दोस्तों हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि आत्मा अमर है जो मनुष्य के मरने पर भी आत्मा खत्म नहीं होती,और यही असंतुष्ट आत्माओं की कल्पना भूतों के रूप में की जाती ह. मिस्र के पिरामिड में आज भी दिन के उजालों में डरावने भूतों के स्मारक बने हुए हैं. इन स्मारकों को सिर्फ बाहर से देखने की इजाजत है अंदर जाने कि नहीं. मानव शरीर एक भौतिक शरीर या स्थूल शरीर है इस स्थूल शरीर में एक सूक्ष्म शरीर निवास करता है,जब किसी की मृत्यु होती है तब उसके स्थूल शरीर से सूक्ष्म शरीर निकल जाता है इसके बाद यह इधर-उधर भटकते रहता है. यह तब तक भटकता रहता है जब तक उसे दूसरा शरीर नहीं मिल जाता.चुँकी इसकी उपस्थिति हमसे भिन्न होती है और इसीलिए हम उसे भूत-प्रेत का नाम दे देते हैं.भूत प्रेतों के बारे में रहस्यमई जानकारी
भूत प्रेतों के बारे में रहस्यमई जानकारी
कुछ आत्माओं को नया शरीर जल्दी मिल जाता है और कुछ को लंबा इंतजार करना पड़ता है.जब कोई मनुष्य ऐसी आत्माओं की मौजूदगी महसूस करता है तो उसे लगता है कि उसके आसपास कुछ है,चुकी यह दिखाई नहीं देता है तो इस प्रकार के डर को भूत-प्रेत मान लिया जाता है. बचपन से ही ऐसी शक्तियों के बारे में बताया गया है कि यह भूत प्रेत हैं इंसानों को परेशान करते हैं, जब कोई मनुष्य अपना व्यवहार एक असामान्य की तरह करने लगता है तो इसे कहा जाता है कि इस व्यक्ति पर कोई देवी या माता का साया है.
प्राचीन हिंदू वेद ग्रंथों जैसे वेद, पुराण, भागवत गीता,आदि में भी इस संदर्भ में अनेक विवरण दिए हुए हैं. वास्तव में गरुड़ पुराण के तथ्यों से ज्ञात होता है यदि किसी मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार धार्मिक रीति रिवाज से नहीं किया जाता है तब वह भूत प्रेत के रूप में भटकते रहते हैं. इस लोक में 84 योनियों के अस्तित्व का स्वीकार किया गया है जिनमें कीट-पतंगे पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और मनुष्य आदि सब शामिल हैं. माना जाता है कि भूत प्रेत योनि में जाने वाले व्यक्ति अदृश्य और बलवान हो जाते हैं, सभी मरने वाले अदृश्य तो होते हैं लेकिन इस योनि में नहीं जा पाते हैं,यह आत्मा के कर्म और गति पर निर्भर करता है.
भुत-प्रेत केसे जन्म लेते है
विज्ञान भूतों के अस्तित्व में विश्वास बिल्कुल भी नहीं करता,लेकिन हमारे धार्मिक ग्रंथ गीता में धुंधकारी प्रेत की कथा सर्वहित हैं. ऋग्वेद में लिखे श्लोकों में कई स्थानों पर भूत-प्रेत का वर्णन किया गया इसके अलावा महाभारत में गंधर्व, राक्षस, दानव,प्रेत, पिशाच, किन्नर, आदि की पूजा का वर्णन मिलता है. वेदों के अनुसार जो मनुष्य भूखा प्यासा काम सुख से रहित मोह, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छा एवं भावनाएं लेकर मरा है,वैसे मनुष्य के आत्मा स्वर्ग या नरक नहीं जा पाते हैं और अपने मृत स्थान के आसपास भटकते रहते हैं.जिसकी मृत्यु दुर्घटना हत्या आत्महत्या आदि कारणों से होती है उसकी आत्मा भी भूत प्रेत बनकर घूमता रहता है.
ऐसा माना जाता है कि जो मनुष्य भूखा प्यासा काम सुख से रहित मोह क्रोध द्वेष लोभ वासना आदि इच्छाएं लेकर मरा है तो वह पुनर्जन्म के लिए स्वर्ग या नरक में नहीं जा सकता और वह भुत बन जाता है. आत्मा के साथ इनके इच्छाएं भी भटकती रहती है इस कारण यह बहुत दुखी और चिड़चिड़े होते हैं.यह हर समय अपनी मुक्ति का मार्ग तलाशते रहते हैं इसी तलाश के दौरान जब कोई इनके प्रभाव में आ जाता है तो यह उनके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. ये रात्रि के समय ज्यादा सक्रिय रहता है.और जो लोग रात्रि में कर्म और अनुष्ठान करते हैं और जो निशाचरी है वो आसानी से भूतों का शिकार बन जाता है.
