ब्राह्मण को प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए?

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ब्राह्मण को प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए?

मित्र हमारे शास्त्रों में प्राचीन काल से ही कुछ चीजों के सेवन करने पर रोक लगी हुई है. वही धर्म और जाति के आधार पर यह नियम अलग-अलग होते हैं. सनातन धर्म की बात करें तो इसमें आप सब ने सुना होगा की ब्राह्मणों में प्याज और लहसुन खाना मना होता है लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं अगर नहीं तो चलिए जानते है?ब्राह्मण को प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए? प्याज और लहसुन का जन्म कैसे हुआ

ब्राह्मण को प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए?

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से अमृत का कलश निकाला गया था. तब श्रीहरि सभी देवताओं को अमृत प्रदान करने के लिए अमृत बांट रहे थे. उसी समय राहु और केतु नामक दो राक्षस भी देवताओं के बीच आकर बैठ गए ऐसे में गलती से भगवान ने उन्हें भी अमृत पिला दिया लेकिन जैसे ही देवताओं को इस बात का पता चला उन्होंने विष्णु जी को बताया. तब भगवान नारायण ने अपने सुदर्शन चक्र से दोनों राक्षसों के सिर को उनके धड़ से अलग कर दिया.

प्याज और लहसुन का जन्म कैसे हुआ

हालांकि जब तक राक्षसों का सिर धड़ से अलग हुआ तब तक अमृत की कुछ बूंदें उनके मुंह के अंदर चली गई थी ऐसे में उनका सिर अमर हो गया. विष्णु जी ने जब दोनों राक्षसों पर प्रहार किया तब खून की कुछ बूंदे नीचे गिर गई ऐसा माना जाता है कि जहां बूंदे गिरी वहीं से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई और यही वजह है कि इन्हें खाने से इंसान के मुंह से गंध आती है. किन्तु अमृत से पैदा होने के कारण प्याज और लहसुन रोग नाशक और जीवनदायिनी भी है लेकिन राक्षसी रक्त के मिश्रण के चलते इसमें राक्षसी गुणों का समावेश हो गया.

ये उत्तेजना क्रोध हिंसा अशांति और पाप में वृद्धि कराते हैं इसलिए ना ही ब्राह्मण इसे खाते हैं ना ही व्रत के खाने में या फिर ईश्वर का भोग में इसका प्रयोग किया जाता है इसे राक्षसी भोजन माना गया है. इसके साथ ही यह पाप को बढ़ाता है और बुद्धि को भ्रष्ट कर अशांति को जन्म देता है इसलिए प्याज और लहसुन को अपवित्र मानकर इसका धार्मिक कार्यों में प्रयोग वर्जित है.

हिन्दू धर्म में प्याज और लहसुन क्यों खाना मना है?

हालांकि इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी है जैसे कि आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है सात्विक, राजसिक, तामसिक. प्याज और लहसुन को राजसिक और तामसिक रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसका मतलब है ये जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते हैं. तामसिक चीजें मनुष्य के कुछ रासायनिक शुद्धीकरण को बढ़ावा देते हैं जिससे उत्तेजना बढ़ाने वाले हार्मोन का शरीर में ज्यादा प्रवाह होता है जिसके कारण अध्यात्म के मार्ग पर चलने में समस्या उतपन्न होती है तथा एकाग्रता बाधित होती है और संयम समता का नाश होता है .

मित्रों इसी कारण से सनातन धर्म में प्याज और लहसुन जैसे तामसिक चीजों के सेवन पर मना ही है. बता दे कि वेद शास्त्रों के अनुसार लहसुन और प्याज जैसी सब्जियां प्रकृति प्रदत्त भावनाओं में सबसे निचले दर्जे की भावनाओं जैसे जुनून ,उत्तेजना और अज्ञानता को बढ़ावा देती है. जिस कारण व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है तभी इसके सेवन के लिए मना ही है. मान्यता तो यहां तक है कि इसे ग्रहण करने से घर मैं अशांति और नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होने लगती है आपका दिमाग हमेशा गलत बाते सोचने लगता है.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्याज और लहसुन खाना

वही विज्ञान के अनुसार प्याज और लहसुन खाना से यौन क्षमता बढ़ाई जाती है. प्याज का इस्तेमाल करने से हार्मोन का लेवल बेहतर हो सकता है. वही लहसुन हमारे शरीर से विषाक तत्व बाहर निकालता है इसलिए सलाह दी जाती है कि रात को सोने से पहले और सुबह खाली पेट लहसुन खाये इससे यूरेन की माध्यम से शरीर में मौजूद विषाक तत्व बाहर निकलते हैं.

कच्चा लहसुन खाने से रक्त गुलकोज लेवल कम करने में मदद मिलती है इससे आपका शुगर लेवल नियंत्रित रहता है और डायबिटीज का खतरा भी इस तरह कम होता है. ऐसा माना जाता है कि कच्चे लहसुन के साथ पानी पीने से टी.वी ठीक करने मैं भी मदद मिलती है .तो मित्रों हमारे इस आज के पोस्ट में जाना कि क्यों ब्राह्मणों को प्याज और लहसुन खाने के लिए मना किया जाता है. अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो शेयर जरुर करे …..

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