पृथ्वी पर सबसे पहले मनुष्य का जन्म कैसे हुआ?

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पृथ्वी पर सबसे पहले मनुष्य का जन्म कैसे हुआ?

पृथ्वी पर मनुष्य का जन्म कैसे हुआ पृथ्वी पर मनुष्य का जन्म आज भी रहस्य का विषय है. आप भले ही कितनी किताब पढ़ ले लेकिन इस नतीजे पर धर्म और विज्ञान की राय आपको अलग-अलग ही मिलेगी. ऐसा नहीं है कि सिर्फ हिंदू या सनातन धर्म ही यह कहता है कि इंसान मनु और शतरूपा की संतान है बल्कि दूसरे धर्म के लोग भी खुद को एडम और हिव संतान मानते हैं लेकिन विज्ञान का दावा इससे उलट है. आज इसके माध्यम से हम यह जानने का कोशिश करेंगे की आखिर पृथ्वी पर मनुष्य का जन्म कैसे हुआ.पृथ्वी पर सबसे पहले मनुष्य का जन्म कैसे हुआ?

पृथ्वी पर सबसे पहले मनुष्य का जन्म कैसे हुआ?

पृथ्वी पर जीवो की उत्पत्ति को लेकर हर धर्मगुरु दार्शनिक और वैज्ञानिको की राय अलग-अलग है हालांकि आप चाहे हिंदू धर्म ग्रंथ उठाये या फिर मुस्लिम ऐसा ही उनमें आपको ज्यादातर बातें एक ही तरह के मिलेंगे, बस नाम अलग हो सकते हैं. हिंदू पुराण कहते हैं कि घनघोर अंधेरे में पहले ब्रह्मा का जन्म हुआ जन्म के तुरंत बाद वह तपस्या करने लगे तपो शक्ति से ही उनके एक अंग से जीवो का जन्म हुआ पृथ्वी पर पहली मनुष्य जोड़ी मनु और शतरूपा की थी, पूरी दुनिया उन्हीं की संतान है.

जबकि इस्लाम धर्म का कुरान कहता है कि अल्लाह ने हर जीवित चीज को पानी से बनाया है उसी से पूरे संसार की रचना हुई है जबकि ईसाइयों का धर्म ग्रंथ बाइबल कहता है 6000 साल पहले किसी शुभ दिन ईश्वर ने विश्व की सभी प्रजातियों की रचना एक झटके में कर दी. हालांकि इस बात पर कई लोग सवाल भी उठाते हैं क्योंकि हिंदू धर्म की माने तो सिर्फ कलयुग ही 5000 वर्ष बीत चुका है इसके हिसाब से सतयुग, द्वापर और त्रेता युग में फिर इंसान या फिर दुनिया नहीं होनी चाहिए थी .

आमतौर पर हर धर्म की यह धारणा बिल्कुल एक जैसी है कि पृथ्वी पर जीव जंतुओं की उत्पत्ति एक चमत्कार है जबकि विज्ञान इससे उलट दावे करता है. महान यूनानी दार्शनिक अरस्तु का कहना था की मिट्टी, कीचड़, धूल और सड़ती हुई चीजों से जैसे कीड़े मकोड़े पैदा हो जाते हैं हो सकता है वैसे ही इंसानों की भी उत्पत्ति हुई हो. हालांकि फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुई पाश्चर का कहना था कि किसी चीज से ही जीव की उत्पत्ति हुई है यह संभव नहीं है निर्जीव चीज से सजीव इंसान बन जाए .

