वसंत पंचमी सरस्वती पूजा की पौराणिक कथा?

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सरस्वती पूजा कब और क्यों मनाया जाता है, सरस्वती पूजा के धार्मिक कारण,वसंत पंचमी सरस्वती पूजा की पौराणिक कथा?,बसंत पंचमी शुभ कार्य क्या है, सरस्वती पूजा कब है
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नमस्कार दोस्तों आज हम लोग जानंगे सरस्वती पूजा के बारे में। यह पूजा हमारे भारत देश में बहुत ही प्रचलित है यह कब और क्यों मनाया जाता है चलिए आज हम लोग इसी के बारे में बात करेंगे और इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातें? सरस्वती पूजा कब और क्यों मनाया जाता है, सरस्वती पूजा के धार्मिक कारण,वसंत पंचमी सरस्वती पूजा की पौराणिक कथा?,बसंत पंचमी शुभ कार्य क्या है, सरस्वती पूजा कब है

वसंत पंचमी सरस्वती पूजा की पौराणिक कथा? 

सरस्वती पूजा हमारे भारत देश में मनाए जाने वाले एक प्रमुख पूजा में से एक है और इस वर्ष यह पूजा 26 जनवरी दिन गुरुवार को है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा बड़े धूमधाम से होती है. मां सरस्वती विद्या, कला एवं ज्ञान की देवी मानी जाती है इसलिए हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी की तिथि के दिन  इस देवी की पूजा की जाती है. यह ज्ञान कला एवं विद्या की भंडार है इसलिए बड़े से बड़े विद्वानों, ज्ञानियों से बड़े ज्ञानी एवं हमारे देश के छात्र एवं छात्राएं, एवं गुरुजनों इनसे विद्या प्राप्त करने के लिए हर वर्ष इनकी पूजा एवं आराधना करते हैं.

हर वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की इनकी पूजा की जाती है और यही वह समय है जो वसंत ऋतु की शुरुआत होती है. जिसमें ना अधिक ठंड होती है ना ही अधिक गर्मी मौसम हमेशा अनुकूल रहता है इसलिए इस पूजा को वसंत पंचमी के भी नाम से जाना जाता है.

यह वह समय होता है जो अंग्रेजी नववर्ष के शुरुआती समय जनवरी या फरवरी माह का महीना, और हिंदू नव वर्ष के माघ मास का समय होता है जो बसंत पंचमी को इनकी पूजा की जाती है. यह समय वसंत ऋतु के आगमन का और वृक्षों एवं खेतों में फल फूल और सरसों लहराते हुए यह मौसम बड़ा ही खुशनुमा और मन को आनंदित करने वाला मौसम होता है जब इनकी पूजा का समय आता है.

वसंत पंचमी सरस्वती पूजा की पौराणिक कथा?

अब हम लोग जाने की सरस्वती पूजा मनाने के कुछ धार्मिक कारण तो चलिए जानते हैं? एक कथा के अनुसार वसंत पंचमी का ही वह दिन था जब मां सरस्वती पहली बार धरती लोक पर प्रकट हुई और पूरे संसार को विद्या का ज्ञान प्राप्त हुआ, तभी से इस संसार में वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा आराधना शुरू हो गई. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को हल्दी, केसर, पीले फूल, एवं पीले मिठाई का भोग लगाकर इनकी पूजा आराधना की जाती है.

इस दिन मां सरस्वती के मूल मंत्र ॐ सरस्वत्यै नमः हल्दी लगी हुई फूल की माला जाप करने पर इंसानों की बुद्धि में विकास होता है. इस दिन भारत देश के सभी स्कूल कॉलेजों एवं सभी धार्मिक संस्थानों में मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है और मां सरस्वती सभी को बुद्धि एवं ज्ञान का विकास प्रदान करती है. मां सरस्वती के पिता सृष्टि के सृजन करता ब्रह्मदेव है जिन्होंने इस संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति की है.

ब्रह्मदेव त्रिदेव के एक अंग है जिन्होंने जब यह सृष्टि की उत्पत्ति की तो इस संसार के संपूर्ण प्राणी बिना ज्ञान के कुछ भी कर्म करने में असमर्थ थे और सभी पशु के समान आचरण करने लगे थे. इसलिए ब्रह्मदेव संपूर्ण प्राणियों में ज्ञान के विकास को जन्म देने के लिए ज्ञान की देवी मां सरस्वती को उत्पन्न किया जिससे संपूर्ण प्राणियों में ज्ञान का भाव हुआ और फिर संसार धीरे-धीरे विकास की ओर बढ़ा इसीलिए मां सरस्वती को विद्या, ज्ञान एवं कला भंडार के देवी मानकर इस संसार के सभी मनुष्य जन समुदाय मिलकर इनकी पूजा की जाती है.

वसंत पंचमी के दिन किये गए शुभ कार्य 

यदि तिथि साल में एक दिन आती है और इस तिथि को बड़ा ही शुभ एवं दुर्लभ माना जाता है. इस दिन बड़े ही शुभ कार्य करने के लिए उचित मानी जाती है. इस दिन किए गए काम जीवन में बहुत ही फलदाई एवं सुख समृद्धि लाती है. यह दिन किसी नये दुकान की शुरुआती करना, या किसी व्यापार का शुरुआत करना, गृह प्रवेश इत्यादि शुभ कार्यों के लिए बहुत ही दुर्लभ दिन माना जाता है इसलिए अगर आप भी कोई शुभ कार्य करने को सोच रहे थे इसी दिन कीजिए, इस दिन किए गए कार्य बहुत ही जल्दी फलदाई होता है.

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