हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद शिशुओं को दफनाया क्यों जाता है?

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मित्रों हम सब जानते हैं कि जहाँ दूसरे धर्म में मृत्यु के बाद शव को दफनाया जाता है वही हमारे हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद शव को जलाने की परंपरा है। लेकिन दोस्तों क्या आप जानते हैं कि हिंदू धर्म में नवजात शिशुओं को मृत्यु के बाद जलाने के बदले दफनाया जाता है। ऐसा क्यों किया जाता है आज हम जानंगे इस परंपरा के बारे में जानंगे जिसका वर्णन गरुड़ पुराण में किया गया है।

 हिंदू धर्म में  मृत्यु के बाद शिशु को जलाया क्यों नहीं जाता है।

गरुड़ पुराण में वर्णित कथा के अनुसार पक्षीराज गरुड़ के पूछने पर भगवान विष्णु उनसे कहते हैं हे – गरुड़ अगर किसी स्त्री का गर्भपात हो जाए या फिर यदि जन्म के बाद 2 वर्ष की उम्र तक किसी बालक या बालिका की मृत्यु हो जाए तो उसे जलाने के बजाय जमीन में गड्ढा खोदकर उसे दफना देना चाहिए और इससे अधिक उम्र के मनुष्य की मृत्यु होने पर उन्हें जलाना चाहिए। गरुड़ पुराण की माने कि वास्तव में जब मनुष्य जन्म लेता है तो वह 2 वर्ष की उम्र तक दुनियादारी और इस संसार की मोह माया से परे रहा है ऐसी स्थिति में उसके शरीर में विराजमान आत्मा को उस शरीर को मोह नहीं होता है। ऐसे में जब कोई 2 वर्ष से कम उम्र का मनुष्य मृत्यु को प्राप्त होता है तो आसानी से उस शरीर का त्याग कर देता है और पुनः उस शरीर में प्रवेश करने की कोशिश भी नहीं करता है। जबकि मनुष्य जैसे जैसे बड़ा होते जाता है और मोह माया में बंधते जाता है ठीक वैसे वैसे शरीर में मौजूद आत्मा को उस शरीर से मोह होने लगता है और मृत्यु के बाद वे उस शरीर में तब तक दोबारा प्रवेश करने की कोशिश करते रहता है कि जब तक मृतक के शरीर को जला ना दिया जाए।मृत्यु के बाद आत्मा कितने दिन धरती पर रहती है | Garud Puran Story in Hindi |

गरुड़ पुराण की माने की अंतिम संस्कार मतलब दाह संस्कार शरीर से अलगाव का एक रूप है। जब शरीर को जला दिया जाता है तब वे अग्नि द्वारा मुक्त हो जाता है और इसके बाद उस आत्मा के पास कोई लगाव नहीं रहता। वास्तव में अग्नि को हिंदू धर्म में एक प्रवेश द्वार माना गया है जिसके माध्यम से मृतक को जब जलाया जाता है तभी वे आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश कर पाता है। परंतु बच्चे जिन्होंने ज्यादा जीवन नहीं जिया है उनकी आत्मा को अपने शरीर से कोई लगाव नहीं होता इसीलिए उनकी मृत्यु हो जाने पर जलाने के बजाय दफनाने का विधान है।हिंदू धर्म में महिलाओं का श्मशान घाट जाना वर्जित क्यों है जानिए पौराणिक कथाओं के अनुसार ?

इसके अलावा गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि शिशु के अलावा संत पुरुष और भिक्षुक को भी मृत्यु के बाद जलाने की वजह दफनाना चाहिए क्योंकि ऐसा मनुष्य अपनी कठोर तपस्या और आध्यात्मिक प्रशिक्षण के बल पर अपने शरीर की सभी इंद्रियों पर नियंत्रित कर लेता है और पंच दोष यानि काम,क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार, पर विजय प्राप्त कर लेता है ऐसे में उस शरीर में उपस्थित आत्मा को उस शरीर से कोई लगाव नहीं रह जाता है। और जब ऐसे मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो वह बिना किसी बाधा अपने शरीर को त्याग कर के परमधाम को चले जाते हैं  Also Read :- गरुड़ पुराण के अनुसार नहीं नहाने वाले को क्या सजा मिलती है जानिए ?

 

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