मित्रों किसी जीवात्मा ने मनुष्य की योनि में जन्म लिया है तो उसे कभी ना कभी या कोई ना कोई पाप जरूर होता है क्योंकि इंसान बिना कोई गलती किए जीवित रह ही नहीं पाएगा। लेकिन कभी आपने यह सोचा है कि मनुष्य के पाप करने की असली वजह क्या है तो आज इस प्रस्तुति में हम इस बात को जानंगे?श्री कृष्ण के अनुसार मनुष्य जानते हुए भी पाप क्यों करता है?
श्री कृष्ण के अनुसार मनुष्य जानते हुए भी पाप क्यों करता है?
महा भारत की एक कथा के अनुसार एक बार कुंती पुत्र अर्जुन ने भगवान वासुदेव से पूछा कि मनुष्य ना चाहते हुए भी पाप क्यों करता है और पाप का फल भोगने के लिए नर्को मैं 8400000 योनियों में जाता है। तब पार्थ की यह बात सुनकर भगवान कृष्ण मुस्कुराते हुए उत्तर देते हैं और कहते हैं की कामना मनुष्य से पाप कराती है और कामना से उत्पन्न होने वाला क्रोध और लोभ यही इंसान को पाप में लगाते हैं और पाप से दुखी होता है दुर्गति में जाता है।
मनुष्य के मन इंद्रियों बुद्धि अहम् और विषयों में कामना का वास होता है कामना ही इंसान का बैरी है पतंग का कारण है। लेकिन इंसान को अपने ज्ञान रूपी तलवार से इसको भेदना चाहिए मनुष्य के कर्म बंधन का कारण बनते हैं लेकिन यदि वही कार्य दूसरों के हित के लिए किए जाते हैं तो मुक्त करने वाले बन जाते हैं अपने यह स्वार्थ कामना से करे तो वही कर्म बंधन भोग है और दूसरों के लिए निष्काम भाव प्रेम से करें तो वही कर्म मुक्ति आनंद योग का कारण बनता है।
गीता ज्ञान
कहा गया है कि दूसरों के लिए कर्म करना ही यज्ञ है इसके साथ ही गीता में कई प्रकार के यज्ञ भी बताए गए हैं दूसरों के हित में समय संपत्ति साधन लगाना द्रव यज्ञ है। वही ईश्वर की प्राप्ति के उद्देश्य से योग करना योग यज्ञ है, इंद्रियों का संयम करने के लिए संयम यज्ञ है, भगवान की शरण में जाने के लिए भक्ति यज्ञ है। शरीर से असंग हो जाना अपने आपको जानने के लिए यह ज्ञान यज्ञ कहलाता है।
जो सारे यज्ञों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि इसे सब करते हैं और इसमें कोई पैसे या खर्चा भी नहीं होगा और तो और सत्संग भी स्वतंत्रता का सीधा रास्ता है जिससे विवेक प्राप्त होता है। वो विवेक ही इस यज्ञ की सामग्री है श्रद्धा उत्कर्ष अभिलाषा इंद्रिय संयम इस यज्ञ के यंत्र है। तो हमें कोशिश करना चाहिए कि ज्ञान यज्ञ में अपनी कामनाओं को यहूदी डालकर जीवनमुक्ति का फल प्राप्त कर लें।
किस पाप के बाद किसी योनि में आपका जन्म होता है
इसी के साथ हम आपको बताते हैं कि किस पाप के बाद किसी योनि में आपका जन्म होगा। गरुड़ पुराण में श्री हरि ने पक्षीराज गरुड़ को बताया कि कैसे पापों के बाद व्यक्ति को किस योनि में जन्म लेना पड़ता है। सनातन धर्म में ब्राह्मण को भगवान के समान बताया गया है।
ब्रह्म हत्या का पाप
शास्त्रों में यह बताया गया है कि यदि कोई मनुष्य जानबूझकर या भूल से किसी ब्राह्मण की हत्या कर देता है तो उसे ब्रह्म हत्या का पाप लगता है यह महापाप माना जाता है ऐसे काम में साथ देने वाले मनुष्य को भी कुंभी पाक नाम के नरक की यातना सहनी पड़ती है। गरुड़ पुराण धर्म कांड के अध्याय 2 में बड़े ही विस्तार से बताया गया है कि जो पापी ब्राह्मण जैसे पूजनीय लोगों की हत्या करते हैं उन्हें मृग, अश्व, शुगर और ऊंट की योनि में जन्म लेना पड़ता है
