मित्रों जीवन-मृत्यु जीवन का ऐसा चक्कर है जिसे हर मनुष्य भोगता है यदि किसी ने जन्म लिया है तो उसे एक न एक दिन मृत्यु को प्राप्त होना पड़ता है। ऐसे में आप सबके मन में ये ख्याल जरूर आता होगा कि आखिर व्यक्ति के बार-बार जन्म-मरन के पीछे का कारण क्या है। जीवन मरण के इस चक्र को लेकर उठे आपके प्रश्न का उत्तर हम आपको एक कथा के माध्यम से बताते हैं तो चलिए जानते हैं?श्री कृष्ण के अनुसार मनुष्य बार-बार जन्म क्यों लेता हैं?
श्री कृष्ण के अनुसार मनुष्य बार-बार जन्म क्यों लेता हैं?
एक बार वासुदेव श्री कृष्ण अपने महल में दतवन कर रहे थे। उनके साथ देवी रुक्मणी स्वयं अपने हाथों में जल लिए उनकी सेवा मैं खड़ी थी। तभी अचानक गोपाल हंसने लगे जिस पर रुकमणी जी ने सोचा कि शायद मेरी सेवा में कोई गलती हो गई है इसलिए कृष्ण जी हस रहे हैं। भगवान को हसता देख देवी ने श्रीकृष्ण से पूछा प्रभु आप दात्मन करते समय अचानक ऐसे क्यों हस पड़े क्या मुझसे कोई गलती हो गई कृपया आप मुझे अपने हसने का कारण बताएं।
जिस पर मुरलीधर बोले नहीं प्रिय आपसे सेवा में त्रुटि होना केसे संभव है आप ऐसा ना सोचे बात कुछ और है। रुकमणी जी ने कहा आप अपने हसने का रहस्य मुझे बता दे तो मेरा मन शांत हो जाए अन्यथा मेरी मन में बेचैनी बनी रहेगी। तब भगवान कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा देखो वह सामने एक चीटा चींटी के पीछे कितनी तेजी से दौड़ा चला जा रहा है वह अपनी पूरी ताकत लगा कर चींटी का पीछा कर उसे पा लेना चाहता है। इसी माया शक्ति की प्रबलता का विचार करके हसी आ रही है।
प्रभु की बात पर आश्चर्यचकित होते हुए देवी ने कहा वह कैसे प्रभु इस चींटी के पीछे चिटे का दौड़ने पर आपको अपनी माया शक्ति की प्रबलता कैसे दिख गई। भगवान श्री कृष्ण ने कहा मैं इस चींटे को 14 बार इंद्र बना चुका हूं 14 बार देवराज के पद का सुख पाने के बाद भी इसकी भोग लिप्सा समाप्त नहीं हुई यह देख कर मुझे हसी आ गई। इंद्र की पद भी भोग योनि है मनुष्य अपने उत्तम कर्मों से इंद्रत्व को प्राप्त कर सकता है।
इंसान मोक्ष को प्राप्त क्यों नहीं कर पाता –
100 अश्वमेघ यज्ञ करने वाला मनुष्य इंद्र पद प्राप्त कर लेता है लेकिन जब उनके भोग पूरे हो जाते हैं तो उसे दोबारा धरती लोक पर आकर जन्म ग्रहण करना पड़ता है। प्रत्येक जीव इंद्रियों का स्वामी है लेकिन जब जीव इंद्रियों का दास बन जाता है तो उसका जीवन कलशित हो जाता है और बार-बार जन्म मरण के बंधन में पड़ जाता है केवल वासना ही पुनर्जन्म का कारण है। अतः वासना को ही खत्म करना चाहिए इस पर विजय पाना ही सुखी होने का उपाय है।
बुझे ना काम अग्नि तुलसी कहू विषय भोग बहू घी ते |
अर्थात अग्नि में घी डालते जाए वह और भी बढ़ेगी, यही दशा काम की है उसे बुझाना हो तो संयम रुपी शीतल जल डालना होगा। भगवान आगे कहते हैं कि संसार में मोक्ष प्राप्त करना अत्यधिक कठिन है क्योंकि वासना बढ़ती है तो भोग बढ़ते हैं इससे संसार कटु हो जाता है। वासना जब छीन ना हो तब तक मुक्ति नहीं मिलती पूर्व जन्म का शरीर तो चला जाता है परंतु पूर्व जन्म का मन नहीं जाता।
कृष्णा की तरह कोई दुख नहीं और त्याग की तरह कोई सुख नहीं, सारी कामनो मान, सुख, भोग, आलस्य आनंद आदि का त्याग करके केवल परमात्मा की स्मरण लेने से ही व्यक्ति ब्रह्म भाव को प्राप्त हो जाता है। चलिए इसी के साथ आपको ये भी बता देते हैं की मृत्यु के कितने समय के बाद अगला जन्म मिलता है
मृत्यु के कितने समय के बाद अगला जन्म मिलता है
आपको जानकर ये हैरानी होगी कि एक आत्मा जैसे ही इस मोह माया की दुनिया छोड़कर जाती है तब उसको इस बात का एहसास होने में काफी समय लगता है। जिसके बाद वो आत्मा नए शरीर की खोज के लिए नए सफर पर निकल पड़ती है। कहा जाता है कि एक साधारण आत्मा को नया शरीर ढूंढने मैं ज्यादा समय नहीं लगता है। मित्रों आमतौर पर इस श्रेणी मैं दो तरह की आत्माएं आती है पहला देवीय श्रेणी की आत्मा होती है। वो देवता जिनको आप पूजते हैं या आपके कुल देवता ऐसे लोगों की आत्माओं को दूसरा शरीर ढूंढने में लंबा समय लगता है। इसके पीछे भी एक बहुत बड़ा कारण है कहा जाता है कि ऐसी आत्मा की जन्म के लिए ऐसी गर्भ भी चाहिए होती है जो खुद में अनोखी हो।
वही एक और ऐसी आत्मा होती है जिन्हें आसानी से शरीर नहीं मिलता वो है शैतानी आत्मा। यह आत्माएं वो होती है जिनका पूरा जीवन दूसरों को कष्ट देने और अधर्म कार्यों में गुजरा हो। इनको नया शरीर मिलने में लंबा समय लगता है इसके पीछे भी एक कारण है कहा जाता है कि ऐसी आत्माओं को भी ऐसी कोख की खोज होती है जो अपने अंदर उनकी नकारात्मक समा सकें।
बृहदारण्यक उपनिषद्ब में बताया गया है कि एक आत्मा को दूसरे शरीर में जाने में ठीक उतना ही समय लगता है जितना एक कीड़े को एक तिनके से दूसरे तिनके में जाने मैं लगता है। कई ग्रंथों का यह भी कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को यह लगता है कि उसने अपने इस जीवन के सभी काम पूरे कर लिए हैं तो बिना कष्ट के अपना शरीर त्याग देता है ऐसे लोगों की आत्मा को नए शरीर धारण होने में कुछ ही पल लगते हैं। तो मित्रों आपने जाना कि मनुष्य के बार-बार जन्म मरण का कारण क्या है और मृत्यु के कितने समय के बाद अगला जन्म मिलता है अगर आपको यह कथा अच्छी लगे तो शेयर जरूर करें।
अकाल मृत्यु होने पर आत्मा को क्या कष्ट भोगना पड़ता है – गरुड़ पुराण?