मित्रों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि लालची व्यक्ति हमेशा कभी जीवन में संतुष्ट नहीं रहते है। इसे चाहे कितना भी धन क्यों नहीं मिल जाए फिर भी जीवन में वह कभी संतुष्ट नहीं रह पाता। इंसान की यह इच्छा एवं कामना उसे कहां तक ले जाती है यह कोई नहीं जानता इसी से जुड़ी एक कहानी सामने आती है जो लालची प्रवृति वाले व्यक्तियों के लिए बहुत अधिक प्रभावित करती है तो चलिए जानते हैं उस कहानी के बारे में।लालची लोगों के साथ क्या होता है – पौराणिक कथा?
एक राजा एवं उनकी प्रजा की कहानी
एक समय एक राज्य में एक धर्मात्मा राजा राज करता था। राजा बड़ा ही पुण्यात्मा एवं भगवान की भक्ति सदा करते रहता था वह भगवान की पूजा अर्चना में इतना आनंदित रहता था कि वह जंगल में अपने भगवान की एक मंदिर बनवाया था जहाँ वह प्रतिदिन उसकी पूजा-अर्चना करता था। एक दिन भगवान उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसके समक्ष प्रकट हो गया। भगवान को साक्षात दर्शन पाकर राजा धन्य हो गया और वह भगवान से कहने लगा कि हे देव क्या मैं आपसे कुछ मांग सकता हूं। भगवान बोले – क्यों नहीं राजन, तुम्हारे निर्मल भक्ति से मैं इतना प्रसन्न हुआ कि तुम जो मांगोगे वह वर मिलेगा।
लालची लोगों के साथ क्या होता है – पौराणिक कथा?
तो फिर राजा ने भगवान से कहा कि हे प्रभु आपने मुझे पहले से ही सब कुछ दे दिया है मुझे किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है किंतु मैं अपने प्रजा के लिए कुछ इच्छा रखता हूं कि हे प्रभु एक बार आप हमारी प्रजा को दर्शन देकर उनका जीवन भी धन्य करें इसमें आपकी बड़ी कृपा होगी। भगवान भी राजा की इच्छा को मान गए और उन्होंने एक शर्त रखी कि ‘मैं इस समय इसी स्थान पर मैं कल मिलूंगा जो यहां तक आ गया वही मेरे दर्शन को प्राप्त होगा ‘। राजा ने भगवान के यह शर्त स्वीकार कर ली और भगवान की दर्शन की सूचना पूरे राज्य में फैला दी।
अपने कर्म पथ से से भटके नगर वासी
अगले दिन उस राज्य के सभी नगर वासी भगवान के दर्शन हेतु स्नान करके सभी भजन गाते अपने राजा-रानी के साथ चल पड़े। जैसे ही नगर वासियों से उस राज्य से बाहर निकले और थोड़ी दूर चलने के बाद भगवान ने माया रची और रास्ते में पैसों का ढेर लगा दिया। पैसे को ढेर को देखकर सभी नगर वासी अपने अपनी झोली में पैसे बटोरने लगे। राजा अपने नगर वासियों को समझाता रहा कि ऐसा मत करो क्योंकि भगवान बस थोड़ी ही कुछ दूर पर है अगर तुमने उसे पा लिया तो फिर यह धन्य-धान क्या है लेकिन किसी ने भी राजा की बात नहीं सुनी और वह राजा से कहता रहा कि हे राजन हम सब में से कोई कर्ज में डूबा है, कोई बहुत गरीब है किसी को इलाज के लिए पैसे चाहिए इसलिए यह धन हम घर में रख कर आते है फिर भगवान से मिलेंगे।
लेकिन उनमें से कुछ लोग ऐसे भी थे जो भगवान को प्रमुखता देते हुए राजा के साथ आगे चल दिए। आगे बढ़ने पर उन्हें क्या दिखता है कि रास्ते में एक चांदी का ढेर लगा पड़ा है अभी बचे हुए लोगों थे वह भी चांदी को देखकर उलझन में पड़ गए। राजा ने फिर उन नागरिकों को समझाया कि भगवान बस कुछ ही दूर है इसमें उलझना व्यर्थ है। राजा की बातों को सुनकर उनमें से कुछ लोग राजा के साथ आगे बढ़ने लगे और चलने लगे और उन्हीं में से कुछ चांदी को लेकर अपने घरों की ओर लौटने लगे। फिर कुछ दूर आगे चलकर राजा और उन सभी बचे हुए नागरिकों को सोने का ढेर लगा हुआ दिखा।
लालची लोगों के साथ क्या होता है – पौराणिक कथा?
