भोलेनाथ की इस नगरी में छुपा है दुनिया के खत्म होने का राज?

0
Bhuvneshwari Mandir gufa

पाताल भुवनेश्वरी मंदिर

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर नाम की एक रहस्यमई गुफा है .इस जगह को महादेव की रहस्यमई नगरी के नाम से भी जाना जाता है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां पर प्राकृतिक रूप से एक छोटा सा खंभा है,गुफा के छत के नीचे इस खंभे की ऊंचाई करीब 6 इंच है, लेकिन वही इसका कद साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है,मित्रों हमारे धर्म पुराण स्कंद शास्त्र में इस बारे में साफ-साफ बताया गया है,इसके साथ ही यह मान्यता है कि यह खंबा कलयुग का प्रतीक हैं,

ऐसी मान्यता है कि जिस दिन यह खंबा बढ़कर गुफा की छत तक पहुंच जाएगा उस दिन कलयुग का नाश हो जाएगा,और दोबारा से सतयुग की शुरुआत होगी. इसके साथ ही लोग मानते हैं कि जब इस कलयुग का अंत होगा तब एक भयानक प्रलय आएगी जो चारों और तबाही फैला देगी, कलयुग के प्रतीक इस खंभे के अलावा भी यहाँ कई और छोटे-छोटे खंबे भी हैं,और तो और इनके बारे में यह भी कहा जाता है कि इन खंभों से कहीं ना कहीं दूसरे युग की कहानी जुड़ी है.

Bhuvneshwari Mandir gufa

भोलेनाथ की इस नगरी में छुपा है दुनिया के खत्म होने का राज?

वैसे आपको बता दें इस गुफा में स्थित सैकड़ों मूर्तियां और खंभों का रहस्य आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है,ये पूरा क्षेत्र महादेव के रहस्यमयी नगरी के नाम से भी जाना जाता है.इस गुफा में प्रवेश करने के लिए एक संकरा रास्ता है जो जमीन से करीब 100 फीट नीचे जाता है वहीं नीचे एक दूसरे से जुड़ी हुई कई गुफाएं हैं यह गुफाएं पानी ने लाइमस्टोन को काटकर बनाया है, इसके साथ ही मंदिर के अंदर संकरे पानी की धारा से होते हुए गुफा में जाना पड़ता है.यहां पर पांडवों ने तपस्या की थी और कलयुग में आदि शंकराचार्य ने इसे दोबारा खोजा.

आपको बता दें कि पौराणिक कथाओं में भी इस गुफा का विवरण मिलता है. यहां भगवान शिव और 33 कोटि देवता विराजमान हैं.यह गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी और 90 फीट गहरी है,और यह भी माना गया है कि यह गुफा सीधे कैलाश पर्वत पर जाकर खुलता है.अब दोस्तों महादेव की उस रहस्यमई गुफा के बारे में तो हमने जान लिया जो दुनिया खत्म होने के संकेत देती है,तो आइए अब जानते हैं भोलेनाथ के धाम कैलाश से जुड़े कुछ रहस्य-

 कैलाश पर्वत से जुड़े रहस्य

कैलाश पर्वत

कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित एक पर्वत श्रृंखला है जिसे भगवान शिव का निवास स्थान माना गया है,और जिसके समीप कैलाश मानसरोवर स्थित है. यह अद्भुत और भव्य जगहकई रहस्यो से भी भरी हुई है, शिवपुराण, मत्स्यपुराण, स्कंदपुराण आदि मे कैलाश खंड नाम से इसके अलग ही अध्याय हैं, जिसके बारे में कई गुणगान किए गए हैं. वहीं पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस पर्वत के पास ही कुबेर की नगरी है यहीं से महाविष्णु के कर कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है जहां भगवान शंकर अपनी जटाओं में भरकर पृथ्वी पर निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करती है,मित्रो इसी अद्भुत पर्वत के ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यु लोक है.

अलौकिक शक्ति का केंद्र

यह एक ऐसा केंद्र भी है जिससे एक्सेस मुंडी कहा जाता है,एक्सिस मुंडी का मतलब है आकाशीय या भोगोलिए ध्रुब का केंद्र. यह आकाश और पृथ्वी के बीच का एक ऐसा केंद्र हैं जहां दसों दिशाएं मिल जाती है, इतना ही नहीं कैलाश पर्वत और उसके वातावरण के आसपास कई अध्ययन कर चुके हैं वहीं कई लोगों की माने तो यहाँ अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है, और तो और उन्हें शक्तियों के साथ भी संपर्क किया जा सकता है.

मित्रों कैलाश पर्वत एक विशालकाय पिरामिड की तरह है, जो 100 छोटे पिरामिड के मध्य है,बता दें कि कैलाश पर्वत की संरचना बिल्कुल एकांत स्थान पर स्थित है जहां कोई भी दूसरा बड़ा पर्वत नहीं है

यह तो आप भी जानते होंगे कि कैलाश पर्वत पर चढ़ना असंभव है लेकिन मरने के बाद या जिसने आज तक कोई भी पाप ना किया हो,सिर्फ वही इस कैलाश पर्वत का दर्शन कर सकता है.इसका एक और कारण यह भी माना गया है कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा सा ऊपर चढ़ने पर मौसम बिगड़ जाता है और बर्फीला तूफान चलने लगता है.अब बिना दिशा के ऐसे पहाड़ पर चढ़ाई करना सीधे मौत को दावत देना जैसा है.इसीलिए कोई भी इंसान आज तक कैलाश पर्वत पर नहीं चढ पाया है.

मानसरोवर कैलाश

Manasarovar Kailash

यहां दो सरोवर है पहला मानसरोवर जो दुनिया के शुद्ध पानी कि उच्चतम झीलों मे से एक है और जिसका आकार सूर्य की तरह है. वहीं दूसरे सरोवर का नाम राक्षस ताल है,जो दुनिया में खारे पानी की सबसे ऊंची झिलों में से एक है, कहीं बात करें इसके आकार की तो यह चंद्र के समान है,बता दे इन दो झिलों का संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है, लेकिन यह अभी तक रहस्य बना हुआ है कि यह झिले प्राकृतिक तौर पर निर्मित हुई है या फिर इन्हें किसी शक्ति ने बनाया है.

 कैलाश पर्वत पर डमरु और ओम कि आवाज़

आप अगर कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के इलाके में जाएंगे तो आपको एक आवाज सुनाई देगी जैसे कि आसमान में कहीं विमान उड़ रहा हो लेकिन ध्यान से सुनने पर यह आवाज या तो डमरु या तो ॐ की जैसी लगती है,इस पर वैज्ञानिकों का कहना है कि हो सकता है यह आवाज बर्फ के पिघलने से आती हो.

मोक्ष प्राप्ति का रहस्य

महान ऋषि मुनि सहित तिब्बत के धर्म गुरुओं का भी मानना है कैलाश या मानसरोवर की 3 या तो 13 परिक्रमा की जाए तो उस व्यक्ति को रोग, शोक, भय से मुक्ति मिल जाती है, और उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. इसके साथ हि ऐसा भी माना जाता है कि कैलाश मानसरोवर की 108 बार परिक्रमा करने से मनुष्य शारीरिक बंधनों से आजाद हो जाता है और मोक्ष प्राप्त कर लेता है, जानकारी के लिए बता दें कि इस पर्वत की एक परिक्रमा बस 40 किलोमीटर की होती है…तो मित्रों आपको यह जानकारी कैसे लगी हमें भी बताएं.

महिलाएं पुरुषों के साथ रिश्ता जोड़ने से पहले देखती है यह 5बातें?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here