मनुष्य के जीवन में दुखों का क्या कारण है महात्मा बुद्ध?

मनुष्य के जीवन में दुखों का क्या कारण है महात्मा बुद्ध?

एक बार की बात है  एक व्यक्ति गौतम बुद्ध के पास जाता है और उनसे सवाल करता है कि मेरे मन में कई प्रश्न जाग रहे हैं और मैं आपसे उन सभी प्रश्नों के उत्तर जानना चाहता हूं. महात्मा बुद्ध मुस्कुराए और कहा पूछो तुम्हें क्या पूछना है’,व्यक्ति ने कहा मैं जीवन से बिल्कुल भी खुश नहीं हूं दुखों का पहाड़ ने मुझे घेर रखा है मेरी जिंदगी में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है सब कुछ गलत ही गलत हो रहा है.ऐसे में आप मुझे इस प्रश्न का उत्तर देकर मुझे इस परेशानी से बाहर निकाल दीजिए,बुद्ध ने उस व्यक्ति की सारी बातें सुनी और उससे ही प्रश्न पूछा कि बताओ तुम्हारे इस दुख का कारण है क्या ऐसी कौन सी बात है जिसने तुम्हें इतना व्याकुल बना दिया है,

महात्मा बुद्ध और एक व्यक्ति की कथा

महात्मा का प्रश्न सुनकर वह व्यक्ति कुछ देर तक सोच विचार करता रहा वह बोला मैं आपसे प्रश्न का उत्तर जानने आया हूं और आप मुझसे ही प्रश्न पूछ रहे हैं. तब भगवान बुद्ध ने कहा कि हर व्यक्ति को खुद ही उसे अपना दुख का कारण पता होता है.अब तुम्हें ही इस दुख का कारण पता ना हो तो मैं तुम्हें इसका उत्तर कैसे दे पाऊंगा. फिर उस व्यक्ति ने कहा बुद्ध आप तो ईश्वर हैं, लोग कहते हैं कि आपको सब के बारे में पता है और सब की परेशानी का उत्तर आप जानते हैं.उसकी बातें सुनकर बुद्ध ने कहा तुम्हारी यही सोच तो गलत है,तुम सोच रहे हो कि कोई आएगा और तुम्हें तुम्हारी सारी परेशानियों से निजात दिलवाएगा, ऐसे मैं तुम गलत हो क्योंकि तुम्हारे अलावा ऐसा कोई भी नहीं जो तुम्हारी मदद कर सकता हो.

महात्मा बुद्ध और एक व्यक्ति की कथा

तुम्हें लगता है कि मैं बुद्धत्व प्राप्त कर चुका हूं तो मैं तुम्हारी सारी परेशानियां हल कर सकता हूं तो तुम्हें गलत लगता है,तुम्हें बता दूं मैं भी तुम्हारी तरह हूं और मैं इन सब चीजों से काफी दूर हूं,जिस दिन तुम्हारे अंदर तुम्हारी सारी उलझन खत्म हो जाएगी तब उस दिन से तुम्हें किसी बुद्ध के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. फिर बुद्ध ने उस व्यक्ति से एक और प्रश्न किया – क्या तुमने कोई फूल देखा है, जिस पर उस व्यक्ति ने कहा यह कैसा प्रश्न है फूल तो हर व्यक्ति ने देखा होता है.इस पर महात्मा ने कहा अब फूल सवेरे एक कली होता है दिन मे खिलकर फूल बनता है और फिर रात में मुरझा जाता है,इसीलिए अगर पुष्प भी यही सोचे कि वह शाम को मुरझा जाएगा तो फिर वह खिले हि क्यों,

ऐसे मे अगर तुम भी हमेशा दुखों के बारे में सोचते रहोगे बस तुम भी खुश नहीं रह पाओगे,इसीलिए अच्छा रहेगा कि तुम अपने जीवन पर सकारात्मक चीजों पर ध्यान दो,जो तुम्हें खुश रखे उन छोटी-छोटी बातों को याद करो. यदि तुम खुश रहना चाहते हो तो तुम नकारात्मक चीजों को छोड़कर सकारात्मक पर ध्यान दो, गौत्तम बुद्ध की बातें सुनकर वह व्यक्ति कुछ देर तक सोचता रहा,और फिर कहने लगा कि बुद्ध क्या ऐसा हो सकता है कि मेरे जीवन का सभी दुख एक साथ खत्म हो जाए मेरी सभी परेशानियां समाप्त. तब बुद्ध ने कहा यदि कोई तुमसे कहता है कि तुम शाम तक मरने वाले हो तो फिर तुम क्या करोगे,क्या तुम अपने दुखों के बारे में सोचोगे, तुम्हे ऐसी कोई भी समस्या याद नहीं आएगी जिसके लिए तुम अभी परेशान हो,क्योंकि तुम जीवन के अपने अंतिम पलों के बारे में ही सोच रहे होगे ,

मनुष्य अपने जीवन में दुखी क्यों रहता है?

