घी में छुपे हैं, सेहत और ब्यूटी के फायदे
एक चम्मच शुद्ध घी, एक चम्मच पिसी शकर, चौथाई चम्मच पिसी कालीमिर्च तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाटकर गर्म मीठा दूध पीने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
एक बड़े कटोरे में 100 ग्राम शुद्ध घी लेकर इसमें पानी डालकर हलके हाथ से फेंटकर पानी फेंक दें। यह एक बार घी धोना हुआ। ऐसे 10 बार पानी से घी को धोकर कटोरे को थोड़ी देर के लिए झुकाकर रख दें, ताकि थोड़ा बहुत पानी बच गया हो तो वह भी निकल जाए। अब इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें और चौड़े मुुंह की शीशी में भर दें। यह घी, खुजली, फोड़े फुंसी आदि चर्म रोगों की उत्तम दवा है।
रात को सोते समय एक गिलास मीठे दूध में एक चम्मच घी डालकर पीने से शरीर की खुश्की और दुर्बलता दूर होती है, नींद गहरी आती है, हड्डी बलवान होती है और सुबह शौच साफ आता है। ठंड आने के पहले से ठंड खत्म होने तक यह प्रयोग करने से शरीर में बलवीर्य बढ़ता है और दुबलापन दूर होता है।
घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शकर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बांध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा कुनकुना दूध घूंट-घूंट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है।
देशी गाय के घी से होने वाले लाभ
गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
(20-25 ग्राम) घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाताहै।
गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है।गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है।
हिचकी के न रुकने पर गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता हैगाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।