हिंदू धर्म में कार्तिक मास क्यों है इतना महत्व?
हिंदू धर्म में कार्तिक मास को सर्वश्रेष्ठ क्यों माना जाता है।
हिंदू पंचांग का आठवां महीना सबसे खास महत्वपूर्ण माना जाता है। सितंबर या अक्टूबर में पड़ने वाला कार्तिक महीना श्रद्धालुओं के लिए काफी पावन माना जाता है। आपने भी बड़े बुजुर्गों से सुना होगा कि कार्तिक महीने में गंगा स्नान का काफी महत्व है, और तो और कार्तिक महीने में कोई पापा मत करना आखिर ऐसा क्यों कहा जाता है आइए जानते हैं।हिंदू धर्म में कार्तिक मास क्यों है इतना महत्व?
वैसे हिंदू धर्म में 12 महीनों का अपना-अपना महत्व है फिर कार्तिक मास में ही लोग ज्यादा पूजा-पाठ क्यों करते हैं इसकी वजह जानने के लिए आपको दो पौराणिक कथा सुननी होगी जिसमें पहली कथा भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय से जुड़ी है तो वही दूसरे कथा भगवान विष्णु से जुड़ी है वहीं तीसरी कथा भगवान सूर्य से भी जुड़ी है। कहते हैं कार्तिक मास में जो व्यक्ति इन तीनों की पूजा करता है या आराधना करते हैं सुबह शाम नियम से पूजा-पाठ आदि करता है उसकी सारी समस्याएं दूर हो जाती है।
आपने देखा होगा खासकर बिहार और पूर्वांचल वाले इलाके में कार्तिक महीने में ही छठ की पूजा होती है जिसमें उगते सूर्य और डूबते सूर्य को श्रद्धालु अर्ग देते हैं। एक साथ इस महीने में कई सारे त्यौहार आते हैं इसलिए इस महीने का महत्व और बढ़ जाता है। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकादशी मैं भगवान विष्णु 4 महीने में एक बार जगते हैं इस एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहते हैं।
हिंदू धर्म में कार्तिक मास क्यों है इतना महत्व?
एक बार भगवान विष्णु से लक्ष्मी जी से कहा – हे भगवान आप दिन-रात जागते हैं लेकिन एक बार सोते हैं फिर लाखों करोड़ों वर्ष के लिए सो जाते हैं और उस समय चराचर का नाश कर जाते हैं इसलिए आप नियम से विश्राम किया कीजिए। तब तब भगवान विष्णु ने कहा है- हे देवी तुम ठीक कहती हो मेरे जागते सभी देवों और खासकर तुम्हें कष्ट होता है तुम्हें मेरी सेवा से वक्त नहीं मिलता, इसलिए आज से में हर वर्ष वर्षा ऋतू में 4 मास शयन किया करूंगा। मेरी यह निंद्रा अल्प निंद्रा और प्रलयकालीन महा निंद्रा कह लाएगी। यह मेरी निंद्रा भक्तों के लिए परम मंगल कारी रहेगी।
कार्तिक माह का नाम कैसे पड़ा
कहा जाता है कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध इसी महीने में किया था। तारकासुर के आतंक से सभी भगवान इतने परेशान थे की भगवान शिव के पुत्र कार्तिक को उसे युद्ध करना पड़ा इसलिए भगवान शिव ने इस महीने का नाम कार्तिक रख दिया।
कार्तिक मास में होने वाले पर्व
कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली पड़ती है और उसेके बाद छठ पूजा शुरू हो जाती है। कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गंगा स्नान और दीप दान का विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक मास में करवा चौथ, अहोई जन्माष्टमी, रमा एकादशी, गोवत्स एकादशी धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, देवउठनी एकादशी, कार्तिक पूर्णिमा के त्यौहार पढ़ते हैं। इस महीने में तुलसी पूजा का भी खास महत्व बताया गया है।
इसलिए जिन घरों में लोग श्रद्धा भाव से तुलसी लगाते हैं वह सुबह शाम पूजा अर्चना भी करते हैं अपनी श्रद्धा के अनुसार आप गाय दान, भूमि दान, और अन्न दान, ब्राह्मण भोज करवा सकते हैं इस महीने का उतना महत्व है, और उतना ही इस महीने का नियम कठोर है। सामवेद में इस बात का उल्लेख है कि कार्तिक महीने में गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालु को कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए। इस महीने धूम्रपान निषेध होता है लहसुन प्याज और मांसाहारी का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
कार्तिक माह हिन्दू धर्म का पावन महीना
अगर आप पलंग पर सोते हैं तो आपको अपना बिस्तर भूमि पर बिछा लेना चाहिए दोपहर में आपको बिल्कुल भी नहीं सोना चाहिए। इस माह में जितना ब्रह्मचारी का पालन करेंगे आपके लिए उतना ही अच्छा होगा क्योंकि कार्तिक मास पूरा ब्रह्मचारी रूप में बदल देने वाला महीना बन जाता है। हिंदू धर्म में आमतौर पर एक महीना एक देवता के लिए है जैसे आश्विन मैं मां दुर्गा की पूजा होती है, उससे पहले सावन में भगवान शिव की लेकिन कार्तिक एकलौता ऐसा महीना है जिससे भगवान विष्णु शिव और सूर्य तीनों देवताओं की पूजा होती है।
कार्तिक माह के धार्मिक महत्व
कार्तिक महीना को देवों का महीना भी कहते हैं क्योंकि इसमें आप सभी देवता की आराधना कर सकते हैं इस महीने में किए गए पूजा पाठ का फल दूसरे महीने में किए गए पूजा पाठ के फल से कई गुना ज्यादा होता है। भगवान विष्णु 4 महीने की नींद से जागते हैं उनकी जब आंख खुलती है तब श्रद्धालु उनकी आराधना कर रहे होते हैं जिसे देखकर भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं इसीलिए कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा यानी आश्विन महीना के पूर्णिमा तिथि के अगले दिन कार्तिक मास पढ़ते ही भगवान विष्णु की आराधना शुरू कर देना चाहिए।
बहुत से लोग कार्तिक महीने के महत्व और इस महीने में नहीं किए जाने वाले कार्य के बिना ही अनुष्ठान शुरू कर देते हैं कुछ लोग मंदिरों में पूजा अर्चना और गंगा स्नान करने लगते हैं लेकिन नियम की जानकारी नहीं होने से उसे इसका पूरा फल नहीं मिल पाता है। अगर आपको कार्तिक माह से जुड़ी यह जानकारी अच्छी लगी तो शेयर जरूर करें।
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