मित्रों अपने धर्म ग्रंथों और तस्वीरों में देखा होगा कि भगवान विष्णु शेषनाग की सैया पर विराजमान रहते हैं और देवी लक्ष्मी बड़े ही प्रेम पूर्वक उनके चरण दबाया करते हैं। दोनों का यह दृश्य देखकर उनके भक्त यही चाहते हैं कि दोनों में यह प्रेम सदा बना रहे लेकिन ऐसा एक बार क्या हो गया था की आपस में लड़ पड़े थे माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु।इस बात की जानकारी हम आपको एक कथा के माध्यम से बताते हैं।भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के बीच लड़ाई क्यों हुई?
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के बीच लड़ाई क्यों हुई?
एक बार श्री हरि नारायण देवी लक्ष्मी से बोले – लोगों में कितनी भक्ति बढ़ गई है सब नारायण-नारायण करते हैं। भगवान की बात सुनकर लक्ष्मी जी बोली आपको पाने के लिए नहीं मुझे पाने के लिए भक्ति बढ़ गई है। जिस पर श्री हरि बोले लोग लक्ष्मी-लक्ष्मी ऐसा जाप नहीं करते हैं ये सब संवाद के बाद देवी लक्ष्मी बोली कि विश्वास ना हो तो परीक्षा हो जाए जिसके बाद भगवान विष्णु एक गांव में ब्राह्मण का रूप धारण कर गये और एक घर का दरवाजा खटखटाया।
घर के यजमान द्वार खोलकर पूछा आप कहां के हैं, तो प्रभु बोले हम तुम्हारे नगर में परमात्मा का कथा कीर्तन करना चाहते हैं जिस पर यजमान बोला ठीक है महाराज जब तक कथा होगी आप मेरे घर में रहना। बाद में गांव के कुछ लोग इकट्ठा हो गए और सारी तैयारी कर दी पहले दिन कुछ लोग आए अब प्रभु स्वयं कथा कर रहे थे तो संगत बढ़ी दूसरे और तीसरे दिन और भी भीड़ हो गई। विष्णु जी खुश हो गए कि कितनी भक्ति है लोगों के भीतर, उधर लक्ष्मी जी ने सोचा कि अब देखा जाए कि क्या चल रहा है तब देवी ने बुढ़ी माता का रुप लिया और उस नगर में पहूची जहां एक महिला ताला बंद करके कथा में जा रही थी की देवी उसके द्वार पर पहुंची और बोली बेटी जरा पानी पिला दे।
देवी की बात सुनकर महिला बोली माताजी 3:30 बजे हैं मेरे को प्रवचन में जाना है जिस पर लक्ष्मी माता बोली पिला दे बेटी थोड़ा पानी बहुत प्यास लगी है। तब उस महिला ने लोटा भर के पानी घर से लाई और माता ने पानी पिया तब लोटा वापस लौटया तो वह सोने का हो गया यह देखकर महिला सोच में पड़ गई कि लौटा दिया तो पीतल का था पर वापस लिया तो सोने का कैसी चमत्कारिक माता है। अब उस महिला ने हाथ जोड़कर कहा की माता जी आपको भूख भी लगी होगी खाना खा लीजिए।
विष्णु और माता लक्ष्मी की कथा
लालच की इच्छा रखते हुए सोचा कि खाना खाएगी तो बर्तन भी सोने के हो जाएंगे। माता उसकी मंशा समझ गई और कहने लगी तुम जाओ बेटी तुम्हारा प्रवचन का समय निकला जा रहा है जिसके बाद वह महिला प्रवचन में आई लेकिन अपने आसपास की सभी महिलाओ को सारी बात बताई। अब महिलाएं यह सुनकर चलते सत्संग के बीच में से उठकर चली गई वहीं अगले दिन से इस कथा में लोगों की संख्या कम हो गई तो भगवान हरि ने पूछा कि लोगों की संख्या कम कैसे हो गई।
तब किसी ने कहा नगर में एक चमत्कारिक माताजी आई है जिसके घर से दूध पीती है तो ग्लास सोने का हो जाता है, थाली में रोटी सब्जी खाती है तो थाली सोने की हो जाती है उनके चलते लोग प्रवचन में नहीं आते जिसके बाद विष्णु जी समझ गए की देवी लक्ष्मी का आगमन हो चुका है। इतनी बात सुनते ही देखा कि जो यजमान सेठ जी थे वो भी उठ खड़े हो गए चुपके से निकल लिए और माता लक्ष्मी के पास पहुंच कर बोले माता मैं तो भगवान की कथा का आयोजन कर रहा था और आपने मेरे घर को ही छोड़ दिया।
देवी बोली तुम्हारे घर तो मैं सबसे पहले आने वाले थी लेकिन तुमने अपने घर में जिस कथाकार को ठहराया है ना वो चला जाए तभी तो मैं आऊं। सेठ जी बोले बस इतनी सी बात उन्हें अभी धर्मशाला में कमरा दिलवा देता हूं अब जैसे ही भगवान कथा करके घर आए तो सेठ जी बोले महाराज आप अपना बिस्तर बांधो और जाओ आपकी रहने की व्यवस्था अब से धर्मशाला में कर दी है। जिस पर महाराज बोले अभी तो कथा के दो-तीन दिन बचे हैं यही रहने दो। सेठ बोले नहीं नहीं जल्दी जाओ मैं कुछ नहीं सुनने वाला मुझे किसी और मेहमान को अपने घर में ठहराना है।
माता लक्ष्मी कहा निवास करती है – पौराणिक कथा
इतने में ही देवी लक्ष्मी आई और कहा कि सेठ जी आप थोड़ा बाहर जाओ मैं इन्हें विदा करती हूं। माता लक्ष्मी जी भगवान से बोली प्रभु अब तो मान गए देवी की बात सुनकर विष्णु जी बोले हां लक्ष्मी तुम्हारा प्रभाव दिखाई देता है, लेकिन एक बात यह देखी गई तुम वहां जाती हो जहां संत धार्मिक अनुष्ठान करते हैं और साफ तरह से कमाई करने वाले लोग रहते हैं इसका अर्थ है संत जहां भी कथा करेंगे आप वहां अवश्य आगमन करेंगी। इतना कहकर श्री नारायण ने बैकुंठ के लिए प्रस्थान किया।
अब प्रभु के जाने के बाद अगले दिन सेठ के घर सभी गांव वालों की भीड़ हो गई सभी चाहते थे कि यह माता सभी के घरों में आए लेकिन विष्णु जी के जाने के बाद देवी लक्ष्मी ने सेठ और बाकी सभी गांव वालो को कहा अब मैं भी जा रही हूं सभी कहने लगे कि माता ऐसा क्यों हमसे क्या भूल हुई है। माता ने कहा मैं वही रहती हूं जहां नारायण का वास होता है आपने नारायण को तो यहां से निकाल दिया तो मैं यहां कैसे रह सकती हूं और वो चली गई। तो मित्रों आपने जाना कि आपस में क्यों लड़ पड़े थे माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु यदि आपको यह कथा अच्छी लगी तो शेयर जरूर करें।