जैसा कि आप जानते हैं कि आचार्य चाणक्य तक्षशिला विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र के महान शिक्षक थे। तो आचार्य चाणक्य ने विद्यार्थियों के लिए कुछ बातें बताई है जिन्हें ध्यान में रखते हुए कोई भी विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। आचार्य चाणक्य के इन बातों को अगर कोई भी विद्यार्थी ध्यान में रखता है या अपने जीवन में उतारता है तो उस विद्यार्थी को सफलता प्राप्त करने से कोई भी नहीं रोक सकता। तो आइए जानते हैं महान आचार्य चाणक्य ने विद्यार्थियों के लिए वह कौन सी बातें बताइए जिसको ध्यान में रखना चाहिए ?
अधिक समय तक सोना
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में पहली बात कहा है कि किसी भी विद्यार्थियों को अधिक समय तक सोना नहीं चाहिए। अधिक समय तक सोना आलस्य पन की निशानी है। अगर कोई व्यक्ति आलसी है तो उसके जीवन में कोई भी अवसर मिलता है तो वह उसे खो देता है। ज्यादा नींद लेने वाले विद्यार्थी या फिर ज्यादा सोने वाले इंसान कोई भी काम ठीक तरीके से नहीं कर पाते। ऐसे विद्यार्थी अपने जीवन में कभी भी पूरी तरीके से ज्ञान प्राप्ति नहीं कर पाते है क्योंकि पूर्ण रूप से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को अत्यधिक नींद का त्याग कर देना चाहिए और उसे समय पर जागना चाहिए।
काम भावना से बच के रहना चाहिए
अगर कोई भी व्यक्ति या विद्यार्थी के मन में काम भावना की इच्छा उत्पन्न होने लगती है तो वें उसके अधीन हो जाता है और उसके मन को वश में कर लेता है इसके दुष्परिणाम में जब भी वह व्यक्ति या विद्यार्थी किसी कार्य में लगता है तो उसके दिमाग़ में काम भावना ही चलते रहता है जिसके कारणवश उसका मन अशांत हो जाता है और उस विद्यार्थी को पढ़ने लिखने में कोई मन नहीं लगने लगता है। जिसके कारण वश वह सही से ज्ञान प्राप्त नहीं कर पाता है और उसका भविष्य अंधकार में चला जाता है इसलिए किसी भी व्यक्ति या विद्यार्थियों को भावना से बचकर ही रहना चाहिए।
क्रोध पर नियंत्रण रखे
अगर किसी व्यक्ति का स्वभाव क्रोध वाला हो और वह छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता हो तो ऐसा व्यक्ति अपनी क्रोध या गुस्सा में किसी का भी बुरा कर सकता है। तो चाणक्य का कहना है अगर किसी को ज्ञान प्राप्त करना है तो उसके लिए उसका मन शांत और एकाग्रित होना चाहिए तभी वह ज्ञान प्राप्त कर सकता है इसलिए शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी भी विद्यार्थी को क्रोध पर नियंत्रण करना आना चाहिए।
अल्प भोजन करना
आचार्य चाणक्य ने विद्यार्थियों के लिए जो चौथे बात कही है वह है – अल्प भोजन। अल्प भोजन का मतलब होता है न अधिक भोजन करना चाहिए और ना ही कम भोजन करें। आचार्य चाणक्य का कहना है कहना है कि विद्यार्थियों को एक निश्चित मात्रा में भोजन करना चाहिए और ना ही ऐसे पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिससे उसका सेहत पर बुरा असर पड़े, क्योंकि अगर आप अधिक खा लेते हैं या फिर कोई ऐसे पदार्थों का सेवन करते हैं जिससे आपकी सेहत खराब हो जाए तो फिर ना आपको पढ़ने में मन लगेगा और ना ही किसी कार्य में। एक निश्चित मात्रा में किया हुआ भोजन ही आपके शरीर को स्वस्थ और मन को शांत रखने में मदद करता है।
लोभ और लालच की भावना
आचार्य चाणक्य ने विद्यार्थियों के लिए कहा है कि किसी भी विद्यार्थी को लोभ और लालच की भावनाओं से दूर रहना चाहिए। जिस किसी भी विद्यार्थी के मन में लोभ और लालच रहता है वह विद्यार्थी अपने विद्या के बारे में सतर्क नहीं रहता और अपना सारा समय लालच को पूरा करने में गवा देता है
समय व्यर्थ ना करें
छठी बात जो आचार्य चाणक्य ने बताया है कि वह यह है कि अपना जो बहुमूल्य समय है वह ज्ञान या विद्या प्राप्ति करने के लिए देना चाहिए। इससे आप अच्छी तरीके से ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे जिससे आपको भविष्य में सफलता मिलेगा। क्योंकि समय बहुत बलवान होता है अगर आप आज का समय व्यर्थ करेंगे तो कल आपको पश्चाताप का सामना करना पड़ेगा।
इन तीन लोगों की भलाई कभी ना करें – चाणक्य नीति ?