भगवान श्रीराम क्यों नहीं कर सके मेघनाथ का वध?

0

मित्रों संसार में प्रभु श्री राम और उनके अनुज लक्ष्मण के आगात प्रेम को तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार श्री राम के मन में भी अपने प्रिय भाई को लेकर शंका उठी। जिसके बाद ऋषि अगस्त ने कहा था कि रावण के पुत्र मेघनाथ यानी इंद्रजीत को स्वयं भगवान राम भी नहीं मार सकते, उन्हें तो केवल लक्ष्मण ही मार सकते हैं। अब ऋषिवर ने ऐसा क्यों कहा ये जानने के लिए हम आपको एक कथा के अनुसार बताते हैं।भगवान श्रीराम क्यों नहीं कर सके मेघनाथ का वध?

भगवान श्रीराम क्यों नहीं कर सके मेघनाथ का वध?

एक बार अगस्त मुनि रामनगरी अयोध्या आए और लंका युद्ध को लेकर बर्ता होने लगी। तबभी श्री राम ने कहा कि किस तरह से उन्होंने रावण और कुंभकरण जैसे वीरों का वध किया और भ्राता लक्ष्मण ने भी इंद्रजीत और अतिकाय जैसे वीर दिग्गज असुरों को मार गिराया। भगवान की यह बात सुनकर अगस्त मुनि बोले की इसमें कोई आशंका नहीं कि रावण और कुंभकरण प्रचंड वीर थे किंतु सबसे बड़ा वीर योद्धा इंदरजीत ही था। उसने देवराज इंद्र से अंतरिक्ष में युद्ध किया और बंदी बनाकर उन्हें लंका ले गया था।

मेघनाथ वध की कथा

जिसके बाद ब्रह्मा जी ने उससे दान के रूप में इंद्रदेव को मांगा तब उसने उन्हें स्वतंत्र किया और लक्ष्मण ने उसका वध किया और केवल वही उसका संघार भी कर सकते थे। मुनिवर के मुंह से लक्ष्मण की प्रशंसा सुनकर श्रीराम अधिक प्रसन्न तो हुए किंतु उन्हें आश्चर्य भी हुआ कि ऐसा क्या था कि सिर्फ लक्ष्मण ही उन्हें मार सकते थे। प्रभु ने अपनी जिज्ञासा अगस्त मुनि के सामने व्यक्त की।

तब मुनि ने कहा कि इंद्रजीत को वरदान था कि उसका वध वही कर सकता था जो 14 वर्षों तक ना सोया हो, जिसने 14 साल तक किसी स्त्री का मुख ना देखा हो, जिसने 14 साल तक भोजन ना किया हो। मुनि की बात सुनकर श्री राम बोले मैं वनवास काल में 14 वर्षों तक नियमित रूप से लक्ष्मण के हिस्से का फल-फूल देता रहा। उन्होंने कहा कि मैं जानकी के साथ एक कुटी में रहता था बगल की कुटी में मेरे साथ लक्ष्मण थे फिर भला सीता का मुख भी ना देखा हो और 14 वर्षों तक सोए ना हो ऐसा कैसे हो सकता है।

भगवान की बाते समझ कर अगस्त मुनि मुस्कुराए लेकिन अब भला प्रभु से कुछ छिपा है। क्योंकि सभी लोग केवल प्रभु राम का गुणगान करते थे परंतु भगवान चाहते थे कि लक्ष्मण के तप और वीरता के चर्चा अयोध्या के हर घर में हो जिस प्रकार मुनि ने कहा कि केवल लक्ष्मण ही इंद्रजीत को मार सकते थे, ठीक उसी तरह उसकी मृत्यु के बाद महाराज विभीषण ने भी प्रभु श्रीराम से कहा था उन्होंने कहा कि रावण के पुत्र मेघनाथ का वध देवताओं के लिए असंभव था। उसे तो सिर्फ लक्ष्मण जी जैसा महायोगी ही मृत्यु के घाट उतार सकता था।