राजा के साथ जितने भी लोग बचे हुए थे वह सब सोने के ढेर को देखकर वही रुक गए तब के राजा ने समझाया कि ऐसा मत करो भगवान कुछ ही दूर पर है लेकिन इतना सारा सोना देखकर नागरिकों का मस्तिक काम नहीं कर रहा था और वहसभी अपने लक्ष्य से भटक गया और उन्होंने सोचा कि इतने सारे सोने में तो कई पुष्टि राज कर सकती है और वह राजा की बातों को अनदेखा करके सोने लेकर अपने घर की ओर चल दिए।
और अब भगवान की दर्शन की सफर में सिर्फ दो ही इंसान रह गए एक राजा और दूसरा उसकी पत्नी रानी। लेकिन भगवान की परीक्षा अभी खत्म नहीं हुई थी इस बार मार्ग में दोनों राजा और रानी थोड़ी दूर चलने के बाद उन दोनों को हीरे, मोती, एवं कीमती रत्नों से पढ़ा हुआ एक बहुत बड़ा ढेर मिला जिसे देखकर रानी का भी मन भटक गया उन्होंने अपने जीवन एवं अपने राज्य में भी इतने सारे हीरो के ढेर नहीं देखे थे। तब फिर राजा ने बोला कि हे प्रिये तुम ये क्या कर रही हो चलो भगवान हमारी वहां प्रतीक्षा कर रहे हैं तो फिर रानी ने उत्तर दिया – हे राजन ऐसे रत्नों को मैंने कभी नहीं देखा मुझे इसे अर्जित करने दे, आप आगे बढ़िया मैं फिर कभी दर्शन कर लूंगा।
लालच असफलता का राज
रानी की यह बात सुनकर राजा आगे चल पड़े और जब राजा भगवान के पास पहुंचा तो भगवान उससे मुस्कुराकर पूछ पड़े कि – हे राजन तुम तो पूरी प्रजा को दर्शन के लिए लाने वाले थे फिर क्या हुआ? तब राजा ने उत्तर दिया – हे प्रभु निकले तो सभी आपके दर्शन के लिए ही थे लेकिन सभी रास्ते में किसी-न-किसी चीज में उलझ कर रह गए। कोई पैसे को देखकर उलझ गए तो कोई सोना,चांदी। तब फिर भगवान ने राजा से बोले- इसीलिए हे राजन जो व्यक्ति संसार इस मोह माया को त्याग कर जो मेरे समीप पहुंच पाता है वही मोक्ष का पात्र होता है जो इन सब में उलझ कर रह गया वह मृत्यु लोक में शायद सभी सुखों को भोगे लेकिन वह मुझे प्राप्त नहीं कर सकता।
तो मित्रों इस कहानी से हमें क्या शिक्षा लेनी चाहिए कि हमें भी अपने जीवन में अपने कर्मों को करते हुए इधर-उधर बातों की तरफ ध्यान नहीं देना चाहिए,अगर हम अपने जीवन में कुछ बड़े लक्ष्य लेकर कर्म कर रहे हैं तो हमारे जीवन में उस कर्म को करते हुए बहुत से नकारात्मक कर्म भी सामने आते हैं जिससे हमें उन्हें बचना चाहिए ताकि हम अपने लक्ष्य में सफल हो पाए।
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