो वह बहुत ही आसानी से यमलोक के मार्ग को पार कर जाते हैं और वही कोई दुराचारी एवं पापी आत्मा हो तो उन्हें यमलोक के मार्ग में बहुत अधिक कष्टों का सामना करना पड़ता है जिसमें यमलोक के मार्ग में वैतरणी नदी भी आती है जहां बुरी आत्माओं को इन नदी से होकर गुजरने पड़ती है और ऐसा नहीं करने पर उन्हें यमदूत ओके द्वारा प्रताड़ित किया जाता है।

17 दिनों के बाद इस भयानक मार्ग से यात्रा करने पर 18 वें दिन यमदूत उन आत्मा को लेकर यमलोक पहुंचते हैं। यमलोक पहुंचने के बाद यमलोक से सटी पुष्पोदका नाम की एक नदी मिलती है जिसका जल स्वच्छ एवं निर्मल एवं उसमें कमल के पुष्प खिले हुए हैं उस नदी के किनारे एक वटवृक्ष भी मिलता है जहां पर आत्मा बैठकर विश्राम करती है और उसके परिजनों द्वारा किए गए पिंडदान उसी वृक्ष के पास प्राप्त होता है जिससे उन आत्मा में शक्ति का संचार होता है।

 यमलोक में आत्माओं का स्वर्ग या नरक का गमन 

 नदी पार करने के बाद जब आत्मा यमलोक में पहुंचती है तब आत्माओं को यमदूतओ द्वारा यमराज की सभा में उपस्थित किया जाता है जहां उनकी सभा में एक से एक बढ़कर ज्ञानी एवं विद्वान मौजूद रहते हैं। तब धर्मराज उन आत्मा को किए गए कर्मों के अनुसार एवं वहां उपस्थित ज्ञानी एवं विद्वानों की सहमति से उन्हें स्वर्ग या नरक लोक भेज दिया जाता है जहां वह अपने कर्मों का फल भोग सके। कुछ आत्मा ऐसी भी होती है जो मोक्ष को योग्य होती है उन्हें विष्णु लोक भेज दिया जाता है ऐसे आत्माओं को फिर इस संसार में पुनर्जन्म लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

 स्वर्ग गए हुए आत्मा देवताओं के जैसे शरीर प्राप्त करके अपने कर्मों का फल भोगते है और नर्क में वास करने वाले आत्माओं को भी एक दिव्य शरीर मिलता है जिसकी मृत्यु नहीं होती है परंतु उन्हें इस शरीर में उन्हें नर्क में मिलने वाले कष्ट एवं पीड़ा सहनी पड़ती है। स्वर्ग या नरक में गए हुए आत्माओं के जब कर्मफल का भोग पूरा हो जाते हैं तो फिर उन्हें पृथ्वी लोक पर आकर पुनः जन्म मृत्यु के चक्र में उलझना पड़ता है। स्वर्ग में गए हुए आत्मा फिर से मनुष्य योनि में जन्म लेकर अपना कर्म करने लगते हैं।

नर्क में रहने वाली बुरी आत्मा अपने कर्मों का फल भोग कर फिर से पृथ्वी लोक पर आकर पशु-पक्षियों, पेड़-पौधे एवं 8400000 योनियों भटकने के बाद तब फिर उन्हें सकाम कर्म एवं मोक्ष प्राप्त करने के लिए मानव शरीर प्राप्त होता है फिर भी आज के समय में लोग धर्म का आचरण छोड़कर गलत राह पर चलते हैं इसका परिणाम लंबे समय तक भुगतना पड़ता है इसलिए दोस्तों हम लोग जीवन में जितने अच्छे से अच्छे कर्म करें तभी हमारा मानव जीवन सफल होगा।

यमलोक का मार्ग कैसा होता है – गरुड़ पुराण?

गरुड़ पुराण के अनुसार कैसी दिखती है – वैतरणी नदी?

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