अचानक तुम्हें यह लगेगा कि मृत्यु के आगे तो सब व्यर्थ हैं क्योंकि जीवन में इससे बड़ा कोई सत्य है ही नहीं. उस आदमी ने महात्मा को बीच में ही टोकते हुए कहा तो आप क्या चाहते हैं मैं दिन भर यही सोचता रहूं कि मैं मरने वाला हूं,और ऐसा करने से क्या मेरी समस्याओं का अंत हो जाएगा. तब बुद्ध ने कहा नहीं तुम ऐसा बिल्कुल नहीं सोचो तुम्हे सिर्फ यह सोचना है कि तुम जब तक इस दुनिया में रहोगे तब तक खुश होकर रहोगे, क्योंकि अगर तुम्हारा मन नियंत्रित नहीं होगा तो तुम्हारी इच्छाएं बढ़ेगी, बस इस इच्छाओं पर काबू पा लो तुम सफल जरूर होगे.

महात्मा की यह बात सुनकर व्यक्ति फिर बोला कि मुझे यह बताइए कि मन तो चंचल होता है अतः इस पर कैसे काबू पाऊ,इस पर भगवान बुद्ध बोले पहले तो तुम्हें खुशी और दुखी का अंदर जानना होगा,खुशी के समय ज्यादा खुश ना हो और वही दुखी के समय ज्यादा दुख ना हो,अभ्यास के द्वारा अगर यह पता करने की कोशिश करोगे तो यही जानोगे कि तुम्हारी इच्छाएं ही वह होती है तो तुम्हारे दुखों का कारण बनती है. जीवन में जितनी इच्छा के पीछे भागोगे उतना ही दुख तुम्हें घेरेगा.क्योंकि जब मनुष्य की इच्छाएं पूरी नहीं होता तब वह दुखी होता है, इसलिए इन पर काबू पाना सीखो.

यह सब कहने के बाद गौतम बुद्ध ने उस आदमी से एक बात और कहीं, उन्होंने कहा चलो मैं तुम्हें एक ऐसी बात बताता हूं इसे जानने के बाद तुम्हारी सभी दुखों खत्म हो जाएंगे, महात्मा की बातें सुनकर व्यक्ति बहुत खुश हुआ,और कहने लगा कृपया मुझे वह उपाय बता दें- तब गौतम बुद्ध ने कहा तुम दो पन्ने और एक कलम लेकर आश्रम के एक कोने में बैठ जाओ और किसी से बातें मत करना, एक पन्ने पर अपना सारा दुख और उसका कारण लिखना और एक पन्ने पर सारा सुख आराम से लिखना क्योंकि तुम्हारे पास समय बहुत हैं, इसके बाद वह आदमी बुद्ध को प्रणाम करके वहां से चला गया.

कुछ दिन बीते और वह व्यक्ति पुनः महात्मा बुध के पास पहुंचा उसके हाथों में बहुत सारे कागज थे फिर उसने बुद्ध से कहा कि मैंने सब लिख लिया है. महात्मा बुद्ध उसकी बात सुनकर मुस्कुराए फिर महात्मा ने उसे पहले दुख वाला कागज पढ़ने को कहा, वह कागज में पढ़ना शुरू किया- मेरे सारे भाई अमीर हैं और मैं गरीब हूं क्योंकि मैं काम करने से डरता हूं, दिन भर आराम करता हूं और दूसरों से तुलना करता रहता हूं,दूसरा मेरे पड़ोसियों ने बहुत सा धन बचत के तौर पर रखा है,लेकिन मेरे पास बचत के नाम पर कुछ भी नहीं,इसका कारण यह है कि मैं मेहनत कम करता हूं,और इसीलिए थोड़ा कमाता हूं लेकिन मेरे खर्चे ज्यादा है क्योंकि मेरे संगति गलत हैं,

इंसान के जीवन में दुखी का कारण- महात्मा बुद्ध

तीसरा मेरी स्त्री बीमार है पैसे ना होने के कारण मैं उसे वेध के पास नहीं ले गया,और यह भी सोचता रहा कि वह किसी दिन मर जाएगी तो मैं किसी दूसरी स्त्री से विवाह करूंगा. व्यक्ति कागज पड़ता पड़ता रोने लगा और उसे एहसास हुआ कि उसके गलत कामों का ही यह नतीजा है जो उसे इतने दुख झेलने पड़ रहे हैं. गौतम बुध मुस्कुराए और कहा कि चलो अब अपना खुशियों वाला कागज पढ़ कर सुनाओ,तब हुआ व्यक्ति फिर से उत्साहित होकर वह कागज पढ़ने लगा,

उसने कहा- मैंने जो कुछ भी इन दो दिनों में सीखा वह मैंने पूरी जीवन में नहीं सीख पाया पिछले 2 दिनों में मैंने यह सोचा कि मेरे अंदर असीम शांति और खुशी का सागर भरा पड़ा है तथा मैं इस अनुभव को पाकर अत्यंत खुश हूं,मेरी खुशी की सूची काफी लंबी है और मैं यह इतने लंबे आप को पढ़कर नहीं सुना सकता.उस आदमी के मुंह से यह बात सुनकर गौतम बुद्ध मुस्कुराए और कहा व्यक्ति को जब तक ज्ञान नहीं होता तब तक वह अंधेरे में भटकता रहता है. जब उसे अपने मन को नियंत्रित करने का सही उद्देश्य मिल जाता है उसके बाद वह अपना जीवन भी खुशी से बिताने लगता है.

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