महाभारत में अभिमन्यु की मृत्यु का वह सच जानिए आखिर क्यों हुई?

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महाभारत के चक्रव्यूह और अभिमन्यु की मृत्यु की कथा

नमस्कार मित्रों आज हम लोग जानंगे महाभारत के उस महान योद्धा जिन्होंने अकेले अपने दम पर पूरे चक्रव्यूह को हिला कर रख देने वाले उस महान योद्धा अर्जुन पुत्र अभिमन्यु के बारे में. जिन्होंने महज 16 वर्ष की उम्र में ही पूरे कुरुक्षेत्र के बड़े-बड़े महारथी योद्धाओं को एक पल अपनी युद्ध कौशल रणनीति से सोचने पर मजबूर कर दिया था. मैं उसी अभिमन्यु के बारे में बात कर रहा हूं जिनके पिता अर्जुन जो सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माने जाते है जिनके मामा स्वयं भगवान श्री कृष्ण है. तो चलिए जानते हैं उस अभिमन्यु के बारे में जिनकी वीरता की चर्चा तीनों लोकों में होती है और इसके पीछे की रहस्यमई कहानी क्या है? महाभारत के चक्रव्यूह और अभिमन्यु की मृत्यु की कथा, अभिमन्यु की मृत्यु कैसे हुई.

महाभारत में अभिमन्यु कौन था

अभिमन्यु श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा और अर्जुन की संतान था, अभिमन्यु को चक्रव्यूह का ज्ञान अपनी मां सुभद्रा के गर्भ में ही प्राप्त हो गया था. यह तब की बात है जब अर्जुन और सुभद्रा अकेले बैठे थे तब सुभद्रा ने चक्रव्यूह के बारे में जानना चाहा. अर्जुन सुभद्रा को चक्रव्यूह में प्रवेश करने और शत्रु को कैसे पराजित करना है उसका वर्णन बता रहे थे अर्जुन द्वारा सुभद्रा को मकरव्यूह,कर्मव्यूह और सर्पव्यूह कि जानकारी दी गई.

सुभद्रा चक्रव्यूह के बारे में सुनते सुनते अचानक सो गई, सुभद्रा को सोता हुआ देख अर्जुन ने परेशान करना ठीक नहीं समझा और वहां से चले गए. इस प्रकार से अभिमन्यु ने चक्रव्यूह के बहुत से राज माँ के गर्भ में जान तो लिए लेकिन अंतिम व बेहद महत्वपूर्ण तरीका वह जान ना सका. यही अभिमन्यु की मृत्यु का कारण बना था, पुरे महाभारत काल में अर्जुन के बाद यदि कोई चक्रव्यूह में जाने का साहस कर सकता था तो वह था अभिमन्यु.

महाभारत के चक्रव्यूह और अभिमन्यु की कथा

द्रोणाचार्य कोरवों की तरफ से लड़ रहे थे,और चक्रव्यूह का खेल में आना निश्चित था फिर युद्ध के तेरेहवे दिन दुर्योधन के कहने पर द्रोणाचार्य ने युद्ध के मैदान में एक ऐसी योजना बनाई जिसका नाम चक्रव्यू था. इस चक्रव्यूह में प्रवेश तो कर सकते हो लेकिन निकलने का कोई साधन नहीं था इस चक्रव्यू को वही भेद सकता था जो उसकी पूर्णता युद्ध-कौशल की जानकारी रखता है. अर्जुन और उनके सारथी भगवान श्री कृष्ण लड़ते-लड़ते बहुत दूर चले गए थे,और युधिष्ठिर को मारने के मकसद से उन्होंने चक्रव्यूह बनाया.

चक्रव्यूह को भेदने की कला सिर्फ अभिमन्यु को पता थी,इसलिए यह फैसला लिया गया कि सभी पांडव युद्ध में अभिमन्यु के नक्शे कदम पर युद्ध करेंगे. फिर चक्रव्यूह को भेदने के क्रम में अभिमन्यु ने दुर्योधन का पुत्र लक्ष्मण का वध कर दिया था,इससे क्रोधित होकर दुर्योधन ने गुरु द्रोणाचार्य को युधिष्ठिर को छोड़कर अभिमन्यु का वध करने को कहा,इसलिए अभिमन्यु के चक्रव्यूह मैं प्रवेश करने के बाद चक्रव्यूह का द्वार बंद करवा दिया,और अभिमन्यु के पीछे आ रहे सभी पांडवों को जयद्रथ ने चक्रव्यूह के पहले ही रोक दिया.

अकेला होने पर भी अभिमन्यु रुका नहीं और दुश्मनों का वध करते करते चक्रव्यूह के बीच में आ गया. चक्रव्यूह के बीच में अभिमन्यु को सभी महारथियों ने एक साथ घेर लिया इसमें गुरु द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, कृपाचार्य,कर्ण, शकुनि, दुशासन,दुर्योधन और अन्य महारथी शामिल थे.अभिमन्यु महारथियों से अकेले युद्ध कर रहा था,युद्ध में रथ टूटने के बाद भी अभिमन्यु ने हार नहीं मानी,बल्कि अभिमन्यु ने अपने रथ के पहिए को अपने ऊपर रक्षा कवच बनाते हुए रख लिया और दाएं हाथ से तलवार बाजी करता रहा.इसके बाद कौरवों को समझ आ गया था कि अभिमन्यु को ऐसे हराया नहीं जा सकता,तब सभी महारथियों ने मिलकर एक साथ हमला कर अभिमन्यु का वध कर दिया.

अभिमन्यु की मृत्यु का रहस्य

अभिमन्यु की मृत्यु 16 वर्ष में हो गई थी.इसके पीछे की एक कहानी यह भी है जब ब्रह्मा जी ने अन्य देवताओं को पृथ्वी पर श्री कृष्ण की सहायता के लिए जाने के लिए कहा तो चंद्रदेवता अपने पुत्र को धरतीलोक पर भेजने से मना कर दिया और कहा कि वह अपने पुत्र का वियोग सहन नहीं कर सकते. इसलिए उनके पुत्र को मानव योनि में मात्र 16 वर्ष की आयु दी जाए.अभिमन्यु पूर्व जन्म में चंद्र देवता के ही पुत्र थे जो द्वापर युग में अर्जुन के पुत्र बनकर महाभारत के युद्ध में कुरुक्षेत्र का पात्र बने थे.

इस तरह वीर अभिमन्यु की मृत्यु मात्र 16 वर्ष मे हो गई.एक अन्य मान्यता के अनुसार माना जाता है कि अभिमन्यु की मृत्यु श्री कृष्ण कि युद्धनीति का परिणाम था. इसके पीछे का कारण यह माना जाता है कि भले ही महाभारत का युद्ध लड़ा जा रहा था मगर अर्जुन बार-बार श्री कृष्ण से युद्ध ना करने की बात कहते थे. अभिमन्यु के मरने के बाद पुत्र के वियोग में अर्जुन ने पूरी निश्चय के साथ लड़ना शुरु कर दिया था.

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