सनातन धर्म शास्त्रों में मनुष्य से जुड़ी कई बातों को बताया गया है उनमें से बताया गया है की इंसानों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। आज हम आपको उन्हीं में से कुछ बातें बताते हैं जिसे करने से आप कभी भी दुखी नहीं रहेंगे और आपके घर से सभी परेशानियां दूर रहेंगे। दोस्तों आपको बता दें कि शास्त्रों में कुछ ऐसी बातें के बारे में बताया गया है कि जो व्यक्ति जीवन के आधार मानी जाती है और उसे प्राप्त होने वाले शुभ और अशुभ फलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। यह 9 काम करोगे तो कभी भी गरीब नहीं रहोगे ?
यह 9 काम करोगे तो कभी भी गरीब नहीं रहोगे ?
मित्रों गरुड़ पुराण में ऐसे 9 बातों को बताया गया है की उसका पालन जिस परिवार में किया जाए तो परिवार में हमेशा खुशियांली बनी रहती है ऐसे लोगों से पीड़ा दुख दर्द दूर रहती है और सदैव ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है उन्हीं में से पहला है
कुलदेवता और श्राद्ध।
सबसे जरूरी है कि जिस कुल के पितृ कुलदेवता उस पितृ से तृप्त रहे ताकि उनकी सात पीढ़ियां अच्छे से रहे। सनातन धर्म में कुलदेवी का अर्थ है कूल की देवी होना ऐसा मान्यता है कि एक आराध्य देवी होती है जिसका पूजा पूरे परिवार द्वारा कुछ खास दिन और तिथियों और तरीके से की जाती है वही जो पित्र दर्शन और श्राद्ध से संतुष्ट होते हैं अपने पूरे परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
जूठन और गंदगी को रखें घर से दूर
जिस घर में रसोई में बना हुआ खाना सबसे पहले भगवान को भोग के तौर पर चढ़ाया जाता है उस घर में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती, इसलिए बताया जाता है कि अगर आप रसोई घर में जूठा खाना ना रखें । भगवान को अर्पित करने के बाद ही जूठा करें ताकि आपके घर में लक्ष्मी मेहरबान रहे। इसके अलावा खास ख्याल रहे कि घर में किसी भी प्रकार की गंदगी ना रहे
इन पांच को भोजन दे
तीसरा इन 5 को खाना खिलाएं और तो और खाना बनाते समय कुत्ते और गाय के लिए रोटी, मछली के लिए आटा और चीटियों के लिए चीनी तथा आटा डालें और पक्षियों के लिए दाना डालें। आपको जब भी मौका मिले इन पांच में से किन्ही को भोजन अवश्य कराएं।
अन्न दान
किसी भी धर्म में दान करना अहम माना गया है खास तौर पर वह दान भूखों के लिए अनाज धार्मिक नजरिए से यह बहुत ही पुण्य दान माना गया है। कहां जाता है कि सक्षम होने पर ब्राह्मण भोजन और गरीबों को अन्न दान करने पर मिले पुण्य से अदृश्य दोषो का नाश कर परिवारों को मुश्किलों से बचाते हैं। अन्न दान करने से केवल एक पीढ़ी का ही नहीं बल्कि सात पीढ़ियां का कल्याण होता है।
यह काम करोगे तो कभी भी दुखी नहीं रहोगे – वास्तु शास्त्र
वेदों और ग्रंथों का अध्ययन
सभी को धर्म ग्रंथों में छुपे हुए ज्ञान और विद्या से प्रकृति तथा व्यक्तियों के रिश्ते को समझना चाहिए। व्यवहारिक तरीके से परिजनों के सभी सदस्य धर्म-कर्म के साथ ही उच्च व्यवहारिक शिक्षा को भी प्राप्त कर सकते हैं।
तप का महत्व
दोस्तों आपको बता दें कि आत्मा और विधाता के मिलन के लिए तब मन और शरीर से कठिन ध्यान लगाना चाहिए तब का अच्छे परिवार के लिए व्यवहारिक तौर पर इसका अर्थ यह है कि परिवार के सदस्य सुख और शांति के लिए कड़ी मेहनत और परिश्रम और पुरुषार्थ करें। गलत तरीके से कमाया गया पैसा कभी किसी के परिवार को सुखी नहीं रख सकता कुछ देर की खुशी के लिए हम पूरा जीवन दाव पर लगा देते हैं।
पवित्रविवाह
मित्रों विवाह संस्कार को शास्त्रों में सबसे अहम संस्कार महानदी है। यह 16 संस्कारों में से पुरुषार्थ प्राप्ति का जरूरी संस्कार है। व्यवहारिक अर्थ में गुण विचारों को संस्कारों में बराबरी वाले संस्कार मैं सम्मान लिए प्रतिष्ठित परिवारों मैं परंपराओं के अनुरूप शादी दो कुटुंब को सुख देता है। सही शादी होने पर स्वस्थ और संस्कारी संतान होते हैं जो आगे चलकर अपने कुल का नाम रौशन होता है और तरक्की पर ले जाते हैं।
इंद्रियां पर संयम
यह तो सभी को बताया जाता है कि कर्मेंद्रियों और ज्ञानेंद्रियों को संयम रखना बेहद जरूरी है। इसका मतलब यह नहीं कि परिवार के सदस्य मौज में इतना डूब जाए कि अपने कर्तव्य और जिम्मेदारियों को भूल कर घर- परिवार दुख और कष्टों से घिर जाए।
सदाचार का पालन
सभी को अच्छा विचार और व्यवहार रखना चाहिए। यह जरूरी है कि परिवार के सदस्य संस्कार और जीवन के मूल्यों से जुड़े रहे तथा अपने बड़ों का सम्मान करें। रोज उनका आशीर्वाद लेकर दिन का शुरुआत करें ताकि सभी का चरित्र और सभी का स्वभाव बना रहे। स्त्रियों का सम्मान करें और हर स्त्रियों पर बुरी नजर ना रखें ऐसा करने से आपके घर में माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
इंसान को अपने पिछले जन्म के बारे में क्यों याद नहीं रहता है – गरुड़ पुराण?