नीम के पेड़ के क्या औषधीय गुण और इसके पत्ते के फायदे?

0
610

(Neem) नीम के पेड़

नीम (neem) भारतवर्ष का बहुत ही लाभदायक और ओषधीय गुण से भरपूर एक पेड़ है। यह वृक्ष हमें सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा और धूप से बचने के लिए छाया  ही नहीं देती बल्कि यह वृक्ष हमारे शरीर के कई रोगों से लड़ने के लिए गुणकारी औषधि अपने पत्ते, तने और बीज के रूप मे भी प्रदान करती है। इस वृक्ष को आर्युवेद में मानवता के लिए वरदान कहां गया है। इसका प्रयोग प्राचीनकाल से होमियोंपैथिक और आयुर्वेदिक दवाओ को बनाने में तो किया ही जाता है साथ ही बहुत से अंग्रेज़ी और ओर्गेनिक दवाइयां में किया जाता है। इतना ही नहीं नीम का प्रयोग त्वचा संबंधित क्रीम,लोशन,पाउडर और फ़ेसवश में भी किया जाता है,इसलिए तो नीम को ओषधीय गुण से भरपुर माना जाता ह।

जिससे हम विभिन्न बीमारियो से लड़ने में सहता मिलती है जैसे की एंटीवाइरल बुखार, त्वचा रोग ,मधुमेह, चेचक, रक्तशुद्ध आदी बीमारियो में ऐंटीसेप्टिक की तरह अपना काम करता है और जल्दी आराम भी दिलाता हैं।नीम के पेड़ का प्रत्येक भाग जैसे तना,छाल,जड़,बीज़ का तेल इत्यादि सभी भागो को आयुर्वेदिक दवाए बनाने में प्रयोग किया जाता है। नीम के विभिन्न सरल एवं लाभदायक उपयोग है,जो हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी है ।

नीम के फायदे एवं इसके औषधीय गुण

 त्वचा के लिए

नीम एक एंटीसेप्टिक है जो हमारे त्वचा के रोगो के जैसे कील,मुहासे,चकते,टेनिंग एकजीमा जैसे रोगो को रोकने के लिए उपयोगी है।

रूसी के लिए (Rusi ke liye neem ka prayog)

नीम में फंग्स और जीवाणु रोधी गुण होते है जो आपके बालो को स्वस्त रखते है। इससे आप के बालो का सूखापन एवं खुजली में भी लाभ मिलेगा।

बाल मे से जू दूर करने का उपाय

नीम के बीज मे किटाणु नाशी गुण होते जिससे की सिर के जुओ को १० दिनो में खत्म कर देता है,ऐसा परीजीवी विज्ञान अनुसंधान द्वरा सन २०१२ में प्रकाशित एक पत्रिका मे बताया गया है।

नीम मसुरों की लिए

मसूढ़ो की बीमारी जैसे की मसूरों का कटना ,सूजन,खून आना,नाजूक मसुरे से दातो का हिलना आजकल आम बीमारी हो गई है। इसके लिए भी एक गूणकारी ओषधि है।

 नीम रक्त शुद्ध करने में

नीम एक गुणकारी रक्तशोधक और विशंषक औषधि है | यह शरीर के सभी भागों में आवश्कयक तत्त्व और ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है | रक्त की किसी भी प्रकार की समस्या से परेशान होने पर बिलकुल चिंता की जरुरत नहीं है |

 मधुमेह

नीम में मौजूद यौगिक तत्त्व रक्त शर्करा को रोकने के लिए रामबाण इलाज हैं| मधुमेह कितना भी पुराना हो चूका हो या शुरूआती चरण में हो ,यह रोगी की इन्सुलिन आवश्यकता को पूरी तरह ख़तम कर देता है |

नीम गठिया (आर्थराइटिस) का उपचार

गठिया रोग के लिए नीम का तेल लाभकारी औषधिहै | पुराने से पुराने गठिया का दर्द या शरीर के किसीभी भाग के जोड़ो का दर्द , पीठ का दर्द इत्यादि केलिए १ कप पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्तियों औरफूलों को उबालकर ठंडा करे, इस पानी को सुबहशाम दिन में दो बार लगातार ३ महीने तक सेवनकरने से सभी प्रकार के गठिया एवं जोड़ों के दर्द सेराहत मिलती है |

नीम से पेट के कीड़े मे राहत

जैसा की पहले बताया गया है नीम एक एंटीबायोटिक औषधि भी है | पेट में कीड़े होने की अवस्था में सुबह शाम नीम के कुछ कोमल पत्तों को चबाकर खाना चाहिए साथ में चाय के साथ नीम की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है।विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लेकर पेट के कीड़ों केलिए नीम की आयुर्वेदक कैप्सूल्स का भी सेवन करसकते है

नाखून संक्रमण

नीम के एंटीबॉयोटिक गुणों के कारण इसे हाथ एवं पैरों के नाखून संक्रमण को रोका जा सकता है | नीम के तेल का दिन में २ बार हाथ एवं पैरों के नाखूनों में लगाने से नाखून संक्रमण से बचे रहते है नाखून में नीम का तेल लगाने से नाखून जड़ सेमजबूत और सुन्दर बने रहते हैं |

नीम, कटने या घाव होने पर इलाज

शरीर पर किसी भी प्रकार की खुली चोट या घाव होने या कटने पर नीम के पेड़ की छाल को घर लाकर धूप में सूखा ले , सूखने के बाद उसका बारीक़ चूर्ण तैयार करे और उसे नीम के तेल या सरसो के तेल के साथ घाव पर लगा देने से घाव जल्दी सूखता है और उसके बढ़ने की कोई आशंका नहीं रहती |

नीम के दातुन

 हमारे भारत देश में नीम का दातुन सर्वोत्तम दातुन माना गया है। नीम के दातुन का उपयोग प्राचीन काल से ही चला आ रहा है इसके दातुन के उपयोग करने से मुंह से संबंधित बीमारियां और दातों में होने वाली परेशानिया जैसे असमय पर दांत टूटना, हिलना, दांत में कीड़े लगना इत्यादि से राहत मिलती है।

 

Also Read :- अशोक वृक्ष के फायदे एवं इनके औषधीय उपयोग क्या हैं ?

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here