ऐसे व्यक्ति की आत्मा को तृप्त करने के लिए प्रत्येक धर्म में विधि विधान बताया गया है.हिंदू धर्म में श्राद्ध और दर्पण किया जाना अति आवश्यक माना जाता है.दरअसल अकाल मृत्यु या कोई अतिरिक्त इच्छा भी इनकी उत्पत्ति का सबसे बड़ा कारण मानी गई है.
भूतो के रहस्य
आयुर्वेद के अनुसार 18 प्रकार के भूत प्रेत होते हैं,बहुत सबसे शुरुआती पद है. यह कहे कि जब कोई आम व्यक्ति मरता है तो सर्वप्रथम भूत ही बनता है.जब कोई स्त्री मरती है या उसकी आत्मा भटकती है तो उसे अलग-अलग नामों से जानी जाती है.जब कोई गर्भवती स्त्री मरती है तो वह डायन बन जाती है और जब कोई कुंवारी कन्या मरती है तो उसे देवी मानकर उसकी पूजा की जाती है, बुरे कर्म वाली स्त्री को डायन या डाकिनी कहा जाता है इन सब की उत्पत्ति उनके पाप और व्यभिचार अकाल मृत्यु या श्राद्ध ना करने से हुई है.
धार्मिक ग्रंथों में ऐसा बताया गया है कि जिस स्थान पर अत्यधिक शोर, सुबह की किरणों का आगमन और मंत्र उच्चारण होता है,उस संस्थान से भूत प्रेत हमेशा दूर रहते हैं. इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि भुत हिंदू महीने के कृष्ण पक्ष को अधिक पसंद करते हैं और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी चतुर्दशी और अमावस्या को अपनी मजबूत स्थिति में रहकर सक्रिय रहते हैं.भूत प्रेत को अक्सर उन स्थानों पर देखने के बाद कही जाती है कि जिस से मृतक का अपने जीवन काल में संबंध रहा हो.जो एकांत में स्थित हो इसी वजह से कई दिनों से खाली पड़े घरों या बंगलों में भी भूत-प्रेत का वास माना जाता है.
भूतेश्वर महादेव मंदिर
भूतों के देवता भूतेश्वर नाथ को माना जाता है.ताजमहल के लिए प्रसिद्ध आगरा में एक ऐसा स्थान है जहां भूतेश्वर महादेव मंदिर है,यह मंदिर प्राचीन है और यहां दिन-रात अखंड ज्योति जलती है,यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस भूतेश्वर महादेव मंदिर को भूतों ने एक रात में बनाया,यह मंदिर 700 साल पहले लोगों को अचानक दिखाई दिए,एक रात पहले इस स्थान पर कुछ भी नहीं था और अगले दिन जब किसान खेतों में काम करने आए तो उन लोगों ने इस विशाल मंदिर को देखा इसे देखकर यह लोग दंग रह गए. गांव वालों का दावा है कि उस मंदिर को भूतों ने बनाया था. भूतेश्वर मंदिर में शिवलिंग और नंदी महाराज की मूर्ति स्थापित है ऐसा कहा जाता है कि उस शिवलिंग को अपने बाहों में लपेट कर दोनों हाथों से जोड़ना किसी के लिए भी संभव नहीं है.
भूत प्रेतों के बारे में रहस्यमई जानकारी?
भुत लोक कथाओं और संस्कृतिक प्राणी में अलौकिक कहानी है जो एक मृत व्यक्ति की आत्मा से निर्मित होती है. भुत अपने इच्छा की पूर्ति दूसरों के माध्यम से करना चाहते हैं,भुत से पीड़ित व्यक्ति के स्वभाव और क्रिया में बदलाव आने लगता है,और जिस कारण इनके अपने लोग परेशान होने लगते हैं उसकी आंखें लाल हो जाती है,और आंखें तांबे जैसी दिखने लगती है,इस कारण आसपास के लोग डर जाते हैं,उसके देह में कंपन होता है,और कई बार वह बेहोश भी हो जाया करता है. वह अक्षरा रोती और चिल्लाती रहती है,भूत से पीड़ित व्यक्ति इंसान के कारण काफी परेशान हो जाता है और इस कारण इनके घर परिवार के लोगों के साथ-साथ आस-पड़ोस के लोग भी परेशान हो जाते हैं, इस परेशानी का कारण भूत प्रेत को मानते हैं,लेकिन वास्तव में वह असंतुष्ट आत्मा होती है जो इच्छा पूरी किए बिना इस लोक से चली जाती है.
स्कंद पुराण :- भुत-प्रेत क्या खाते हैं और कहा करते है ये वास?