सांप काटने के बाद शव को जलाया क्यों नहीं जाता है
मित्रों हमारे हिंदू धर्म ग्रंथ और शास्त्रों मैं अन्य जीवो की अपेक्षा सांप और नागों के बारे में ज्यादा बातें वर्णित है। इतना ही नहीं नाग पंचमी में तो इनकी पूजा भी की जाती है। पर क्या आप जानते हैं सांप द्वारा काटे हुए व्यक्ति का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता लेकिन क्यों? और अगर ऐसे व्यक्ति का अंतिम संस्कार नहीं होता तो उसके साथ क्या किया जाता है? तो चलिए जानते हैं इसके बारे में धर्म शास्त्रों में पुराणों में क्या वर्णन है सांप काटने के बाद शव को जलाया क्यों नहीं जाता है
सांप काटने के बाद शव को जलाया क्यों नहीं जाता है
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार शिव के गले में सांप का जन्म और मृत्यु के अंतहीन चक्र यानी पुनर्जन्म का प्रतीक है। सांप कुंडलिनी का भी प्रतीक है जो सभी मनुष्यों के मूलाधार चक्र मैं सुख्त पड़ी है और जब कोई अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करता है और तेजी से दिव्य उन्मुख हो जाता है तो ऊपर की ओर उतरता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में नागो का उल्लेख देवताओं के एक वर्ग रूप में किया गया है जो भूमिगत दुनिया में रहते हैं जिन्हें पाताल के नाम से जाना जाता है। इनका मुख्य कार्य पृथ्वी के गर्भ में छिपे हुए खजानो की रक्षा करना है।
चलिए मित्रों अब आते हैं अपने मुख्य विषय पर की क्यों सर्पदर्श पीड़ित व्यक्ति का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। मित्रो भविष्य पुराण में नाग-नगीनो और विषैले सांर्पो का विस्तृत वर्णन किया गया है। हालांकि ऋषि कश्यप ने जो बातें पौराणिक काल में बताई थी उनमें कुछ परिवर्तन हुए हैं उनके अनुसार नागिन 240 अंडे तक दे सकती है। वर्तमान में इनके अंडों की संख्या 75 या 80 तक ही रह गई है।
सर्पदंश व्यक्ति का अंतिम संस्कार क्यों नहीं होता
दूसरे दिलचस्प तथ्य ये था की नागिन अपने अंडों को धीरे धीरे खाने लगती है और वे अंडे जो उसकी आंखों से बच जाते हैं वे ही सर्प बनते हैं ये तथ्य सत्य है। नागिन भूख वस या अपनी विहीन हुई शक्ति को प्राप्त करने के लिए ऐसा करती है। अगर ऐसा ना हो तो इस संसार में केवल नाग नागिन ही रहेंगे और कुछ नहीं बचेगा ये प्रकृतिक है। दरअसल ऐसा माना जाता है कि सांप के कटे हुए व्यक्ति की पूर्णत: मृत्यु नहीं होती और उसमें जीवित होने की संभावना बनी रहती है।
पूर्व के लोग जो मंत्रों के द्वारा जहर उतारना जानते थे मरे हुए व्यक्ति को भी जिंदा कर देते थे। ऐसे लोग नदियों के किनारे रहते थे यदि सर्पदंस वाली लाश दिखाई पड़ती थी तो उसे निकालकर पुनर्जीवित कर देते थे। शेष जीवन उसे अपने साथ ही रखते थे कुछ लोगों में पानी के संपर्क में आने से भी जहर उतर जाता था इसलिए ऐसे व्यक्तियों का दाह संस्कार ना करके जल प्रवाह कर दिया जाता था। जिसके पीछे उसके पुनर्जीवित होने की संभावना रहती थी।
कई स्थानों पर यह उल्लेख भी मिलता है कि सांप के काटे हुए मृत शव को केले के पेड़ के साथ बांध देते थे और साथ में एक मुर्गा भी, उस व्यक्ति को फिर नदी में बहा दिया जाता था। जब दूर निकल जाता था मुर्गे को जब भूख लगती तो वो चिल्लाता या बांग देता इसी नदी किनारे बसे हुए लोगों को ये पता लग जाता कि उस व्यक्ति के साथ क्या हुआ है। अगर कोई उत्तम विस्तर होता था तो उसे पास ले जाया जाता था और वो अपनी पूरी प्रयत्न से उसको बचाने का प्रयत्न करता था। इस प्रक्रिया में उसे 2 या 3 दिन लग जाते थे।
सर्पदंश की रहस्यमई जानकारी
इसके लिए उस मृत शरीर पर जगह-जगह काट कर जहर निकालना पड़ता था किंतु ऐसे कम लोग ही होते थे जो बच पाते थे। गांव के बुजुर्ग बताते थे कि गांव में अगर कोई सर्पदंश होता था तो एक स्पेशल बाजा होता था जो रात को बजाया जाता था जो 10 किलोमीटर दूर तक सुनाई देता था। दूर से दूर के लोग जागने जाते थे और उसको बचाने का प्रयत्न करते थे। किसी सर्प के काटने के बाद ये बताना किसी डॉक्टर के बस की बात नहीं है कि कौन से सर्प ने काटा है इसमें विषैले और विशहिन सर्प का अंतर ही बताया जा सकता है।
कारण की बात करें तो सर्प तो भयवस ही काट लेते हैं या उनको तंग करने पर काट लेते हैं। डॉक्टर सर्पदंश को देखकर व्यक्ति के बदलते लक्षण से ये जान लेते हैं कि ये किस सर्प के काटने पर होते हैं। एक व्यक्ति को जब सर्प ने काटा था उसने ठीक होने के बाद बताया कि उसकी आंखों की पुतलियां फैली हुई लग रही थी और सब कुछ बहुत बड़ा बड़ा और चौड़ा दिख रहा था और नींद आ रही थी, मिचली उल्टी रक्तचाप आदि की भी समस्या होती है।
कुछ विषैले सर्प विशेषकर करेत नामक बेहद खतरनाक सांप व्यक्ति को नींद में काट लेते हैं और लोग नजरअंदाज कर देते हैं और सोए रह जाते हैं बाद में उन्हें इसका पता चलता है। मित्रों इसके अलावा हमारे पूर्वज जो प्रकृति से उसकी हर गतिविधि से ही सबक लेते रहे थे वो सांप की एक-एक गतिविधि से वाकिफ थे उसकी चपलता आक्रमकता छिपे रहने की कला और बिना खतरे के एहसास के शांति से रहने की प्रवृत्ति और खतरा भांपते ही बचाव और सटिक घात लगाने के कौशल से भी परिचित थे। तो मित्रो आपको इस प्रश्न का उत्तर तो इस पोस्ट में मिल ही गया होगा कि सांप काटने के बाद व्यक्ति को जलाया क्यों नहीं जाता था।
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