हनुमान चालीसा की रचना कब और कैसे हुई थी?

0
हनुमान चालीसा की रचना कब और कैसे हुई थी?

हनुमान चालीसा के बारे में सुनकर बड़े हुए बहुत से लोग ये नहीं जानते होंगे कि हनुमान चालीसा की रचना कब और कैसे हुई. किताबों में इसका वर्णन मिलता है कि गोस्वामी तुलसीदास हनुमान चालीसा के रचयिता है लेकिन आप ये शायद आप जानकर हैरान हो जाएंगे की रामचरितमानस की रचना करने वाले महान संत तुलसीदास ने जेल में रहकर इसकी रचना की थी।हनुमान चालीसा की रचना कब और कैसे हुई थी?

हनुमान चालीसा की रचना कब और कैसे हुई थी?

ये कहानी उस दौर की है जब हिंदुस्तान मैं मुगलों का शासन हुआ करता था। मुगल बादशाह अकबर के राज में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग खुद को महफुज नहीं समझते थे. मुगलों का राज्य धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा था. कहा जाता है कि उसी दौर में एक दिन भगवान राम के परम भक्त तुलसीदास को अकबर ने अपने दरबार मैं बुलाया और कहा कि मैं प्रभु श्री राम के दर्शन करना चाहता हूं.  तब गोस्वामी तुलसीदास ने कहा की हे राजन हमारे आराध्य देव प्रभु तो सिर्फ भक्तों को दर्शन देते हैं आपको कैसे दर्शन दे सकते हैं.

तब अकबर ने कहा कि आपकी श्रीराम से मुलाकात कैसे हुई. तब तुलसीदास ने कहा कि राम कथा सुनाते-सुनाते मेरी मुलाकात एक दिन हनुमान जी से हुई, तब उन्होंने मुझसे कहा की चित्रकूट के घाट पर ही आपको श्री राम के दर्शन होंगे. मैं राम घाट पर एक दिन बैठा था तभी दो युवक दिखाई दिए लेकिन मैं उन्हें पहचान नहीं सका इस बात से मैं बेहद उदास था. जब हनुमान जी ने कहा कि चिंता मत करो दूसरे दिन फिर प्रभु श्री राम दर्शन देंगे दूसरे दिन जब मैं चंदन घिस रहा था तब प्रभु श्रीराम बाल रूप में आए और कहा की बाबा मुझे भी चंदन लगा दो.

हनुमान जी ने सोचा कि कहीं मैं इस बार भी नहीं पहचान पाया तो बड़ा अनर्थ हो जाएगा. तब हनुमानजी ने तोते का रूप धारण कर एक चौपाई पढ़ी उसके बाद प्रभु श्री राम को मैंने तिलक लगाया. बस यही मेरी भगवत दर्शन की कहानी है, लेकिन आपको इसके लिए हिंदू धर्म अपनाकर भगवान की भक्ति करनी होगी तभी प्रभु श्री राम के दर्शन होंगे. इतना सुनते ही मुगल शासक अकबर भड़क उठा और उसने तुलसीदास को जेल में डलवा दिया.

हनुमान चालीसा के रचियता

हालाकि इतिहास की कई किताबों में इस बात का वर्णन मिलता है कि अकबर हिंदू धर्म का विरोधी नहीं था. उसे एक अच्छे शासक के रूप में दिखाया गया है. लेकिन तुलसीदास जैसे संत के साथ ऐसी घटना की कहानी उसके हिंदू विरोधी स्वभाव को दिखाती है. हालांकि तुलसीदास जैसे संत व्यक्ति को अकबर के इस व्यवहार से कोई आपत्ति नहीं हुई वो कुछ कहने के बजाय कारागार में कैद हो गए. वहां बैठकर ही तुलसीदास हनुमान जी के गुणों का वर्णन करने लगे. जेल में बैठे बैठे ही उन्होंने भगवान हनुमान के गुणगान में 40 चौपाइयां लिख दी जिन्हें आज हनुमान चालीसा कहा जाता है.

