जैसा की हम सभी जानते है [wpdiscuz-feedback id=”3zcxfhmn8n” question=”युग कितने होते है ” opened=”1″]हिन्दू धर्म एवं पुराणों के अनुसार इस सृष्टि मे 4 युग होता है – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग।[/wpdiscuz-feedback] तीन युग अभी तक बीत चुके है और ये अभी कलयुग चल रहा है। हरेक युग के अंत मे भगवान किसी न किसी रूप मे [wpdiscuz-feedback id=”houngwp150″ question=”किसी युग मे कौन से भगवान अवतार हुए हमे बातये ” opened=”1″]पृथ्वीलोक पर अवतरित हो मानव जाति का कल्याण करते है। सतयुग मे भगवान नरसिंघ, वराह, वामन के रूप मे और त्रेतायुग मे भगवान राम के रूप मे, और द्वापरयुग मे भगवान कृष्ण के रूप मे अवतरित [/wpdiscuz-feedback]हो कर मानव जाति के उद्धार के लिये पृथ्वी लोक से समस्त पापियों एवं असुरों का विनाश कर के पुनः धर्म की स्थापना कर के मानव जाति को धर्म की राह पर चलने का ज्ञान दिए थे।
हरेक युग मे भगवान किसी न किसी रूप मे अवतरित होते है ठीक उसी प्रकार कलयुग के अंत मे भी भगवान का अवतरित होने का पुराणों मे वर्णन मिलता है लेकिन इससे पहले कलयुग के बारे मे जान लेते है कि कलयुग को कैसा युग कहा गया है पुराणों एवं धर्मो ग्रंथो मे। तो चलिए जानते है –
कलयुग के 5 कड़वे सच्चाई –
द्वापरयुग के अंत मे जब पांडव महाभारत का युद्ध जितने के बाद एक दिन उसके मन मे आने वाले युग कलयुग के बारे मे जानने कि इच्छा हुई कि आने वाले कलयुग मे मानव कैसा होगा और उसका आचरण और व्यवहार किस प्रकार का होगा। तब वे सभी पांडव एक दिन भगवान श्री कृष्ण के पास जा पहुँचे और बोले ” हे प्रभु द्वापर का अंत चल रहा है और इसके बाद कलयुग आने वाला है और हमारे मन मे आने वाला कलयुग के बारे मे जानने कि इच्छा हो रही है तो हम सब पे कृपा करके बताइये कि आने वाला युग मानव जाति के लिये कैसा रहेगा और इस युग मे मानवों का आचरण कैसा होगा “
तब भगवान श्री कृष्ण ने पांचों पांडवो को अलग-अलग दिशाओं मे जाने को कहा। तब श्री कृष्ण कि बात सुनकर पाँचो पांडवो अलग-अलग दिशा मे भ्रमण के लिए चले गए।
युधिष्ठिर का दिशा भ्रमण
सबसे पहले युधिष्ठिर जिस दिशा मे गए थे तो उसने देखा कि दो सूंढ़ वाला हाथी तो उसने अपने मन मे सोचा कि ये कैसे संभव हो सकता है, तब फिर वो जब वापस आते है तो वो श्री कृष्ण को ये बात बताते है। तब श्री कृष्ण ने इसका मतलब बताया कि कलयुग मे ऐसे व्यक्ति शासन करेंगे “जो बोलेंगे कुछ ओर और करेंगे कुछ ओर ” ऐसे व्यक्ति हर वक्त प्रजा का शोषण करेंगे।
अर्जुन का दिशा भ्रमण
उसके बाद अर्जुन ने जिस दिशा मे भ्रमण करने गया था तो उसने देखा एक पक्षी को जिसके पंखो पर वेदों कि लिखावट था और वो पक्षी मरा हुआ जानवर का मांस खा रहा था। ये देख कर अर्जुन दंग रह गया और ये बात श्री कृष्ण को उसने बताई। तब श्री कृष्ण ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि ” हे पार्थ कलयुग मे ऐसे लोग होंगे जो ज्ञानी कहलायेंगे और वो अधिक शिक्षित भी होंगे उसे सब चीजों का ज्ञान होगा लेकिन उसका आचरण दुष्टों का होगा।
भीम का दिशा भ्रमण
भीम जिस दिशा मे गया था तो उसने देखा कि एक गाय अपने बछड़े को चाट रही है और वो गाय अपने बछड़े को इतना चाट रही थी कि चाटते चाटते उस बछड़े का खून निकल आ रहा था। तब ये बात श्री कृष्ण को बताई और श्री कृष्ण ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि कलयुग मे माता-पिता अपने सन्तानो के लिये इतने आशक्त हो जायेंगे कि उसके संतान का विकास ही रुक जायेगा और अपने सन्तानो को परिवार के मोह माया जाल मे बांधकर रखने लग जायेगा जिससे उसके सन्तानो को किसी भी चीज मे सफलता नहीं मिलेगी।
सहदेव का दिशा भ्रमण
सहदेव जिस दिशा मे गया था तो उसने भ्रमण करते – करते एक गांव मे पंहुचा तो उसने उस गांव मे बहुत सा कुआँ देखा जिसमे सभी कुआँ मे पानी था लेकिन गांव के बीच मे एक कुआँ ऐसा भी था जिसमे पानी नहीं था तो उसने ये बात श्री कृष्ण को बताई। तब श्री कृष्ण ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि कलयुग मे ऐसे भी लोग होंगे जो उत्सव, समाहरोह जैसी चीजों पर लोग अधिक धन खर्च करेंगे यहाँ तक कि लोग अपने शौक के लिये मदिरा, मांस इत्यादि सेवन करने के लिये लोग अधिक-से-अधिक धन व्यर्थ कर देंगे परन्तु यदि कोई असहाय, जरूरमंत, दान-पुण्य इत्यादि कर्मो मे मदत करने और अपना धन देने मे संकोच करेंगे।
नकुल का दिशा भ्रमण
नकुल जिस दिशा मे गया था तो वह उस दिशा मे एक जंगल मे देखा कि एक बहुत बड़ा पत्थर का चट्टान तेजी सभी पेड़-पोधे रौंधते हुए ढलान कि तरफ आ रहा है और वो चट्टान आते-आते एक छोटे से पेड़ मे टकराकर रुक जाता है तो वो देख कर हैरान हो गया और वो ये बात श्री कृष्ण को बताते है। तब श्री कृष्ण ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि कलयुग मे इंसानों कि बुद्धि छीन हो जाएगी और मनुष्य का पतन होने लगेगा और ये पतन इतना तेजी से होगा कि धन या सत्ता कि वृक्ष इससे रोकने मे सक्षम नहीं हो पायेगा लेकिन हरि नाम के एक छोटे से पौधे से ये पतन रुक जायेगा। हरि नाम लेने या कीर्तन करने से मनुष्य कि बुद्धि प्रबल हो जायेगा और वो सत्य और असत्य का निर्णय लेने मे उसे सहायता होंगी और वो अपने जीवन के लक्ष्य को पा सकेगा।