मित्रों जामवंत जी रामायण के मुख्य पात्रों में से एक है वह आधे मानव थे और आधे भालू. रामायण आदि ग्रंथों में तो उनका चित्रण ऐसा ही किया गया है. पुराणों के अध्ययन से पता चलता है की वशिष्ट, अत्री, विश्वामित्र दुर्वासा, अश्वथामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण परशुराम, मारकंडे ऋषि, वेद व्यास और जामबंत आदि कई ऐसे ऋषि मुनि और देवता स्वशरीर आदमी जीवित है.रामायण के जामवंत के बारे में पौराणिक कथा?
कहते हैं कि जामवंत जी बहुत ही बुद्धिमान थे वेद उपनिषद उन्हें कंठ तक याद थे. वह निरंतर पढ़ाई करते थे और इसी कारण ही उन्हें लंबा जीवन प्राप्त हुआ था. परशुराम और हनुमान जी के बाद जामवंत ही एक ऐसे व्यक्ति थे जिनके तीनों युगों में होने का वर्णन मिलता है और कहा जाता है कि वह आज भी जिंदा है.लेकिन परशुराम और हनुमान से भी लंबी उम्र है जामवंत जी की क्योंकि उनका जन्म सतयुग में राजा बलि के काल में हुआ था तो जामवंत जी के इस रहस्य को जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे.
जामवंत के बारे में पौराणिक कथा
मित्रों रामायण काल में हमारे देश में तीन प्रकार की संस्कृतियां अस्तित्व मे थी उत्तर भारत में आर्य संस्कृति जिनके प्रमुख राजा दशरथ है जो श्री राम के पिता थे. दक्षिण भारत में अनार्य संस्कृति जिनका प्रमुख रावण था और तीसरी संस्कृति देश के मध्य भारत मैं जनजातियों और आदि वासियों के रूप में अस्तित्व में थी जिनके संरक्षण महाऋषि अगस्त मुनि थे. अगस्त मुनि वनवासियों के गुरु और मार्गदर्शन थे बानर राज बाली सुग्रीव जामवंत हनुमान नल और नील आदि अगस्त मुनि के शिष्य थे.
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जामवंत सतयुग त्रेता युग में भी थे और द्वापर युग में भी उनके होने का वर्णन मिलता है.एक और जहां हनुमान जी और भीम को पवन पुत्र माना गया है वही जामवंत जी को अग्नि पुत्र कहा गया है जामवंत की माता एक गंधर्व कन्या थी. मान्यता अनुसार भगवान ब्रह्मा ने एक ऐसे रिच मानव बनाया था जो पैरों से चल सकता था और जो मानवो से संवाद भी कर सकता था. पुराणों के अनुसार वानर और मानवों की तुलना मे अधिक विकसित रिच जनजाति का उल्लेख मिलता है.
सृष्टि के आदि में प्रसंग संकल्प के सतयुग में जामवंत जी उत्पन्न हुए थे जामवंत ने अपने सामने ही वामन अवतार को देखा था. वह राजा बलि के काल में भी थे राजा बलि से तीन पग धरती माँगकर भगवान वामन ने बली को चिरंजीवी होने का वरदान देकर पाताल लोक का राजा बना दिया गया था. वामन अवतार के समय जामवंत जी अपनी युवावस्था में थे जामवंत को चिरंजीवीओं में शामिल किया गया है जो कलयुग के अंत तक रहेंगे.
राम यूग यानी त्रेता युग में जामवंत जी बूढ़े हो चले थे, राम के काल में उन्होंने भगवान श्रीराम की सहायता भी की थी कहते हैं कि जामवंत जी समुद्र को लांघने में सक्षम थे लेकिन त्रेता युग में वह बूढ़े हो चले थे इसीलिए उन्होंने हनुमान जी से इसके लिए विनती की कि आप ही समुद्र लांघिये यानि की रामायण युद्ध कांड में जामवंत का नाम विशेष उल्लेखनीय है. जब हनुमान जी अपने शक्तियों को भूल जाते हैं तो जामवंत जी ही उनको यह उनको याद दिलाते हैं.
माना जाता है कि जामवंत जी का आकार प्रकार कुंभकर्ण से तनिक सा ही छोटा था. जामवंत को परम ज्ञानी और अनुभवी माना जाता है उन्होंने ही हनुमान जी को हिमालय में प्राप्त होने वाले चार दुर्लभ औषधियों का वर्णन किया था जिसमें से एक संजीवनी थी. राम रावण के युद्ध में जामवंत जी राम सेना के सेनापति थे युद्ध की समाप्ति के बाद जब भगवान राम विदा होकर अयोध्या लौटने लगे तो.जामवंत जी ने उनसे कहा कि प्रभु इतना बड़ा युद्ध हुआ मगर मुझे पसीने की एक बूंद नहीं आई तो समय प्रभु श्री राम मुस्कुरा दिए और चुप रह गए श्री राम समझ गए थे एक जामवंत जी के भीतर अहंकार प्रवेश कर गया है.
जामवंत ने कहा प्रभु युद्ध मैं सबको लड़ने का अवसर मिला परंतु मुझे अपनी वीरता दिखाने का कोई भी अवसर नहीं मिला मै युद्ध मे भाग नहीं ले सका और युद्ध करने की इच्छा मेरे मन में ही रह गई. उस समय भगवान ने जामवंत जी से कहा तुम्हारी यह इच्छा अवश्य पूर्ण होंगी जब मैं अगला अवतार धारण करूंगा फिर द्वापर युग तक जामवंत जी एक गुफा में तपस्या करते रहे. उस समय एक स्वयंमनतक मनी होती थी जिसे इंद्रदेव धारण करते थे भगवान श्री कृष्ण को इस के लिए युद्ध करना पड़ा था उन्हेंने मनी के लिए नहीं बल्कि खुद पर लगे मनी चोर के आरोप को सिद्ध करने के लिए जामवंत से युद्ध किया था.
बाद में जामवंत जब युद्ध में हारने लगे तब उन्होंने अपने प्रभु श्री राम को पुकारा और उनकी पुकार सुनकर श्री कृष्ण को अपने रामस्वरूप में आना पड़ा तब जामवंत जी ने समर्पण कर अपने भूल स्वीकारी और उन्होंने मनी भी दी और श्रीकृष्ण से निवेदन किया आप मेरी पुत्री जामवंती से विवाह करें. जामवंती और श्री कृष्णा के संयोग से महा प्रतापी पुत्र का जन्म हुआ इसका नाम शामब्र रखा गया. इस शामब्र के कारण ही श्री कृष्ण के कुल का नाश हो गया था गुजरात के पोरबंदर से 17 किलोमीटर दूर राजकोट पोरबंदर मार्ग पर एक गुफा पाई गई है जिसे जामवंत की गुफा कहा जाता है माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां भगवान श्री कृष्ण और जामवंत के बीच में युद्ध हुआ था.