लेकिन इसी दौरान एक ऐसी घटना हुई जिससे अकबर का दिमाग भी हिल गया कहते हैं. फतेहपुर सीकरी के कारागार में जहां तुलसीदास बंद थे उसके आसपास अचानक बंदरों की संख्या बढ़ गई. सभी चौपाइयों की रचना के बाद तुलसीदास उन्हें पढ़ रहे थे तो वहां बंदरों का झुंड उमड़ पड़ा और एक बूढ़ा बंदर बिल्कुल आखरी तक एक-एक चौपाई सुनता रहा. कहते हैं कि वह बूढ़ा बंदर खुद हनुमान जी ही थे इसीलिए ये भी कहते हैं कि तुलसीदास की लिखी हनुमान चालीसा पहली बार खुद हनुमान जी ने सुनी थी.

हनुमान चालीसा रचना की कथा

तुलसीदास जेल में जहां भक्ति भाव में डूबे हुए थे तो वही कारागार की सुरक्षा में तैनात सैनिक बंदरों की वजह से परेशान थे. कहा जाता है कि जहां भी भगवान हनुमान की पूजा होती है उनके गुणगान गाए जाते हैं बंदर वहां आसपास पहुंच ही जाते हैं और यहां तो जेल में रहने के बावजूद तुलसीदास हनुमान जी के गुणों का बखान कर रहे थे. इसलिए बंदरों ने इतना उत्पाद मचाया कि वहां के सुरक्षाकर्मी भी परेशान हो गए आखिर में बात अकबर तक पहुंची, तो उसके मंत्रियों ने ये सलाह दी कि महाराज आप तुलसीदास जैसे संत को कारागार से मुक्त कर दिजिए वरना बंदरों का आतंक कम नहीं होगा.

क्योंकि हमने सभी तरह के उपाय करके देख लिए बंदर शायद इसी वजह से लोगों को भयभीत कर रहे हैं. तब अकबर ने कहा ठीक है. कहते हैं अकबर ने जैसे ही तुलसीदास को जेल से रिहा करने का आदेश दिया बंदरों का आतंक तुरंत थम गया. इन्हीं वानर सेना के सहारे तो प्रभु श्री राम ने लंका का युद्ध जीता था तो भला तुलसीदास को जेल से रिहा करवाना उनके लिए कौन सी बड़ी बात थी.

आजकल ऐसी पौराणिक कहानियां किताबों में नहीं मिलती आपने मुगलों का इतिहास पढ़ा होगा जिसमें अकबर के शासन और उसके युद्ध का बखान होगा. लेकिन ऐसी कहानियों को कहीं जगह नहीं मिलती क्योंकि इतिहास में धर्म को जगह देने की जब भी बारी आई तो इतिहासकारों ने यह कहकर पीछा छुड़ा लिया कि पता नहीं ऐसी कहानियों की क्या विशेषनियता होगी. लेकिन आपको शायद ये जानकर हैरानी होगी कि हनुमान चालीसा दुनियाभर में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पुस्तिका मानी जाती है.

हनुमान चालीस की महिमा

हमारे हिंदुस्तान में ज्यादातर लोग भूत प्रेत के डर से हनुमान चालीसा का एक एक चौपाई याद रखते हैं. हर शनिवार और मंगलवार लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं पहली 10 चौपाई में हनुमान जी की शक्ति का बखान किया गया है जबकि 11 से 20 तक चौपाई में भगवान राम का गुणगान किया गया है. इसके अलावा 11 से 15 तक लक्ष्मण के बारे में और आखिर की चौपाई में भगवान हनुमान की कृपा के बारे में बताती है. हनुमान चालीसा पढ़ने वाले व्यक्ति को कभी भी भूत-प्रेत या अकाल मृत्यु का डर नहीं होता इसलिए कहते हैं व्यक्ति को रोज एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

हनुमानजी की शादी और पत्नी कौन थी?

हनुमान जी के 5 मुख्य नामों के पीछे की कथाएं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here