यमलोक का मार्ग कैसा होता है – गरुड़ पुराण?

0

मित्रों जैसा कि हम सभी जानते इंसान की मृत्यु के बाद हर प्राणी को यमलोक के मार्ग से होकर गुजरना पड़ता है जहां उन्हें अपने जीवन किए गए अपने कर्मों का फल मिलता है। लेकिन इस मार्ग से वही व्यक्ति गुजरते हैं जिनकी मृत्यु हो गई उसकी आत्मा को इस मार्ग से होकर गुजर के यम के सभा तक जाना पड़ता है और उसे वहां धर्मराज द्वारा उनके अपने जीवन काल में किये हुए कर्मों का फल मिलता है। मगर क्या आपको पता है कि मृत व्यक्ति की आत्मा को यम के द्वार तक पहुंचने के लिए यमलोक के मार्ग को पार करना पड़ता है जो बहुत ही भयानक है। आज हम लोग यमलोक जाने वाले मार्गो के बारे में चर्चा करेंगे जिसका वर्णन हिंदू धर्म के गरुड़ पुराण में किया हुआ है। (यमलोक का मार्ग कैसा होता है – गरुड़ पुराण?

यमलोक का मार्ग कैसा होता है – गरुड़ पुराण?

गरुड़ पुराण के धर्म कांड के अनुसार यमलोक का मार्ग बड़ा ही दुर्गम है परंतु पुण्य आत्माओं के लिए सुखद एवं पापियों के लिए बड़ा ही भय एवं कष्ट कारक है। गरुड़ पुराण के अनुसार यमलोक के मार्ग का विस्तार 86000 योजन में फैला हुआ। जो मनुष्य जीवित रहते हुए अच्छे कर्म एवं दान पुण्य करते हैं वें इस मार्ग से सुखी पूर्वक जाते हैं और जो धर्म से हीन होते है वे पापी आत्माओं को इस मार्ग से होकर बड़ा ही कष्ट भोगना पड़ता है। पापी मनुष्य यमलोक के मार्ग में होनेवाले कष्टों से जोर-जोर से चिल्लाते और रोते हुए जाते हैं इतना ही नहीं यमराज के दूत भी इन मार्गों पर पापी आत्माओं को चाबुक से मारकर व अनेक प्रकार की यातनाएं देते रहते हैं और वें पापी आत्मा बड़े कष्ट से इधर-उधर भागते हुए फिर उस मार्गो पर चलने लगते हैं।

 यमलोक के मार्ग पर कीचड़, तो कहीं जलती हुई आग है, कहीं तपती हुई बालू है तो कहीं नुकीली सुई के समान पत्थर है। इसके आगे कहीं कांटेदार पौधा तो कहीं बड़े-बड़े ऊंचे पहाड़ा जिन पर चलना अत्यंत दुख दायक है। इस मार्ग के आगे कंकर, कहीं सुई के समान कांटे बिछे है, कही खतरनाक जंगली जानवर है। इस प्रकार पापी मनुष्य इन सब रास्ते में आने वाले कष्टों से होकर यात्रा करते हैं। पापी मनुष्य यमदूत के पास में बंधे होने के कारण यमदूत उन्हें घिसकर इन सब रास्तो से ले जाते है।

 यमलोक के मार्ग पार करने वाले पुण्यात्मा  –

 वही जो मनुष्य उत्तम कर्म करने वाले पुण्यात्मा होते है वें अत्यंत सुखपूर्वक इस मार्ग को पार कर जाते है। अन्न का दान करने वाला व्यक्ति स्वादिष्ट भोजन करते हुए इस मार्ग को पार करते हुए जाते हैं। जिन्होंने दूसरे को जल पिलाया है वह भी अत्यंत इस मार्ग को दूध पीते हुए सुख पूर्वक पार करते हैं साथ ही दूध दही आदि दान करने वाले पुरुष सुधा पान करते हुए इस मार्ग को सुख पूर्वक पार करते हुए यम के द्वार तक जाते हैं। इतना ही नहीं वस्त्र का दान करने वाले पुरुष दिव्य वस्त्रों से सुसज्जित होकर इस मार्ग को सुख पूर्वक पार करते हैं। गौ दान करने वाला मनुष्य इस मार्ग में सभी सुखों को प्राप्त करते हुए यमलोक की यात्रा करता है।

 घोड़े, हाथी तथा रथ की सवारी का दान करने वाला पुरुष धर्मराज के विमानों से युक्त होकर इस दुर्गम मार्ग को वायु मार्ग से पार करता है। जिस पुरुष ने अपने माता पिता और गुरुजनों की सेवा की हो देवताओं से सुसज्जित होकर इस मार्ग को सुख पूर्वक पार करके धर्मराज के द्वार तक जाते हैं। जो विद्यादान में तत्पर रहता है वह ब्रह्मा जी से पूजित होकर जाता है, वेद आदि पुराणों का पाठ करने वाला ज्ञानी जन मुनियों के द्वारा अपनी स्तुति सुनता हुआ जाता है। इस प्रकार धर्म परायण सुखपूर्वक यमराज के द्वार तक जाते हैं।

 यमलोक के मार्ग का वर्णन – गरुड़ पुराण 

जब ऐसी पुण्यात्मा धर्मराज के द्वारा तक पहुंचती है तो धर्मराज चार भुजाओं से युक्त हो, शंख,चक्र, गदा और खड़क धारण करके बड़े ही प्रेम पूर्वक मित्र के भाति पुण्य आत्माओं का आदर सत्कार करते हुए उन्हें कहते हैं – हे बुद्धिमानों हे श्रेष्ठ पुण्य आत्मा जो मानव जन्म पाकर पुण्य कर्म नहीं करता है वह पापियों में बड़ा है और वह आत्मा घात करता है, जो मानव जन्म पाकर मानव धर्म का पालन नहीं करता है वह बड़ा ही घोर नरक में जाता है।

यह यह शरीर यातना रूप है और मल आदि द्वारा अपवित्र है। सब भूतों में प्राण धारी श्रेष्ठ है उनमें से जो बुद्धि से जीवन निर्वाह करते हैं वह श्रेष्ठ है, उनसे भी मनुष्य श्रेष्ठ है। मनुष्य में ब्राह्मण, ब्राह्मणों में विद्वान और विद्वानों में अचंचल बुद्धि वाले श्रेष्ठ है। अचंचल बुद्धि वाले पुरुषों में से कर्तव्य का पालन करने वाले श्रेष्ठ है और कर्तव्य पालन करने वालों में से भी ब्रह्मावादी वीर का कथन करने वाले श्रेष्ठ है। ब्रह्म वादियों में भी वह श्रेष्ठ कहाजाता है जो ममता आदि दोषों से रहित हो फिर भी इन सब की अपेक्षा से उन्हें श्रेष्ठ कहना चाहिए जो सदा भगवान की भक्ति में तत्पर लीन रहते हैं। ऐसे दिव्य वचन कहने के बाद उन पुण्य आत्माओं को सद्गति को पहुंचा देता है और पापी आत्माओं को उनके कर्मों के अनुसार उन्हें दंड दिया जाता है।

गरुड़ पुराण के अनुसार कैसी दिखती है – वैतरणी नदी?

गरुड़ पुराण के अनुसार नहीं नहाने वाले को क्या सजा मिलती है जानिए ?

 

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here