साल 1871 मैं चार्ल्स डार्विन ने कहा था कि पृथ्वी पर इंसानों की उत्पत्ति रासायनिक अभिक्रिया और भौतिक प्रक्रिया के मेलजोल से हुई होगी इसमें किसी दिव्य शक्ति का कोई रोल नहीं है. विज्ञान ने तो यह तक दावा किया कि इंसान बंदरों कि चिफैंसी का विकसित स्वरूप है मजाक में लोग कहते भी हैं कि इंसानों के पूर्वज बंदर ही तो हैं इसीलिए यह उछलना कूदना जानते हैं. लेकिन धर्म इस बात को बिल्कुल भी नहीं मानता क्योंकि अगर बंदर या चिंपैंजी विकसित होकर इंसान बनते तो आज फिर उनका अस्तित्व पृथ्वी पर बिल्कुल भी नहीं रह जाता क्योंकि विज्ञान यह भी कहता है कि कोई भी जगह है या जीव जब अपना स्वरूप बदलता है तो अपना पुराना अस्तित्व खो देता है.

मजेदार बात तो यह है कि अब तक सभी वैज्ञानिक ने जीवो का विकास ही समझाया है सालों के रिसर्च के बाद सिर्फ यही पता लगा पाए हैं कि इंसान जब आदिमानव के रूप में जंगलों में घूम रहा था तो कैसे पत्थर से आग लगाया. उसके बाद उसके अंदर बुद्धि विकसित हुई और उन्होंने खेती शुरू की और फिर गृहहस्त बसाना शुरू किया लेकिन जीवन की उत्पत्ति की असली वजह कोई नहीं समझ पाया है. इसकी वजह यह भी है कि जिस दुनिया को भगवान ने बनाया उसके बारे में भला हम इंसान कैसे जानते हैं जैसे मृत्यु का रहस्य विज्ञान नहीं समझ पाया कि दुनिया किसने बनाई यह नहीं समझ पाया.दुनिया में अचानक से लोग कहां से आ गए यह नहीं समझ पाया तो यह भला कैसे समझ जाएगा कि सबसे पहले पृथ्वी पर कौन सा जीव आया.

पृथ्वी पर मनुष्य का जन्म कैसे हुआ

अक्सर यह सवाल आप सुनते होंगे कि पहले मुर्गी आया कि अंडा लेकिन इसका जवाब शायद किसी के पास नहीं है यह प्रश्न मजाक में ही पूछा जाता है अगर आप इसके उत्तर जानते हैं तो हमें कॉमेंट्स में बता सकते हैं. लेकिन धर्म के नजरिए से देखें तो आप चाहे किसी भी धर्म के हो एक ईश्वरी शक्ति ने ही इसका निर्माण किया है पुराने जमाने में लोग यह तक कहते थे कि हम सब ईश्वर की संतान है. समस्त ब्रह्मांड के केंद्र में पृथ्वी है और उस पृथ्वी के केंद्र में इंसान रहता है भगवान ने अपने बच्चों को सबसे सुरक्षित जगह रहने के लिए भेजा है हालांकि कॉपरनिकस ने इन दावो की धज्जियां उड़ा दी जितने भी वैज्ञानिक हुए उन्हें अपने दावों को साबित करने के लिए जेल तक जाना पड़ा.

क्योंकि इस देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में आप तथ्य के आधार पर धार्मिक रीति-रिवाजों को चुनौती देने की हिम्मत तो कर सकते है लेकिन उसे साबित करने के लिए लड़ना भी पड़ता है. आज कई धर्मों में कई तरह की कुरीतियां है जिसके खिलाफ लोगों ने आवाज उठाई लेकिन किसी भी विद्वान ने लोगों को यह नहीं समझाया कि हम और आप आए कैसे. अगर मनु और सतरूपा वाली बात को सच माने क्योंकि सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है तो फिर पृथ्वी पर कोई और धर्म या जाति है ही नहीं, ज्यादातर धर्मों का उदय बाद में हुआ इसीलिए जब कोई आपसे पूछता है कि आपका जन्म कैसे हुआ तो आप अपने माता-पिता का नाम बताते हैं फिर खानदान पूछता है तो दादा परदादा का नाम बताते हैं लेकिन असल सवाल का जवाब आप नहीं दे पाते कि आप यानी मनुष्य जाति इस संसार में कैसे आई और आज भी एक तरह का रहस्य बना हुआ है.

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