दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की  पूजा क्यों होती है।

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दीपोत्सव क्यों मनाया जाता है

मित्रों हमारे हिंदू धर्म में दीपों का पर्व यानी दीपावली बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है परंतु दिवाली मनाई क्यों जाती है। इसके कई सारे प्रचलित कथाएं कोई कहता है जब भगवान राम त्रेता युग में 14 वर्ष वनवास और रावण पर विजय प्राप्त कर क्यों अयोध्या वापस लौटे थे तब अयोध्या वासियों ने दीप जला कर खुशी मनाई थी। और तभी से इस त्यौहार मैं दीप जलानेकी परंपरा चली आ रही है।दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की  पूजा क्यों होती है।

जो कि एक दूसरी कथा के अनुसार द्वापर युग में श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करके प्रजा को उसका आतंक से मुक्ति दिलाई थी तब द्वारिका वासियों ने उसे दीप जलाकर धन्यवाद दिया था और तभी से यह दीपोत्सव मनाया जाता है।

वही एक और मान्यता के अनुसार सतयुग में जब समुद्र मंथन हुआ तो धन मंत्री देवी लक्ष्मी के प्रकट होने पर दीप जलाकर आनंद व्यक्त किया गया था और उसी के बाद से दीपों का त्यौहार मनाया जा रहा है। लेकिन क्या मित्रों आप जानते हैं की सभी के घरों में भगवान गणेश और और माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है अगर नहीं तो चलिए हम बताते हैं इसके पीछे की वजह क्या है।

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मित्रों हमारे पौराणिक ग्रंथों में इस कथा का वर्णन मिलता है की दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा एक साथ क्यों की जाती है। इस कथा के अनुसार पौराणिक समय में वेरागी साधु के मन में राज्य सुख भोगने की इच्छा हुई तो उसने माता लक्ष्मी की आराधना शुरू की वह साधु प्रतिदिन नियम पूर्वक माता लक्ष्मी की आराधना करते थे।

फिर कुछ समय बिता तब उस साधु की आराधना से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी उसके सामने प्रकट हुई यह देख कर साधु प्रसन्न हो गया। उसने माता लक्ष्मी को प्रणाम किया और माता ने उसे उच्च पद और सम्मान देकर वहां से अंतर्ध्यान हो गया। उसे वरदान मिलने के बाद मन में अभिमानी साधु राजा के दरबार में जा पहुंचा और उसने राजा को धक्का मारकर सिंहासन से नीचे गिरा दिया।

यह देखकर राजा के सभी दरबारी चकित हो गए लेकिन जब तक राजा और उसके दरबारी उस साधु को कुछ कह पाते, तब तक उसने देखा कि राजा के मुकुट से निकल कर एक काला नाग भाग रहा है जो गिरने के बाद राजा के सर से अचानक से अलग हो गया और जमीन पर गिर पड़ा।यह देखकर राजा और उसे सही दरबारी उस साधु की चमत्कारी देखकर सभी ने जय-जयकार करने लगे। राजा ने साधु से कहा हे ब्राह्मण आज मैं आपके कारण ही जिंदा बचा हूं, नहीं तो यह काला नाग मेरा प्राण ले लेता।

दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की  पूजा क्यों होती है।

इसके बाद उसने साधु को सम्मान पूर्वक अपना मंत्री बना दिया और अपने सेवकों से कहा कि साधु जी के लिए नए महल की व्यवस्था की जाए। उस दिन के बाद यह साधु  बड़े ही शांत से राजा के महल में रहने लगा। अभी साधु को आए कुछ ही दिन हुए थे कि एक दिन राजा अपने दरबारियों के साथ किसी विषय पर बातचीत के लिए संचालित कर रहे थे तब तभी वह साधु आया और सभी के सामने राजा को खींचकर ले जाने लगा।

तभी सभी दरबारी मन ही मन सोचने लगे कि यह साधु महाराज को क्या हो गया है और वह भी उसके पीछे-पीछे महल से बाहर की ओर निकल पड़े। जैसे ही राजा और सभी दरबारी महल के बाहर पहुंचे और एक जोरदार भूकंप आया और पूरा का पूरा महल जमीन पर दब गया। यह देख कर एक बार फिर राजा और सभी दरबारी साधु का जय जयकार करने लगे यह देख साधु के मन में और अहंकार उत्पन्न होने लगा और समय के साथ साथ उनका यह अहंकार बढ़ता ही गया।

फिर उसने एक दिन राजा के महल में रखें गणेश जी को प्रतिमा को जल्द से जल्द हटाने का आदेश दिया और वह भी सिर्फ इसलिए कि गणेश जी कि वह प्रतिमा देखने में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी। मूर्ति तो अब हटा दिए गए लेकिन साधू के इस कर्म से भगवान गणेश रुष्ट हो गए और फिर साधु की बुद्धि भी भ्रष्ट होने लगी। जिसकी वजह से वह उल्टे उल्टे काम करने लगा। अब कुछ समय तक तो राजा सब कुछ सहता रहा लेकिन जब हद हो गई तब उसने साधु को कारावास में डाल दिया।

 लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों होती है।

कारावास में जाने के बाद साधु को एक बार फिर माता लक्ष्मी की याद आई और वह पुनः उनकी आराधना करने लगा। मां लक्ष्मी ने एक बार फिर साधु को दर्शन दिया और उसने बताया कि तुमने गणेश जी का अपमान किया है अगर गणेश जी की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करो। फिर साधु ने माता लक्ष्मी के आदेशानुसार गणेश जी की आराधना की ओर तब जाकर गणेश जी का क्रोध शांत हुआ।

कुछ दिन में गणेश जी राजा के सपने आये और उनसे बोले कि राजन साधु को सम्मान पूर्वक एक बार फिर से मंत्री बना लो और फिर अगले दिन राजा ने आदेश का पालन करते हुए राजा ने साधु को मंत्री पद के लिए सुशोभित किया। और मित्रों इस प्रकार मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा साथ-साथ होने लगे क्योंकि हिंदू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना गया है और ऐसा माना जाता है कि माता लक्ष्मी आ भी जाती है तो आप उसे बुद्धि के इस्तेमाल किए बिना उसे नहीं रोक सकते हैं इसलिए दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की भी पूजा होती है।

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