 लक्ष्मण के तप की कथा 

सभी बातों के बाद अगस्त मुनि ने प्रभु से कहा क्यों ना लक्ष्मण जी से यह पूछ लिया जाए फिर लक्ष्मण जी आए तो श्री राम ने कहा आपसे जो पूछा जाए उसे सत्य कहिएगा। भगवान ने पूछा हम 14 वर्षों तक साथ रहे फिर भी तुमने जानकी का मुख कैसे नहीं देखा फल दिए फिर भी अनाहारी कैसे रहे और 14 साल तक सोए नहीं यह कैसे हुआ? तब अपने जेष्ठ भ्राता को लक्ष्मण जी ने बताया भैया जब हम भाभी को तलाशते सम्यमुख पर्वत पर गए तो सुग्रिव ने हमें उनके आभूषण दिखाकर पहचानने को कहा था आपको स्मरण होगा मैं उनके पैरो के आभूषण के अलावा कोई अन्य आभूषण नहीं पहचान पाया था क्योंकि मैंने कभी उनके चरणों के ऊपर देखा ही नहीं था।

वही 14 साल नहीं सोने के बारे में उन्होंने कहा कि आप और माता एक कुटिया में सोते थे तो मैं रात भर बाहर धनुष पर वाण चढ़ाए पहरेदारी में खड़ा रहता था। निंद्रा देवी ने मेरी आंखों पर पहरा देने की कोशिश की तो मैंने निंद्रा को अपने वाणो से भेद दिया अंत में निंद्रा ने हार स्वीकार कर ली और वह 14 सालों तक मुझे स्पर्श नहीं करेगी ऐसा कहा, लेकिन जब श्री राम का अयोध्या में राज्याभिषेक होगा और मैं उनके पीछे सेवक की तरह छत लिए खड़ा रहूंगा तब वह मुझे घेरेंगी।

भैया आपको याद होगा कि राज्याभिषेक के दौरान मेरे हाथ से छत्र नीचे गिर गया था। लक्ष्मण जी ने आगे बताया कि जब मैं जो फल-फूल लाता था आप उसके तीन भाग करते थे एक भाग आप मुझे दे कर कहते थे लक्ष्मण फल रख लो आपने कभी फल खाने को नहीं कहा फिर बिना आपकी आज्ञा के मैं उसे खाता कैसे। मैंने उन्हें संभाल कर रख दिया सभी फल उसी कुटिया में अभी भी रखे होंगे। उसके बाद भगवान के आदेश पर लक्ष्मण जी चित्रकूट की कुटिया में से वे सभी फलों की टोकरी लेकर आए और राज दरबार में रख दिए।

श्रीराम क्यों नहीं कर सके मेघनाथ का वध?

फिर फलों की गिनती हुई लेकिन 7 दिनों के फल नहीं थे तब प्रभु राम ने पूछा कि तुमने 7 दिन का आहार क्या किया था? भगवान की बातों का उत्तर देते हुए लक्ष्मण जी ने बताया कि जिस दिन पिताश्री के स्वर्गवास होने की सूचना मिली हम नीराहारी रहे इसके बाद जब रावण ने माता सीता का हरण किया उस दिन भी हम निराहारी रहे। उन्होंने कहा कि जिस दिन आप समुद्र की साधना कर उससे राह मांग रहे थे उस दिन भी हम निराहारी रहे। जब इंद्रजीत ने नागपाश में बंद कर दिन भर अचेत रहे हम उस दिन भी और जिस दिन मेघनाथ ने मायावी सीता का सिर काटा था उस दिन हम शौक में थे।

इसके अलावा जिस दिन मेघनाथ मुझे शक्ति मारी और जिस दिन आपने रावण का वध किया इन 7 दिनों में हम निराहारी रहे। लक्ष्मण जी ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा कि मैंने गुरु विश्वामित्र से एक अतिरिक्त विद्या का ज्ञान लिया था इस ज्ञान से बिना अन्न ग्रहण किए भी मनुष्य जीवित रह सकता है उसी विद्या से मैंने भी अपनी भूख नियंत्रित की ओर दुष्ट मेघनाथ को मार गिराया। लक्ष्मण जी की सारी बातें सुनकर प्रभु भावविभोर हो उठे और उन्होंने उसे गले लगा लिया। तो मित्रों आज आपने जाना कि क्यों केवल लक्ष्मण जी ही कर सकते थे मेघनाथ का वध अगर आपको अच्छी लगे तो शेयर जरूर करें।

भगवान राम वनवास के समय किन-स्थानों से गुजरे थे – वाल्मीकि रामायण।

भगवान राम से बड़ा भगवान ‘राम’ का नाम क्यों है?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here