चोरी करने वाला
चोरी करने वाला मनुष्य या ऐसे काम में साथ देने वाले को तामि स्थल नामक दुख भोगना पड़ता है। वही उसे कीड़े मकोड़ों की योनि में जगह मिलती है। वही घर का सामान चुराने वाला गिद्ध की योनि मैं और दूसरे का पैसा लूटने वाला अपस्मार रोग से ग्रस्त हो जाता है।
वही जो इंसान अपनी धर्मपत्नी को छोड़ देता है वह अगले जन्म में गंड माल नाम के महा रोग से पीड़ित रहता है और जो स्त्री के बल पर दुनिया में जी रहा होता है वह दूसरे जन्म में लंगड़ा पैदा होता है।
दूसरे के पत्नी के साथ संबंध बनाने वाले
गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि दूसरे के पत्नी के साथ संबंध बनाने वाले व्यक्ति को घोर नरक में जगह मिलती है फिर वहां उसे पहले भेड़िया या फिर कुत्ता गिद्ध सियार सांप कौवा और आखरी में बगुला की योनि प्राप्त होती है. इन सब जन्मों के पूरा होने के बाद ही उसे मनुष्य योनि में मिलती है। अगर हम शास्त्रों की माने तो देवताओं पूर्वजों को खुश किए बिना मरने वाले इंसान को 100 सालों तक कौवा की योनि में जन्म मिलता है उसके बाद मुर्गा फिर 1 महीने के लिए सांप योनि में रहने के बाद उसके पापों का अंत होता है तब जाकर उसे मनुष्य के रूप में जन्म मिलता है।
हत्या करने वाला
आपको बता दें कि कोई भी व्यक्ति किसी का कत्ल कर देता है तो इस जगह्न्य अपराध करने वाले को अगले जन्म में गधे की योनि का जन्म मिलता है लेकिन अगर वही जिस शस्त्र से हत्या करता है उसी से उसकी भी हत्या हो जाए तो उसे मृग योनि मिलती है। जिसके बाद वह मछली कुत्ता और बाघ बनता है इन योनियों में जन्म लेकर अंतिम में वो मनुष्य योनि में जन्म लेता है।
आदर नहीं करने वाला
कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने से बड़ों का अपमान करता है उन्हें कौंच नामक पक्षी के रूप में जन्म लेना पड़ता है इतना ही नहीं 10 सालों तक उसे इसी योनि में रहना होता है फिर जाकर उसे मनुष्य योनि की प्राप्ति होती है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि माता-पिता या संतान को दुखी करने वाली लोगों की अगले जन्म में धरती पर जन्म लेने से पहले ही उनकी गर्भ में मृत्यु हो जाती है।
शारीरिक शोषण करने वाला
वही जो लोग महिलाओं का शारीरिक शोषण करते हैं या करवाते हैं उन्हें अगले जन्म में भयंकर बीमारियों से पीड़ित होना पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी स्त्री की हत्या या उसे गर्भपात कराने वाले व्यक्ति को नरक मैं दर्दनाक पीड़ा झेलना पड़ता है जिसके बाद उसे चांडाल योनि में जन्म मिलता है। इसके साथ ही शादी में अड़ंगा पैदा करने वाले पापी मच्छर की योनि में जन्म लेते हैं अगर उसे फिर से मनुष्य की योनि प्राप्त होती भी है तो उसका होट कटा हुआ होता है।
तो मित्रों आपने जाना की श्री कृष्ण के अनुसार मनुष्य के पाप करने की असली वजह क्या है और किस पाप के बाद की योनि में आपका अगला जन्म होगा अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।
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